शुक्र ग्रह हेतु नए मिशन: NASA
प्रिलिम्स के लिये:शुक्र ग्रह, नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन मेन्स के लिये:शुक्र ग्रह का अध्ययन एवं उसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (NASA) ने शुक्र ग्रह के लिये दो नए रोबोटिक मिशनों की घोषणा की।
- इससे पहले वैज्ञानिकों ने ग्रह से रेडियो तरंगों के माध्यम से शुक्र के बारे में नया डेटा प्राप्त किया।
प्रमुख बिंदु
लक्ष्य:
- इन दो संयुक्त मिशनों का उद्देश्य यह समझना है कि कैसे शुक्र सतह पर सीसो को पिघलाने में सक्षम ‘इन्फर्नो’ जैसी दुनिया का निर्माण हुआ।
दाविंसी प्लस (DaVinci Plus):
- यह दो मिशनों में से पहला होगा, यह इस ग्रह के घने बादल वाले शुक्र ग्रह के वातावरण का विश्लेषण करेगा कि क्या ‘इन्फर्नो’ में कभी महासागर था और क्या यह संभवतः रहने योग्य था। यह गैसों को मापने के लिये एक छोटा सा यान वायुमंडल में उतारेगा।
वेरिटस(Veritas):
- यह चट्टानी ग्रह की सतह का मानचित्रण करके भूगर्भिक इतिहास की खोज करने वाला दूसरा मिशन होगा।
महत्त्व:
- ये नए मिशन ग्रह के वायुमंडल, जो कि कोर तक अधिकतम कार्बन डाइऑक्साइड से बना है, के बारे में नए विचार देगा।
पूर्ववर्ती मिशन:
- अमेरिका:
- मेरिनर शृंखला 1962-1974, वर्ष 1978 में पायनियर वीनस 1 और पायनियर वीनस 2, 1989 में मैगलन।
- रूस:
- अंतरिक्षयान की वेनेरा शृंखला 1967-1983, वर्ष 1985 में वेगास 1 और 2
- जापान:
- वर्ष 2015 में अकात्सुकी।
- यूरोप:
- वर्ष 2005 में वीनस एक्सप्रेस।
भारतीय पहल:
- भारत ने वर्ष 2024 में शुक्रयान नामक एक नया ऑर्बिटर लॉन्च करने की योजना बनाई है।
शुक्र ग्रह:
- इसका नाम प्रेम और सुंदरता की रोमन देवी के नाम पर रखा गया है। यह आकार और द्रव्यमान में सौरमंडल में छठा ग्रह और सूर्य से दूसरे स्थान पर है।
- यह चंद्रमा के बाद रात को आकाश में दूसरी सबसे चमकीली प्राकृतिक वस्तु है, शायद यही कारण है कि यह पहला ग्रह था जो दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व में आकाश में अपनी गति के कारण जाना गया।
- हमारे सौरमंडल के अन्य ग्रहों के विपरीत, शुक्र और यूरेनस अपनी धुरी पर दक्षिणावर्त घूमते हैं।
- कार्बन डाइऑक्साइड की उच्च सांद्रता के कारण यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है जो एक तीव्र ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करने का काम करता है।
- शुक्र ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष से ज़्यादा लंबा होता है। सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने की तुलना में शुक्र को अपनी धुरी पर घूर्णन में अधिक समय लगता है।
- अर्थात 243 पृथ्वी के दिन एक घूर्णन के लिये - सौरमंडल में किसी भी ग्रह का सबसे लंबा घूर्णन।
- सूर्य की एक कक्षा को पूरा करने के लिये केवल 224.7 पृथ्वी दिन।
शुक्र और पृथ्वी:
- शुक्र को उसके द्रव्यमान, आकार और घनत्व तथा सौरमंडल में उसके समान सापेक्ष स्थानों में समानता के कारण पृथ्वी की जुडवाँ बहन कहा गया है।
- शुक्र से ज़्यादा कोई ग्रह पृथ्वी के करीब नहीं पहूँचता है; अपने निकटतम स्तर पर यह चंद्रमा के अलावा पृथ्वी का सबसे निकटतम बड़ा पिंड है।
- शुक्र का वायुमंडलीय दाब पृथ्वी से 90 गुना अधिक है।
शुक्र का अध्ययन करने का कारण:
- यह जानने में मदद करेगा कि पृथ्वी जैसे ग्रह कैसे विकसित होते हैं और पृथ्वी के आकार के एक्सोप्लैनेट (हमारे सूर्य के अलावा किसी अन्य तारे की परिक्रमा करने वाले ग्रह) पर क्या स्थितियाँ मौजूद हैं।
- यह पृथ्वी की जलवायु के प्रतिरूपण में मदद करेगा और एक चेतावनी के रूप में कार्य करता है कि किसी ग्रह की जलवायु कितने नाटकीय रूप से बदल सकती है।