गाजा पट्टी पर इजराइल-फिलिस्तीन फिर आमने-सामने

चर्चा में क्यों?
कुछ दिनों पहले गाज़ा पट्टी से लगी इज़राइल सीमा पर फिलिस्तीनियों द्वारा इज़राइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। किंतु इसी दौरान इज़राइली सैनिकों पर हमले की प्रतिक्रिया में इज़राइली सैनिकों ने भी गोलीबारी की जिसमें लगभग 18 फिलिस्तीनी मारे गए। जहाँ संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय यूनियन, एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा इस गोलीबारी की स्वंतत्र जाँच कराने की मांग की गई है वहीं इज़राइल के अनुसार इन मृतकों में इज़राइल और पश्चिमी देशों द्वारा आतंकी संगठन घोषित किये गए हमास के लोग थे। इसलिये इसकी जाँच नहीं की जाएगी।

इज़राइल- गाज़ा पट्टी सीमा पर हालिया घटनाक्रम 

  • इज़राइल-गाजा पट्टी सीमा पर गोलीबारी के दिन फिलिस्तीन द्वारा छह हफ़्तों तक चलने वाला विरोध प्रदर्शन जिसे ‘ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न’ नाम दिया गया था, शुरू किया जाना था। 
  • ये विरोध प्रदर्शन 30 मार्च से शुरू हुए थे जिसे फिलिस्तीन ज़मीन दिवस के रूप में मनाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसी दिन 1976 में फिलिस्तीन पर इज़राइल के कब्ज़े का विरोध करने वाले 6 नागरिकों को इज़राइली सैनिकों ने मार दिया था। 
  • ये विरोध प्रदर्शन 15 मई तक चलेंगे जिसे फिलिस्तीन में नकबा (कयामत) के तौर पर मनाया जाता है। 1948 में इसी दिन इज़राइल  की स्थापना हुई थी जिसके कारण फिलिस्तीनियों को अपनी ज़मीन छोड़नी पड़ी थी।
  • इज़राइल  की सेना गाजा पट्टी पर नो-गो जोन (NO-GO Zone) की रखवाली करती है। फिलिस्तीन के ज़मीन दिवस पर बड़े विरोध प्रदर्शन की आंशका के चलते यहाँ सैनिकों की संख्या में बढ़ोतरी की गई थी ताकि फिलिस्तिनियों को सीमा पार करने से रोका जा सके।
  • इज़राइली डिफेंस फोर्स (IDF) के मुताबिक ज़मीन दिवस के दिन करीब 17 हज़ार फिलिस्तीनी नागरिक सीमा को पार करने का प्रयास कर रहे थे। इन्हें रोकने के लिये इज़राइली सेना द्वारा इन पर हमला किया गया। 
  • फिलिस्तीनी प्रदर्शनकारी अपनी भूमि पर वापस बसने की मांग कर रहे हैं। 1948 में इज़राइल  के निर्माण के समय उनके परिवारों को वहाँ से निर्वासित होना पड़ा था।
  • लेकिन इज़राइल  का मानना है कि यहाँ पर अरबों के बसने से यहूदी आबादी पर ख़तरा बढ़ जाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अनुसार गाजा पट्टी में इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष और बढ़ सकता है।

गाज़ा स्ट्रिप अथवा पट्टी

  • मिस्र और इज़राइल के मध्य भूमध्यसागरीय तट पर अवस्थित गाजा पट्टी 225 वर्ग किमी. में फैला हुआ फिलिस्तीनी क्षेत्र है जिस पर लगभग 2 मिलियन लोग अधिवासित हैं।
  • ये सभी लोग प्रथम अरब- इजराइल युद्ध के शरणार्थी और उनके वंशज हैं। यह हमास संगठन द्वारा प्रशासित क्षेत्र है, जिसे इज़राइल में एक आतंकी संगठन माना जाता है।
  • 1947 के बाद जब UN ने फिलिस्तीन को एक यहूदी और एक अरब राज्य में बाँट दिया था तो उसके बाद से फिलिस्तीन और इज़राइल आपस में संर्घषरत हैं जिसमें एक अहम मुद्दा इज़राइल को यहूदी राज्य के रूप में मान्यता देना है तो दूसरा गाजा पट्टी पर अधिकार को लेकर विवाद है।
  • लगभग एक दशक से यह क्षेत्र इज़राइली नाकाबंदी के अधीन है। अब मिस्र ने भी इस क्षेत्र को अलग- थलग करने के लिये नाकाबंदी का समर्थन किया है। गाज़ा पट्टी से लोगों और सामान का आवागमन सख्त रूप से प्रतिबंधित है।

निष्कर्ष

  • हाल ही में हुए इस संघर्ष के कारणों को निष्पक्ष जाँच से ही खोजा जा सकता है। लेकिन अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ऐसी जाँच के प्रयासों को रोकने का समर्थन किया है।
  • 2009 के गाज़ा युद्ध की जाँच के लिये संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त आयोग ने इज़राइल  और फिलिस्तीनी आतंकवादियों दोनों पर ही युद्ध अपराध के आरोप लगाए हैं।
  • हालाँकि अधिकांश पश्चिमी देशों द्वारा हमास को एक आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है लेकिन इज़राइल को इसके कार्यों के लिये शायद ही कभी ज़िम्मेदार ठहराया गया है। 
  • फिलिस्तीनी नेतृत्व भी इसके लिये ज़िम्मेदार है। गाजा और वेस्ट बैंक दो प्रतिद्वंद्वी गुटों हमास और फतह द्वारा शासित हैं। एकता की कई घोषणाओं के बावजूद, गाज़ा के लोगों की पीड़ा को कम करने के लिये कोई संयुक्त प्रयास नहीं किये गए हैं।
  • फिर भी आगे की राह यही है कि इस नवीनतम हिंसक घटनाक्रम की अंतर्राष्ट्रीय जाँच होनी चाहिये और वैश्विक शक्तियों को गाज़ा को पूरी तरह से पतन से बचाने के लिये तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिये और गाज़ा पट्टी के अवैध नाकाबंदी को समाप्त करने के लिये इज़राइल पर दबाव डालना चाहिये।