राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निस्तारण आयोग

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के किसानों को भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited-IFFCO) द्वारा लगभग 5 लाख रुपए का मुआवजा दिया गया है। इफको द्वारा किसानों को ग्वार के खराब बीज बेचे जाने के कारण यह क्षतिपूर्ति दी गई है, इन खराब बीजों के कारण किसानों की 70% फसल नष्ट हो गई थी। किसानों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission-NCDRC) में अपील दर्ज कराई थी जिसके प्रत्युत्तर में यह निर्णय लिया गया है।

पृष्ठभूमि

  • यह उपभोक्ता विवादों के मितव्ययी, शीघ्र और संक्षिप्त निवारण प्रदान करने के लिये स्थापित किया गया था।
  • यह भारत का एक अर्द्ध-न्यायिक आयोग है जिसे वर्ष 1988 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित किया गया था।
  • इस आयोग की अध्यक्षता भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आसीन या सेवानिवृत्त जज द्वारा की जाती है।

अधिनियम के प्रावधान:

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act), 1986 की धारा 21 में प्रावधान है कि एनसीडीआरसी के अधिकार क्षेत्र में निम्नलिखित को शामिल किया जाएगा:
  • एक करोड़ से अधिक मूल्य की शिकायत का निवारण करना; राज्य आयोग या ज़िला स्तरीय मंच के आदेश से अपील एवं पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार के अनुरूप कार्य करना।
  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act), 1986 की धारा 23 में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति जो NCDRC के आदेश से संतुष्ट नहीं है, 30 दिनों के भीतर भारत के सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।
  • इस अधिनियम के प्रावधानों में 'वस्तुओं' के साथ-साथ 'सेवाओं' को भी शामिल किया जाता है।
  • अपीलीय प्राधिकारी (Appellate authority): यदि कोई उपभोक्ता ज़िला फोरम के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह राज्य आयोग में अपील कर सकता है। राज्य आयोग के आदेश के खिलाफ उपभोक्ता राष्ट्रीय आयोग में अपील कर सकता है।