मीडिया विनियमन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) प्लेटफॉर्म को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने और मिडिया की स्वतंत्रता पर इसके प्रभावों के साथ ही इससे जुड़े अन्य महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ:

हाल ही में केंद्र सरकार ने इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन न्यूज़, समसामयिकी, मनोरंजन से जुड़े ऑडियो-वीडियो जैसे ‘ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) प्लेटफॉर्म को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने का आदेश दिया है। सरकार के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म की पहुँच में तेज़ी से हो रही वृद्धि के बीच इस पर निगरानी रखना बहुत ही आवश्यक हो गया है। वहीं कई सामाजिक कार्यकर्त्ताओं और इस क्षेत्र से जुड़े लोगों ने सरकार के कदम की आलोचना की है। केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद मीडिया के उस वर्ग को भी सरकार की निगरानी के दायरे में कर दिया जाएगा, जो कम-से-कम अब तक आधिकारिक रूप से स्वयं को सरकारी हस्तक्षेप से बाहर बताता रहा था। वर्तमान में जब विश्व के अन्य कई देशों के साथ भारत में भी कलाकारों और मीडियाकर्मियों पर हमलों या राजनीतिक हस्तक्षेप के माध्यम से उनकी वैचारिक स्वतंत्रता को दबाने के मामलों में वृद्धि देखने को मिली है, तो ऐसे समय में सरकार द्वारा OTT प्लेटफॉर्म पर प्रत्यक्ष नियंत्रण का यह कदम कई प्रश्न खड़े करता है।

पृष्ठभूमि:

  • सरकार के इस निर्णय के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को इंटरनेट पर उपलब्ध गैर-विनियमित ऑनलाइन मल्टीमीडिया के एक बड़े समूह पर निगरानी का अधिकार प्राप्त हो गया है, जिसमें ऑनलाइन समाचार, ओटीटी प्लेटफाॅर्म पर उपलब्ध फिल्म, वेब सीरीज़ आदि शामिल हैं।
  • इस आदेश से पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन कंटेंट सरकार द्वारा स्थापित सभी विनियमन प्रणालियों से बाहर थे।
  • वर्तमान में देश में मनोरंजन और समाचार प्रदाताओं के लिये स्वायत्त, सरकारी और स्व-नियामकीय निकायों की एक मिश्रित व्यवस्था (संबंधित प्लेटफॉर्म के आधार पर) लागू है।
  • गौरतलब है कि देश में निर्मित फिल्मों का विनियमन ‘चलचित्र अधिनियम, 1952’ (Cinematograph Act, 1952) के तहत किया जाता है।
  • वहीं टेलिविज़न पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों की निगरानी ‘केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995’ के तहत सुनिश्चित की जाती है।
  • इसी प्रकार समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण द्वारा टेलिविज़न समाचारों को विनियमित किया जाता है।
    • समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) द्वारा स्थापित एक स्वायत्त निकाय है जो समाचार चैनलों के प्रसारण के विरुद्ध शिकायतों पर विचार करता है।
  • जबकि अखबारों और प्रिंट मीडिया के मामले में निगरानी और विनियम का कार्य भारतीय प्रेस परिषद (Press Council of India-PCI) द्वारा किया जाता है जो कि एक सांविधिक विधिक निकाय है।
  • इसके अतिरिक्त सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास टेलिविज़न चैनलों द्वारा ‘केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995’ के तहत निर्धारित प्रोग्रामिंग और विज्ञापन कोड के उल्लंघन के मामलों में उन्हें दंडित करने का प्रावधान है, इसके लिये शिकायतें सीधे मंत्रालय को या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनीटरिंग सेंटर के आंतरिक तंत्र के माध्यम से भेजी जा सकती हैं।

ओटीटी प्लेटफॉर्म:

ओटीटी (OTT) सेवाओं से आशय ऐसे एप या सेवाओं से जिनका उपयोग उपभोक्ताओं द्वारा इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। OTT शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियोस्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सॉल्यूशन के संदर्भ में भी इसका प्रयोग होता है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन समाचारों के विनियमन के पूर्व प्रयास :

  • सरकार द्वारा पिछले कुछ समय से ओटीटी प्लेटफॉर्म के विनियमन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जा रहा था।
  • अक्तूबर 2019 में सरकार ने नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार जैसी वीडियो स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिये एक ‘नकारात्मक’ (सेवा प्रदाताओं द्वारा जिन कार्यों को नहीं किया जाना चाहिये) सूची जारी करने का संकेत दिया था।
  • सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म से जुड़े सेवा प्रदाताओं से ‘समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण’ की तरह ही एक स्व-नियामक निकाय स्थापित करने की इच्छा भी व्यक्त की थी।
  • जनवरी 2019 में 8 वीडियो स्ट्रीमिंग सेवा प्रदाताओं ने एक स्व-नियामक संहिता पर हस्ताक्षर किये थे, इसके तहत इन प्लेटफाॅर्मों पर मीडिया सामग्री के प्रसारण हेतु मार्गदर्शक सिद्धांतों को निर्धारित किया गया। इस संहिता के तहत पाँच प्रकार की मीडिया सामग्री के प्रसारण को प्रतिबंधित किया गया।
    1. ऐसी मीडिया सामग्री जो जान-बूझकर और दुर्भावना से राष्ट्रीय प्रतीक या राष्ट्रीय ध्वज का अनादर करती है।
    2. कोई भी दृश्य या कथानक जो बाल पोर्नोग्राफी को बढ़ावा देता है।
    3. कोई भी मीडिया सामग्री जो "दुर्भावनापूर्वक" धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने का प्रयास करती है।
    4. कोई भी मीडिया सामग्री जो "जान-बूझकर या दुर्भावनापूर्वक" आतंकवाद को प्रोत्साहित करती है।
    5. कोई भी मीडिया सामग्री जिसे कानून या न्यायालय द्वारा प्रदर्शन या वितरण के लिये प्रतिबंधित किया गया है।
  • नवंबर 2019 में सरकार द्वारा ‘प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक’ का एक मसौदा प्रस्तुत किया गया था, इसका उद्देश्य 150 वर्ष पुराने ‘प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867‘ को प्रतिस्थापित करना था।
  • यह पहला मौका था जब सरकार ने प्रिंट पब्लिकेशन के समान ही ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफाॅर्म को निगरानी के दायरे में लाने का प्रयास किया, इस मसौदे में डिजिटल मीडिया पर उपलब्ध समाचारों को ‘डिजिटल स्वरूप के ऐसे समाचार के रूप में परिभाषित किया गया जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर या मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है’ और इसमें टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो तथा ग्राफिक्स शामिल हैं।
  • गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से देश में दूरसंचार कंपनियों द्वारा निशुल्क वाॅइस और मैसेजिंग सेवा देने वाले OTT प्लेटफाॅर्मों के विनियमन की मांग की जा रही है।

ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन समाचारों के विनियमन हेतु प्रस्तावित प्रणाली:

  • वर्तमान में सरकार द्वारा इस आदेश के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन समाचार के विनियमन के लिये अपनाई जाने वाली प्रणाली के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है।
  • हालाँकि ऐसा अनुमान है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन समाचार के विनियमन हेतु नियमों के निर्धारण के लिये सरकार द्वारा टीवी प्रसारण के विनियमन हेतु प्रयोग किये जाने वाले प्रोग्राम कोड को एक आधार के रूप में लिया जा सकता है।
  • वर्तमान में वर्ष 2008 में स्थापित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मॉनीटरिंग सेंटर को टीवी पर प्रसारित सामग्रियों की निगरानी का कार्य सौंपा गया है।

विनियमन का कारण:

  • हाल के वर्षों में देश में ओटीटी प्लेटफॉर्म की पहुँच में व्यापक वृद्धि (वर्ष 2019 में 17 करोड़ उपयोगकर्त्ता) हुई है और COVID-19 महामारी के कारण सिनेमाघरों के बंद रहने के दौरान इसका व्यापार कई गुना बढ़ा है।
  • किसी विनियमन या निगरानी प्रणाली के अभाव में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर संवेदनशील या आपत्तिजनक सामग्री को बहुत ही कम समय में एक बड़ी आबादी (कम उम्र के बच्चों सहित) तक आसानी से प्रसारित किया जा सकता है।
  • पिछले एक वर्ष में उच्चतम न्यायालय के साथ देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर प्रसारित अविनियमित सामग्री के विरूद्ध कई मामले दर्ज किये गए हैं।
  • अक्तूबर 2020 में उच्चतम न्यायालय ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के संदर्भ में दाखिल एक याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और ‘इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (IAMAI) से मामले में अपना पक्ष रखने को कहा था।
  • ओटीटी प्लेटफॉर्म को छोड़कर देश में सक्रिय अन्य सभी मीडिया तंत्रों के विनियमन हेतु प्रणालियाँ पहले से स्थापित की जा चुकी हैं।

विरोध और चिंताएँ:

  • वर्तमान में देश में सक्रिय OTT प्लेटफाॅर्म ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ के दायरे में आते हैं।
  • ऐसे में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर किसी आपत्तिजनक सामग्री की सूचना मिलने पर न्यायालय अथवा सरकारी एजेंसी से इस संदर्भ में निर्देश जारी कर उसे हटाने के लिये कहा जा सकता है। ऐसे में सरकार द्वारा OTT प्लेटफाॅर्मों पर प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के निर्णय से कई चिंताएँ उठने लगी हैं।
  • उच्चतम न्यायालय में एक टीवी चैनल पर आपत्तिजनक सामग्री के प्रसारण के मामले में सरकार द्वारा दायर हलफनामे में न्यायालय से मुख्यधारा के टीवी चैनलों से पहले डिजिटल मीडिया के विनियमन पर विचार की मांग की गई। इस हलफनामे से स्पष्ट है कि सरकार OTT प्लेटफाॅर्म और वेब न्यूज़ पोर्टल के मामले में अधिक चिंतित दिखाई देती है, जो सरकार की मंशा पर प्रश्न उठाता है।
  • विरोधकर्त्ताओं के अनुसार, सरकार द्वारा डिज़िटल मीडिया, टीवी और प्रिंट समाचार प्रदाताओं के बीच काल्पनिक विभाजन कर उनमें फूट डालने का प्रयास किया जा रहा है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और भारतीय प्रेस की तुलना केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय से नहीं की जानी चाहिये। साथ ही कई स्वायत्त निकायों के तहत संचालित समाचार प्रसारकों की स्वतंत्रता को लेकर भी कई बार सवाल उठते रहे हैं।
  • OTT प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया पर सरकार द्वारा अनावश्यक नियंत्रण का प्रयास भारतीय संविधान में प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मूल्यों के खिलाफ माना जा सकता है।
  • प्रसारकों द्वारा OTT प्लेटफाॅर्म के स्व-विनियमन के प्रस्ताव को सरकार ने अपर्याप्त/असंतोषजनक बताते हुए अस्वीकार कर दिया था, जबकि इसमें व्याप्त कमियों को रेखांकित कर सरकार द्वारा अन्य अपेक्षित सुधारों के साथ इसे लागू किया जा सकता था।

चुनौतियाँ:

  • देश में सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ-साथ OTT प्लेटफाॅर्म और सोशल मीडिया की पहुँच में वृद्धि से छोटे प्रसारकों और स्वतंत्र पत्रकारों को लोगों से जुड़ने का एक मज़बूत माध्यम प्राप्त हुआ है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, OTT प्लेटफॉर्म अभी अपने विकास के प्रारंभिक चरण में हैं ऐसे में सरकार द्वारा अत्यधिक सख्ती के कारण इन प्लेटफाॅर्मों (विशेषकर इस क्षेत्र की प्रतिस्पर्द्धा में शामिल भारतीय प्रसारक) का विकास प्रभावित हो सकता है।
  • ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders) द्वारा जारी ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक, 2020’ में भारत को 180 देशों की सूची में 142वें स्थान पर रखा गया था, गौरतलब है की हाल के वर्षों में इस सूचकांक में भारत के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है (2016 में 133वें, 2017 में 136वें, 2018 में 138वें और 2019 में 140वें)। ऐसे में सरकार द्वारा मीडिया को प्रत्यक्ष रूप से विनियमित करने का कोई भी कदम मीडिया स्वतंत्रता के लिये चिंता का कारण बन सकता है।

आगे की राह:

  • मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना गया है, देश की स्वतंत्रता से लेकर आज़ाद भारत में लोकतंत्र में पारदर्शिता और जनता की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने में मिडिया की भूमिका बहुत ही महत्त्वपूर्ण रही है। हालाँकि वर्तमान समय में मीडिया के स्वरूप में तेज़ी से हो रहे बदलाव के बीच इसके कार्यों में पारदर्शिता और जनता के प्रति उत्तरदायित्त्व की स्पष्टता का होना बहुत ही आवश्यक है।
  • OTT प्लेटफाॅर्म और ऑनलाइन मीडिया पर सरकार के प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की बजाय स्व-विनियमन की प्रणाली को मज़बूत किया जाना चाहिये। साथ ही मीडिया के संदर्भ में अलग-अलग निकायों के मापदंडों के बीच व्याप्त अंतर को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिये।
  • गलत सूचनाओं या दुष्प्रचार से बचने के लिये प्रसारकों और मीडियाकर्मियों को सरकार के साथ मिलकर इसके विरुद्ध कड़े कानूनी प्रावधान बनाने पर कार्य करना चाहिये।

अभ्यास प्रश्न: केंद्र सरकार द्वारा ‘ओवर द टॉप’ या ‘ओटीटी’ प्लेटफाॅर्म सहित इंटरनेट पर उपलब्ध कुछ अन्य सामग्रियों के विनियमन हेतु इन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के दायरे में लाने के निर्णय की तर्क सहित समीक्षा कीजिये। साथ ही भारत में ‘ओवर द टॉप’ प्लेटफॉर्म के तीव्र प्रसार से जुड़ी चुनौतियों और इसके समाधान के संभावित उपायों पर प्रकाश डालिये।