आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सहायक सचिवालय कार्यालय सहित आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन (International Coalition for Disaster Resilient Infrastructure-CDRI) की स्थापना को कार्योत्तर मंज़ूरी प्रदान कर दी है। इस प्रस्ताव को प्रधानमंत्री ने 13 अगस्त, 2019 को मंज़ूरी दी थी।

प्रमुख बिंदु

  • 23 सितंबर, 2019 को अमेरिका के न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन (UN Climate Action Summit) के दौरान CDRI की शुरुआत किये जाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाएगा।
  • संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा आयोजित यह शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और इसके परिणामस्वरूप होने वाली आपदाओं से निपटने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिये बड़ी संख्या में राष्ट्राध्यक्षों को एक साथ लाएगा तथा CDRI के लिये आवश्यक उच्च स्तर पर ध्यान देने योग्य बनाएगा।

अन्य बातों के अलावा निम्नलिखित पहलों को मंज़ूरी दी गईः

  1. नई दिल्ली में सहायक सचिवालय कार्यालय सहित आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन (CDRI) की स्थापना।
  2. सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम (Societies Registration Act), 1860 के अंतर्गत संस्था के रूप में CDRI के सचिवालय की नई दिल्ली में स्थापना ‘CDRI संस्था’ अथवा इससे मिलते-जुलते नाम से उपलब्धता के आधार पर की जाएगी।

3. CDRI को तकनीकी सहायता और अनुसंधान परियोजनाओं का निरंतर आधार पर वित्त पोषण करने, सचिवालय कार्यालय की स्थापना करने तथा बार-बार होने वाले खर्चों के लिये वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये आवश्यक राशि हेतु भारत सरकार की ओर से 480 करोड़ रुपए (लगभग 70 मिलियन डॉलर) की सहायता को सैद्धांतिक मंज़ूरी देना।
4. चार्टर दस्तावेज़ का समर्थित स्वरूप CDRI के लिये संस्थापक दस्तावेज़ का कार्य करेगा। NDMA द्वारा विदेश मंत्रालय के परामर्श से संभावित सदस्य देशों से जानकारी लेने के बाद इस चार्टर को अंतिम रूप दिया जाएगा।

प्रमुख प्रभावः

  • CDRI एक ऐसे मंच के रूप में सेवाएँ प्रदान करेगा, जहाँ आपदा और जलवायु के अनुकूल अवसंरचना के विविध पहलुओं के बारे में जानकारी जुटाई जाएगी और उसका आदान-प्रदान किया जाएगा।
  • यह विविध हितधारकों की तकनीकी विशेषज्ञता को एक स्थान पर एकत्र करेगा। इसी क्रम में यह एक ऐसी व्यवस्था का सृजन करेगा, जो देशों को उनके जोखिमों के संदर्भ तथा आर्थिक ज़रूरतों के अनुसार अवसंरचनात्मक विकास करने के लिये उनकी क्षमताओं और कार्यपद्धतियों को उन्नत बनाने में सहायता करेगी।
  • इस पहल से समाज के सभी वर्ग लाभांवित होंगे।

आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग, महिलाएँ और बच्चे आपदाओं के प्रभाव की दृष्टि से समाज का सबसे असुरक्षित वर्ग होते हैं तथा ऐसे में आपदा के अनुकूल अवसंरचना तैयार करने के संबंध में ज्ञान और कार्यपद्धतियों में सुधार होने से उन्हें लाभ पहुँचेगा। भारत में पूर्वोत्तर और हिमालयी क्षेत्र भूकंप के खतरे, तटवर्ती क्षेत्र चक्रवाती तूफानों एवं सुनामी के खतरे तथा मध्य प्रायद्वीपीय क्षेत्र सूखे के खतरे वाले क्षेत्र हैं।

नवाचारः

  • विभिन्न प्रकार की आपदा के जोखिम तथा विकास के संदर्भों वाले विभिन्न देशों में आपदा के जोखिम में कमी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर अनेक तरह की पहल तथा अवसंरचना विकास से संबंधित अनेक तरह की पहल मौजूद है।
  • आपदा के अनुकूल अवसंरचना के लिये वैश्विक संगठन उन चिंताओं को दूर करेगा, जो विकासशील और विकसित देशों, छोटी और बड़ी अर्थव्यवस्थाओं, अवसंरचना विकास की आरंभिक एवंर उन्नत अवस्था वाले देशों तथा मध्यम या उच्च आपदा जोखिम वाले देशों में समान रूप से विद्यमान हैं।
  • अवसंरचना पर ध्यान केंद्रित करते हुए सेंदाई फ्रेमवर्क (Sendai Framework), सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals-SDGs) और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (Climate Change Adaptation) के मिलन-बिंदु पर ठोस पहल से संबंधित कुछ कार्य हैं।
  • आपदा के अनुकूल अवसंरचना पर फोकस करने से एक ही समय पर सेंदाई फ्रेमवर्क के अंतर्गत हानि में कमी लाने से संबंधित लक्ष्यों पर ध्यान दिया जाएगा, अनेक SDGs पर ध्यान दिया जा सकेगा तथा जलवायु परिवर्तन से संबंधित अनुकूलन में भी योगदान मिलेगा। इसलिये आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के लिये स्पष्ट अवसर है।

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक जोखिम के खतरे से संबंधित सूचना का प्रकाशन होने से लोगों को अपने क्षेत्रों के जोखिम के बारे में समझने का अवसर मिलेगा तथा वे स्थानीय और राज्य सरकारों से जोखिम में कमी लाने तथा उससे निपटने के उपायों की मांग कर सकेंगे।

स्रोत: PIB