अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या और विकास सम्मेलन

प्रीलिम्स के लिये-

ICPD, UNFPA

मेन्स के लिये-

जनसंख्या वृद्धि की समस्या से निपटने के उपाय

चर्चा में क्यों?

नैरोबी में आयोजित विश्व जनसंख्या सम्मेलन में वैश्विक मंच पर भारत ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिये देश में जारी दंडात्मक कार्यवाई की बहस के बीच, गर्भनिरोधन के स्वैच्छिक और सूचित विकल्प की बात दोहराई।

प्रमुख बिंदु-

UNFPA

  • इस सम्मेलन का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या और विकास सम्मेलन (International Conference on Population and Development) की 25वीं वर्षगाँठ पर केन्या की राजधानी नैरोबी में किया गया।
  • यह सम्मेलन केन्या और डेनमार्क की सरकारों द्वारा संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund -UNFPA) के साथ संयोजन में आयोजित किया गया।
  • ICPD25 पर नैरोबी शिखर सम्मेलन की शुरुआत निम्नलिखित 3 शोध के मुद्दों के साथ हुई-
    • शून्य मातृ मृत्यु
    • शून्य परिवार नियोजन की आवश्यकता
    • शून्य लैंगिक हिंसा
  • ऑस्ट्रिया, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्राँस, जर्मनी, आइसलैंड, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम की सरकारों ने यूरोपीय आयोग के साथ मिलकर लगभग 1 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।
  • निजी क्षेत्र के चिल्ड्रेन इन्वेस्टमेंट फंड (Children Investment Fund), फोर्ड फाउंडेशन, जॉनसन एंड जॉनसन, फिलिप्स, वर्ल्ड विज़न और कई अन्य संगठनों ने कुल 8 बिलियन डॉलर के योगदान की घोषणा की।

भारत के संदर्भ में-

  • वर्ष 1994 में काहिरा में महिलाओं के समग्र विकास और जनसंख्या नियंत्रण को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या और विकास सम्मेलन में भारत 179 देशों में शामिल था।
  • भारत में लंबे समय से जनसंख्या नियंत्रण के लिये दंडात्मक कार्रवाई अपनाने की बात की जा रही है। लेकिन भारत सरकार ने इस सम्मेलन में गर्भनिरोधन के स्वैच्छिक विकल्पों की प्रतिबद्धता दोहरायी। भारत ने यह भी कहा कि वह गर्भ निरोधक दवाओं और परिवार नियोजन सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करेगा।
  • इससे पूर्व हाल ही में असम सरकार ने वर्ष 2021 से ऐसे व्यक्तियों को जिनके 2 से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें सरकारी नौकरियों से प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है।
  • असम से पूर्व 12 अन्य राज्यों ने भी अलग अलग तरीकों से 2 बच्चों की नीति लागू करने की कोशिश की।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, 2 बच्चों के मानदंड के कारण अयोग्यता का सामना करने वालो में महिलाओं की संख्या (41%) और दलितों की संख्या (50%) अपेक्षाकृत अधिक थी।
  • भारत में ऐच्छिक प्रजनन दर 1.8 है, जिसका अर्थ है महिलाओं की एक बड़ी संख्या 2 से अधिक बच्चे नहीं पैदा करना चाहतीं।
  • एक अनुमान के अनुसार, 15-49 के आयु वर्ग में 30 मिलियन महिलाएं और 15 से 24 वर्ष के आयु वर्ग में 10 मिलियन महिलाएं गर्भधारण करना न चाहते हुए भी गर्भ निरोधक उपायों की पहुँच और जानकारी के अभाव में उनका प्रयोग नहीं कर पातीं।

अंतर्राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या एवं विकास सम्‍मेलन

वर्ष 1994 में ICPD का पहला सम्मलेन काहिरा में हुआ। जिसमें विश्व की 179 सरकारों ने महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों से संबंधित कार्यक्रम को राष्ट्रीय और वैश्विक विकास प्रयासों में अपनाने की प्रतिबद्धता दिखाई।

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष

(United Nations Population Fund)

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की स्थापना वर्ष 1969 में की गई। UNFPA संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है। UNFPA वैश्विक स्तर पर यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तृत विषयों पर कार्य करता है, जिसमें स्वैच्छिक परिवार नियोजन, मातृ स्वास्थ्य देखभाल और व्यापक यौन शिक्षा शामिल है।

स्रोत-डाउन टू अर्थ