केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
राजस्थान सरकार ने आर्द्रभूमि प्रजातियों को प्रदर्शित करने हेतु भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में लोकप्रिय विश्व धरोहर स्थल केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर एक चिड़ियाघर बनाने का प्रस्ताव किया है।
- वेटलैंड एक्स-सीटू कंज़र्वेशन इस्टैब्लिशमेंट (Wetland ex-situ Conservation Establishment- WESCE) कहे जाने वाले इस चिड़ियाघर का उद्देश्य गैंडों, जल भैंसों, मगरमच्छों, डॉल्फिन और विदेशी प्रजातियों सहित आर्द्रभूमि प्रजातियों की एक शृंखला को प्रदर्शित करना है।
वेटलैंड एक्स-सीटू कंज़र्वेशन इस्टैब्लिशमेंट:
- WESCE का उद्देश्य केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान की जैव विविधता को पुनर्जीवित करना है ताकि इसके उत्कृष्ट सार्व
- भौमिक मूल्यों को बढ़ावा मिले।
- WESCE योजना महत्त्वाकांक्षी राजस्थान वानिकी और जैवविविधता विकास परियोजना (Rajasthan Forestry and Biodiversity Development Project- RFBDP) का हिस्सा है, जिसके लिये फ्राँस सरकार की विदेशी विकास शाखा (Agence Française de Développement- AFD) ने आठ वर्षों में 12 करोड़ रुपए की धनराशि देने पर सहमति जताई है।
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कई सुविधाओं हेतु योजना बनाई गई है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- स्थानीय रूप से विलुप्त प्रजातियों (ऊदबिलाव, मछली पकड़ने वाली बिल्लियों, काले हिरण, हॉग हिरण आदि) के लिये एक प्रजनन और पुन: परिचय केंद्र।
- गंगा डॉल्फिन, मगरमच्छ जैसी स्वदेशी प्रजातियों हेतु एक मत्स्यालय; भारतीय राइनो, वाटर बफेलो, बारहसिंघा (दलदली हिरण) जैसी बड़ी आर्द्रभूमि प्रजातियों के प्रदर्शन के लिये बाड़े आदि।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान:
- परिचय:
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्षी विहारों में से एक है।
- चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को वर्ष 1981 में भारत के पहले रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी गई थी।
- वर्तमान में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और लोकटक झील (मणिपुर), मॉन्ट्रेक्स रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
- यह अपनी समृद्ध पक्षी विविधता और जल पक्षियों की बहुलता के लिये प्रसिद्ध है। यह उद्यान पक्षियों की 365 से अधिक प्रजातियों का घर है, जिसमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ शामिल हैं, जैसे कि साइबेरियाई क्रेन।
- उत्तरी गोलार्द्ध के दूर-दराज़ के क्षेत्रों से विभिन्न प्रजातियाँ प्रजनन हेतु अभयारण्य में आती हैं। साइबेरियन क्रेन उन दुर्लभ प्रजातियों में से एक है जिसे यहाँ देखा जा सकता है।
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान के भरतपुर में स्थित एक आर्द्रभूमि और पक्षी अभयारण्य है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और दुनिया के सबसे महत्त्वपूर्ण पक्षी विहारों में से एक है।
- पशु वर्ग:
- इस क्षेत्र में सियार, सांभर, नीलगाय, जंगली बिल्लियाँ, लकड़बग्घे, जंगली सूअर, साही और नेवला जैसे जानवर देखे जा सकते हैं।
- वनस्पति वर्ग:
- प्रमुख वनस्पति प्रकार उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन हैं जो शुष्क घास के मैदान के साथ मिश्रित बबूल निलोटिका प्रभुत्त्व वाले क्षेत्र हैं।
- नदियाँ:
- गंभीर और बाणगंगा दो नदियाँ हैं जो इस राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हैं।
राजस्थान में संरक्षित क्षेत्र:
- टाइगर रिज़र्व:
- सवाई माधोपुर में रणथंभौर टाइगर रिज़र्व (RTR)
- अलवर में सरिस्का टाइगर रिज़र्व (STR)
- कोटा में मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व (MHTR)
- राष्ट्रीय उद्यान:
- डेज़र्ट नेशनल पार्क, जैसलमेर
- वन्यजीव अभ्यारण्य:
- सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, उदयपुर
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के तिराहे (त्रिकोणीय जंक्शन) पर
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |