नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क (Nandankanan Zoological Park)
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिज़र्व से पकड़ी गई बाघिन को नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क में स्थानांतरित करने के कदम का विरोध किया है।
- राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति, 1998 के अनुसार, अनुमोदित प्रजनन कार्यक्रम के लिये जानवरों को प्राप्त करने और इनब्रिड समूहों में नए खून के संचार को छोड़कर, कोई चिड़ियाघर जंगल से जानवरों का चयन नहीं करेगा।
नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क
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इस पार्क की विशेषताएँ
- सफेद बाघ और मेलेनिस्टिक टाइगर की ब्रीडिंग वाला दुनिया का पहला चिड़ियाघर।
- व्हाइट टाइगर बंगाल टाइगर का एक दुर्लभ रूप है जिसमें एक अद्वितीय (अवशिष्ट) जीन होता है जो इसे सफेद रंग प्रदान करता है। सफेद बाघ, बाघ की कोई उप-विशिष्ट प्रजाति नहीं होती है। दो बंगाल टाइगर, जिनमें एक अवशिष्ट जीन होता है (वैसा जीन, जो इनकी त्वचा के रंग को प्रभावित करता है), के अंतर्संबंध से सफेद बाघ का जनम होता है।
- मेलेनिस्टिक टाइगर काला धारीदार होता है, इसे यह रंग इसके आनुवंशिक कारणों से मिलता है। शरीर में मेलेनिन वर्णक के विकास के कारण इनके शरीर पर काली धारियाँ बन जाती है। मेलेनिस्टिक टाइगर दुर्लभ प्रजाति है।
- दुनिया में भारतीय पांगोलिन का एकमात्र संरक्षित प्रजनन केंद्र।
- यह भारत का एकमात्र जूलॉजिकल पार्क है जो वाज़ा (World Association of Zoos and Aquarium - WAZA) का संस्थागत सदस्य बना है।
- वर्ष 1980 में विश्व में पहली बार नंदानकानन जूलॉजिकल पार्क में घडियालों का संरक्षित प्रजनन कराया गया।
- यह भारत का पहला चिड़ियाघर है, जहाँ लुप्तप्राय रटेल का संरक्षित प्रजनन हुआ।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (Central Zoo Authority)
- केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, एक सांविधिक निकाय (statutory body) है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में जानवरों के रख-रखाव और स्वास्थ्य देखभाल के लिए न्यूनतम मानकों तथा मानदंडों को लागू करना है।
- चिड़ियाघरों को वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के अनुसार विनियमित तथा राष्ट्रीय चिड़ियाघर नीति, 1992 द्वारा निर्देशित किया जाता हैं। 1991 में केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण स्थापित करने के लिये वन्य जीवन संरक्षण को संशोधित किया गया था।