विश्व की विभिन्न कृषि पद्धतियों को अपनाना

प्रिलिम्स के लिये:

इंटर क्रॉपिंग, रिले प्लांटेशन, साइल मल्चिंग 

मेन्स के लिये:

विश्व की विभिन्न कृषि पद्धतियों का भारत के लिये महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शोध किये गए दस्तावेज़ों के अनुसार, "इंटर क्रॉपिंग के साथ एकीकृत खेती पर्यावरणीय पदचिह्न को कम करते हुए खाद्य उत्पादन को बढ़ाती है", भारत में छोटे भूमि धारक अधिक अनाज पैदा कर सकते हैं और पर्यावरणीय पदचिह्न को कम कर सकते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष:
    • "रिले प्लांटेशन" उपज बढ़ाता है:
      • रिले प्लांटेशन का अर्थ है एक ही खेत में एक ही मौसम में विभिन्न फसलों का रोपण।
      • उदाहरण: तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र में छोटे किसान रिले खेती से पैसा कमा रहे हैं। वे प्याज, हल्दी, मिर्च, अदरक, लहसुन और यहाँ तक कि कुछ देशी फल भी लगाते हैं, इस प्रकार इस बीच के समय के दौरान लाभ कमाते हैं।
      • इसमें श्रम का बेहतर प्रयोग होता है, कीड़े कम फैलते हैं और फलियाँ मिट्टी में नाइट्रोजन का प्रसार करती हैं।
      • हालाँकि रिले क्रॉपिंग में कठिनाइयाँ होती हैं, अर्थात् इसके लिये मशीनीकरण और प्रबंधन की अधिक आवश्यकता है।
    • स्ट्रिप क्रॉपिंग अधिक लाभकारी:
      • स्ट्रिप क्रॉपिंग का उपयोग अमेरिका में किया गया है (जहाँ खेत भारत की तुलना में बड़े हैं), वहाँ किसान वैकल्पिक तरीके से एक ही खेत में मकई और सोयाबीन के साथ गेहूँ उगाते हैं। हालाँकि इसके लिये बड़ी भूमि की आवश्यकता होती है।
      • भारत में जहाँ बड़े खेत हैं (जैसे कि शहरों और राज्य सरकारों के स्वामित्व वाले), भूमि को पट्टियों में विभाजित किया जाता है तथा फसलों के बीच घास की पट्टियों को उगने के लिये छोड़ दिया जाता है।
      • वृक्षारोपण से पश्चिमी भारत में रेगिस्तान को स्थिर करने में मदद मिली है।
    • साइल मल्चिंग और नो टिल:
      • "साॅइल मल्चिंग", यानी उपलब्ध साधन जैसे- गेहूँ या चावल के भूसे के प्रयोग से मृदा में  सुधार करना साॅइल मल्चिंग कहलाता है।
      • पारंपरिक मोनोकल्चर फसल की तुलना में ‘नो-टिल’ या कम जुताई वार्षिक फसल की उपज को 15.6% से 49.9% तक बढ़ा देती है और पर्यावरण के पदचिह्न को 17.3% तक कम कर देती है।
      • हालाँकि भारत में छोटे किसानों के लिये ये तरीके आसान नहीं हैं, लेकिन कम-से-कम बड़े खेतों में इनका अभ्यास किया जा सकता है।
      • मिट्टी की मल्चिंग के लिये आवश्यक है कि सभी खुली मिट्टी को पुआल, पत्तियों और इसी तरह से ढक दिया जाए, तब भी जब भूमि उपयोग में हो।
      • कटाव को कम कर नमी बरकरार रखी जाती है और लाभकारी जीवों, जैसे केंचुआ का प्रयोग किया जाता है, इससे मिट्टी की जुताई न करने पर भी वही लाभ मिलता है।
  • भारत के लिये महत्त्व:
    • वर्तमान आँकड़े के अनुसार, देश में छोटे किसानों की एक बड़ी आबादी है, जिनमें से कई के पास 2 हेक्टेयर से भी कम भूमि है।
    • भारत के लगभग 70% ग्रामीण परिवार अभी भी अपनी आजीविका के लिये मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं, जिसमें 82% किसान छोटे और सीमांत हैं।
    • कुछ स्रोतों के अनुसार सभी किसानों में से केवल 30% औपचारिक स्रोतों से उधार लेते हैं।
      • राज्य सरकारों की ओर से कृषि ऋण माफी इस संबंध में मददगार रही है।

स्रोत: द हिंदू