निर्धनों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के लिये पहलें
चर्चा में क्यों?
- सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल" राज्य सूची का विषय होने के नाते वहनीय कीमतों पर स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी संबंधित राज्य अथवा संघ-राज्य सरकारों की है।
- हालाँकि भारत सरकार ने नागरिकों, विशेष रूप से गरीब लोगों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के लिये कई कदम उठाए हैं। इस लेख में ऐसी ही कुछ सरकारी पहलों का संक्षिप्त विवेचन किया गया है।
सरकारी सहायता की आवश्यकता क्यों?
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा प्रकाशित नेशनल हेल्थ अकाउंट के अनुसार दवाओं का खर्च भारतीय परिवारों पर सबसे बड़ा वित्तीय बोझ है।
- 2014-15 में परिवारों द्वारा अपनी जेब से किये गए खर्च (Out-of-Pocket Spending-OOPS) का लगभग 42% दवाइयों पर व्यय किया गया। परिवारों द्वारा OOP खर्च का लगभग 28% निजी अस्पतालों में खर्च किया गया।
- OOPS वह धनराशि है जो किसी बीमा या स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत प्राप्त सहायता की बजाय स्वयं के द्वारा व्यय की जाती है। सभी सरकारी और निजी स्रोतों को शामिल करते हुए भारत के कुल स्वास्थ्य व्यय में OOPS का हिस्सा 62.6% है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
- सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के अंतर्गत आवश्यक दवाओं और नि: शुल्क नैदानिक जॉंच की सुविधा उपलब्ध कराकर ग्रामीण और शहरी स्वास्थ्य क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की गई है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में चार घटक शामिल हैं। जिनके नाम हैं- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन, तृतीयक देखभाल कार्यक्रम और स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा के लिये मानव संसाधन।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रजनन और बच्चों के स्वास्थ्य से परे ध्यान केंद्रित कर संक्रामक और गैर-संक्रामक बीमारियों के दोहरे बोझ से निपटने के साथ ही ज़िला और उप ज़िला स्तर पर बुनियादी ढाँचा सुविधाओं में सुधार किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत गतिविधियों में दो नए कार्यक्रम शामिल किये गए हैं। पहला कार्यक्रम मिशन इंद्रधनुष है जिसका उद्देश्य 2020 तक सभी बच्चों तक पहुँचने के लिये अभिनव और नियोजित दृष्टिकोण के माध्यम से 90 प्रतिशत से अधिक नवजातों का पूर्ण टीकाकरण करना है।
- दूसरा NHM के अंतर्गत 2016 में शुरू की गई पहल, कायाकल्प है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में साफ-सफाई की आदत डालने, स्वच्छता, प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और संक्रमण नियंत्रण है।
- कायाकल्प के तहत प्रतिस्पर्द्धा के लिये पुरस्कार देना शुरू किया गया है, जिसे सभी राज्यों ने बेहतर तरीके से लिया है और स्वच्छता मानकों में महत्त्वपूर्ण सुधार देखे जा रहे हैं।
जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK)
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 1 जून, 2011 को गर्भवती महिलाओं तथा रुग्ण नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये प्रारंभ।
- इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को मुफ्त दवाएँ एवं खाद्य, मुफ्त इलाज, जरूरत पड़ने पर मुफ्त खून दिया जाना, सामान्य प्रजनन के मामले में तीन दिनों एवं सी-सेक्शन के मामले में सात दिनों तक मुफ्त पोषाहार दिया जाता है।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK)
- इसका उद्देश्य 0 से 18 वर्ष के 27 करोड़ से भी अधिक बच्चों में चार प्रकार की परेशानियों की जाँच करना है। इन परेशानियों में जन्म के समय किसी प्रकार के विकार, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रुकावट की जाँच शामिल है।
- कमियों से प्रभावित बच्चों को NRHM के तहत तृतीयक स्तर पर नि:शुल्क सर्जरी सहित प्रभावी उपचार प्रदान किया जाता है।
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK)
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 7 जनवरी, 2014 को 10-19 वर्ष की आयु वर्ग के किशोरों के लिये शुरू किया गया यह स्वास्थ्य कार्यक्रम अन्य मुद्दों के अलावा पोषण, प्रजनन स्वास्थ्य और मादक द्रव्यों के सेवन को लक्षित करेगा।
- इस कार्यक्रम का मुख्य सिद्धांत किशोर भागीदारी और नेतृत्व, समता तथा समावेशन, लिंग समानता एवं अन्य क्षेत्रों व हितधारकों के साथ सामरिक भागीदारी है।
- इसके तहत किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य, पोषण, गैर-संचारी रोग, लिंग आधारित हिंसा और मादक पदार्थों के सेवन की रोकथाम पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त TB, एड्स, कुष्ठ और वेक्टर जनित रोगों से पीड़ित नागरिकों को नि:शुल्क इलाज़ उपलब्ध कराने के लिये निम्नलिखित राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी कार्यान्वयन किया जा रहा है:-
- संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP)
- राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP)
- राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP)
- राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP)
अन्य पहलें
- व्यापक प्राथमिक देखभाल प्रदान करने के लिये उप-स्वास्थ्य केंद्रों / प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को स्वास्थ्य और कल्याण (Health and Wellness Centre) केंद्र में बदलने का निर्णय।
- पाँच आम गैर-संक्रामक रोगों-उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मुँह, गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) और स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग तथा प्रबंधन।
- ज़िला अस्पतालों में गरीबों को नि: शुल्क डायलिसिस सेवाएँ प्रदान कराने के लिये प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम।
- अस्पतालों को मज़बूत बनाकर, राज्यों में एम्स संस्थानों की स्थापना और देश भर में मौजूदा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन के ज़रिये सार्वजनिक क्षेत्र में तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- राज्य सरकारों के सहयोग से 'जन-औषधि योजना' के अंतर्गत सभी को वहनीय कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराना।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (RSBY) फैमिली फ्लोटर आधार पर स्मार्ट कार्ड आधारित कैशलेस स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय आरोग्य निधि (RAN) के तहत प्राणघातक बीमारी से पीड़ित गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले रोगियों को किसी भी सुपर स्पेशियलिटी सरकारी अस्पताल / संस्थान में उपचार प्राप्त कराने के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।