राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (The National Commission of Minorities-NCM) ने उन राज्यों में हिंदुओं को ‘अल्पसंख्यक समुदाय’ घोषित करने की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है, जहाँ उनकी संख्या बहुत कम है।

प्रमुख बिंदु:

  • NCM का यह निर्णय एक वकील द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में आया है। दायर याचिका में यह कहा गया था कि या तो राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिये कुछ दिशा-निर्देश निश्चित किये जाएँ या फिर उन राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाए जहाँ उनकी संख्या काफी कम हैं।
  • NCM द्वारा इस संदर्भ में तीन सदस्यों (जॉर्ज कुरियन, मनजीत सिंह राय और आतिफ रशीद) की एक उप-समिति का गठन किया गया था।
  • NCM द्वारा गठित उप-समिति के अनुसार, अल्पसंख्यक आयोग का कार्य नए अल्पसंख्यक समुदायों का निर्धारण करना नहीं है, बल्कि इसका कार्य अल्पसंख्यकों के विकास को सुनिश्चित करना और उनके धार्मिक, सांस्कृतिक तथा शैक्षिक अधिकारों की रक्षा करना है।
  • उप-समिति द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि नए अल्पसंख्यक समुदायों के निर्धारण का अधिकार अल्पसंख्यक आयोग के पास नहीं है और इसलिये NCM इसका प्रयोग नहीं कर सकती है। ज्ञातव्य है कि केवल केंद्र सरकार के पास ही किसी भी समुदाय को अल्पसंख्यक समुदाय घोषित करने का अधिकार है।
  • इसके अतिरिक्त वर्ष 1992 के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम की धारा 2(c) में भी यह स्पष्ट किया गया है कि किसी भी समुदाय को ‘अल्पसंख्यक’ घोषित करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है।
  • उप-समिति की रिपोर्ट में वर्ष 1999 के बाल पाटिल बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें NCM के कार्यों की विस्तृत व्याख्या की गई थी।

क्या था सर्वोच्च न्यायालय का फैसला?

  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गए फैसले के अनुसार, अल्पसंख्यक आयोग का संवैधानिक लक्ष्य “ऐसी सामाजिक परिस्थितियों का निर्माण करना है जिसमें अल्पसंख्यकों के हितों एवं अधिकारों की रक्षा करने की आवश्यकता नहीं होती।”
  • न्यायालय के अनुसार, यदि अल्पसंख्यक का दर्जा धार्मिक विचारों और कम संख्यात्मक शक्ति के आधार पर दिया जाएगा तो देश के सभी छोटे बड़े समूहों के मध्य सामूहिक संघर्ष उत्पन्न हो जाएगा और सभी एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लग जाएँगे।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

(The National Commission of Minorities-NCM)

  • अल्पसंख्यक आयोग एक सांविधिक निकाय है।
  • इसकी स्थापना राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 के तहत की गई थी।
  • अधिनियम के अनुसार, किसी भी मामले की जाँच करते समय आयोग के पास दीवानी अदालत के अधिकार होंगे।
  • आयोग में केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत एक अध्यक्ष के साथ-साथ पाँच अन्य सदस्य शामिल होते हैं। अध्यक्ष तथा सदस्यों के संदर्भ में यह आवश्यक है कि वे सभी अल्पसंख्यक समुदाय से हों।
  • प्रमुख कार्य:
    • अल्पसंख्यकों की प्रगति का मूल्यांकन करना।
    • अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिये केंद्र व राज्य सरकार को प्रभावी उपायों की सिफारिश करना।

स्रोत: द हिंदू