अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक-2019

प्रीलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (गठन एवं इसके कार्य), अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 (International Financial Services Centres Authority Bill, 2019) को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया।

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प्रमुख बिंदु

  • यह विधेयक भारत में विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone- SEZ) के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (International Financial Services Centres- IFSCs) में वित्तीय सेवा बाज़ार को विकसित और विनियमित करने के लिये एक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान करता है।
  • यह विधेयक विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 के अंतर्गत सभी अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों पर लागू होगा।

पृष्ठभूमि:

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 6 फरवरी, 2019 को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को पेश करके सभी वित्तीय सेवाओं के नियमन के लिये एक एकीकृत प्राधिकरण की स्थापना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी थी। इसके बाद, तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री द्वारा 12 फरवरी, 2019 को राज्यसभा में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण विधेयक, 2019 को पेश किया गया था।
  • बाद में लोकसभा सचिवालय ने यह सूचित किया कि संविधान के अनुच्छेद 117 (1) के तहत यह एक वित्त विधेयक है और तदनुसार संविधान के अनुच्छेद 117 (1) और 274 (1) के तहत राष्ट्रपति की सिफारिश के साथ इसे लोकसभा में पेश किया जाना चाहिये।

विधेयक की प्रमुख विशेषताएँ:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण का गठन: प्रस्तुत विधेयक में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान है।

  • इस प्राधिकरण में केंद्र द्वारा नियुक्त नौ सदस्य होंगे। इनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा जिसके बाद इनकी दोबारा नियुक्ति की जा सकती है।
  • प्राधिकरण के सदस्यों में निम्नलिखित शामिल होंगे:
  1. चेयरपर्सन
  2. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) तथा पेंशन निधि विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (Pension Fund Regulatory and Development Authority-PFRDA) द्वारा नामित चार सदस्य
  3. वित्त मंत्रालय के दो अधिकारी
  4. चयन समिति के सुझाव पर नियुक्त दो सदस्य

प्राधिकरण के कार्य: प्राधिकरण के प्रमुख कार्यों में शामिल होंगे:

  • किसी IFSC में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों, जिन्हें विधेयक के लागू होने से पहले किसी विनियामक (जैसे- RBI या सेबी) द्वारा मंज़ूरी प्रदान की गई हो, को विनियमित करना।
  • किसी IFSC में वित्तीय उत्पादों, सेवाओं या संस्थानों को रेगुलेट करना, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए।
  • उन वित्तीय सेवाओं, उत्पादों और संस्थानों के संबंध में केंद्र सरकार को सुझाव देना, जिन्हें IFSC में मंज़ूर किया जा सके।

उपरोक्त के अलावा यह प्राधिकरण IFSCs में वित्तीय उत्पादों, सेवाओं और संस्थानों के विनियमन से संबंधित सभी शक्तियों का उपयोग करेगा, जिन्हें पहले संबद्ध विनियामकों द्वारा उपयोग किया जाता था। प्राधिकरण विनियमन के लिये उन्हीं प्रक्रियाओं और कार्यवाहियों (जैसे अपराधों की जाँच से संबंधित प्रक्रियाएँ) का पालन करेगा जिन प्रक्रियाओं और कार्यवाहियों का पालन दूसरे विनियामक प्राधिकरणों द्वारा किया जाता है।

प्रदर्शन समीक्षा समिति: विधेयक के अनुसार, यह प्राधिकरण अपने कामकाज की समीक्षा के लिये प्रदर्शन समीक्षा समिति (Performance Review Committee) का गठन करेगा।

  • इस समिति में प्राधिकरण के कम-से-कम दो सदस्य शामिल होंगे।
  • गठित समिति निम्नलिखित की समीक्षा करेगी:
  1. प्राधिकरण अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए या अपने कार्य करते हुए मौजूदा कानूनी प्रावधानों का अनुपालन कर रहा है अथवा नहीं।
  2. उसके द्वारा बनाए गए नियम पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाले और सुशासन कायम करने वाले हैं अथवा नहीं।
  3. प्राधिकरण अपने कामकाज में उचित तरीके से जोखिम प्रबंधन कर रहा है अथवा नहीं।

विदेशी मुद्रा में लेन-देन: विधेयक के अनुसार, IFSCs में वित्तीय सेवाओं के सभी लेन-देन उस मुद्रा/करेंसी में किये जाएंगे, जिसे प्राधिकरण केंद्र सरकार की सलाह से विनिर्दिष्ट करेगा।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण कोष: विधेयक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीस सेवा केंद्र प्राधिकरण कोष (International Financial Services Centres Authority Fund) की स्थापना का भी प्रावधान करता है। इस कोष में निम्नलिखित राशियाँ जमा की जाएंगी:

  • प्राधिकरण के सभी अनुदान, फीस और शुल्क।
  • केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित विभिन्न स्रोतों से प्राधिकरण को प्राप्त होने वाली राशि।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण की आवश्यकता:

  • वर्तमान में IFSCs बैंकिंग, पूंजी बाज़ार एवं बीमा क्षेत्र भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) तथा बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) जैसे अनेक नियामकों द्वारा नियंत्रित हैं। IFSC में कारोबार की गतिशील प्रकृति के कारण नियामकों के बीच अत्यधिक समन्वय की आवश्यकता है। IFSC में वित्तीय गतिविधियों का नियंत्रण करने वाले मौजूदा नियामकों में स्पष्टीकरणों तथा संशोधनों की भी आवश्यकता है।
  • IFSC में वित्तीय सेवाओं एवं उत्पादों के विकास के लिये केंद्रित एवं समर्पित नियामक हस्तक्षेपों की आवश्यकता होगी। इसलिये भारत में IFSC के लिये एक एकीकृत वित्तीय नियामक स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि वित्तीय बाज़ार के भागीदारों के लिये विश्वस्तरीय नियामक वातावरण उपलब्ध हो सके।
  • इसके अलावा कारोबारी सुगमता की दृष्टि से भी यह अनिवार्य होगा। एकीकृत प्राधिकरण के माध्यम से वैश्विक श्रेष्ठ प्रणालियों के अनुसार भारत में IFSC के विकास पर ज़ोर दिया जा सकेगा, जो अत्यंत आवश्यक है।

स्रोत: पी.आई.बी. एवं पी.आर.एस.