शोधकर्त्ताओं ने ज़िका वायरस से होने वाले माइक्रोसेफली के कारणों का पता लगाया
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र के शोधकर्त्ताओं की एक टीम ने आणविक और सेलुलर क्रियाविधि की सफलतापूर्वक पहचान की है जिसके द्वारा ज़िका वायरस माइक्रोसेफली (मस्तिष्क का एक रोग) का कारण बनता है। शोधकर्त्ताओं के अनुसार माइक्रोसेफली (microcephaly) के साथ पैदा होने वाले शिशुओं का सिर (head) सामान्य शिशुओं की तुलना में काफी छोटे आकार के होते हैं।
प्रमुख बिंदु
- शोधकर्त्ताओं ने वायरस के एन्वेलोप (घिरे हुए) प्रोटीन (ई-प्रोटीन) की खोज करने में सफलता पाई है जो मस्तिष्क की स्टेम कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश के लिये, मानव भ्रूण तंत्रिका स्टेम कोशिकाओं के प्रसार को अवरोधित करने और न्यूरॉन जैसी बनने वाली कोशिकाओं को मारने के लिये ज़िम्मेदार है|
- इस वायरस का संयुक्त प्रभाव यह होता है कि मस्तिष्क में छोटे आकार में वृद्धि कर रही भ्रूण जैसी मस्तिष्क कोशिकाओं के पूल को कम कर देता है।
- ज़िका वायरस में ई प्रोटीन उत्परिवर्तित (mutate) हो जाता है और यह डेंगू, वेस्ट नाइल वायरस (west nilevirus), पीले बुखार (yellow fever) तथा जापानी एन्सेफलाइटिस जैसे अन्य फ्लैविवायरस (flavivirus) के एन्वेलोप (envelop) प्रोटीन से बहुत अलग होता है।
- जब चार प्रोटीन जिन्हें पहले से ही अन्य फ्लैविवायरस में पहचाना जा चुका है, स्पष्ट रूप से प्रकट हुए [अधिक मात्रा में उत्पन्न हुए] तथा मस्तिष्क स्टेम कोशिकाओं के प्रसार को रोकने में ई प्रोटीन अधिक शक्तिशाली पाया गया। अन्य तीन प्रोटीन कम महत्त्वपूर्ण तरीके से कार्य कर रहे थे। इसलिये शोधकर्त्ताओं ने ई प्रोटीन का आगे अध्ययन करना बेहतर समझा।
- ई प्रोटीन के संपर्क में आने के बाद यह समझने के लिये कि स्टेम सेल आरएनए कैसे प्रभावित होता है, शोधकर्त्ताओं ने स्टेम कोशिकाओं के आरएनए को भी अनुक्रमित किया|
- आरएनए को अनुक्रमित करने पर उन्होंने पाया कि ई प्रोटीन की उपस्थिति में स्टेम कोशिकाओं के 25 माइक्रोआरएनए या तो बहुत अधिक या बहुत कम प्रकट हो पाए थे।
- शोध के दौरान पाया गया कि दो माइक्रो आरएनए मानव जीन के प्रकट होने की स्थिति को नियंत्रित करते हैं और मस्तिष्क के विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और स्वयं (स्टेमनेस) को नवीनीकृत करने के लिये स्टेम कोशिकाओं की क्षमता को बनाए रखते हैं।
- जब स्टेम सेल विभाजित होना शुरू करते हैं तो एक सेल स्वयं नवीनीकृत हो जाता है और एक स्टेम सेल बन जाता है, जबकि दूसरा मस्तिष्क कोशिका बनने का अनुसरण करता है। जबकि ई प्रोटीन स्टेम कोशिकाओं को मारने में असमर्थ था क्योंकि यह बहुत अधिक लचीला होता है, यह न्यूरॉन्स को नष्ट करने में सक्षम था।
- न्यूरॉन्स न्यूरोटॉक्सिन के लिये अधिक संवेदनशील होते हैं और ये विभाजित नहीं होते हैं। इस प्रकार कम मस्तिष्क कोशिकाएँ मस्तिष्क के छोटे आकार की ओर ले जाती हैं|
- निष्कर्षों को प्रमाणित करने के लिये शोधकर्त्ताओं ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) कानपुर में प्रोफेसर जोनाकी सेन के सहयोग से 13.5 दिनों के गर्भावस्था वाले चूहों में ई प्रोटीन को डाला और दो दिन बाद उनके मस्तिष्क को बाहर निकाला। उन्होंने देखा कि स्टेम कोशिकाएँ संख्या में कम हो गई थीं और उनका प्रसार रुक गया था|