विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस 2019
चर्चा में क्यों?
प्रत्येक वर्ष 17 जून को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस (World Day to Combat Desertification and Drought) का आयोजन किया जाता है। इस बार इस दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में आयोजित होने वाले समारोह में भारत ने सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की।
- वर्ष 2019 के लिये इसकी थीम ‘लेट्स ग्रो द फ़्यूचर टुगेदर’ (Let's Grow the Future Together) है।
- इस बार इसमें भूमि से संबंधित तीन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है- सूखा, मानव सुरक्षा और जलवायु।
- विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के अवसर पर आयोजित इस समारोह के दौरान भारत ने पहली बार ‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन’ (United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD) से संबंधित पक्षकारों के सम्मेलन के 14वें सत्र (Conference of Parties: COP-14) की मेज़बानी करने की घोषणा की।
- इस बैठक में लगभग 197 देशों के कम-से-कम 5,000 प्रतिनिधियों के भाग लेने का अनुमान है।
- इस बैठक का आयोजन 29 अगस्त से 14 सितंबर, 2019 के बीच और दिल्ली में किया जाएगा।
- इस समारोह के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने वन भूमि पुनर्स्थापन (forest landscape restoration) और भारत में बॉन चुनौती (Bonn Challenge) पर अपनी क्षमता बढाने के लिये एक फ्लैगशिप परियोजना (Flagship Project) की शुरुआत की।
- पर्यावरण मंत्री के अनुसार, भूमि के क्षरण से देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 30 प्रतिशत प्रभावित हो रहा है। भारत लक्ष्यों को प्राप्त करने के साथ-साथ इस समझौते के प्रति संकल्पबद्ध है।
- मिट्टी के क्षरण को रोकने में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना,प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PKSY), प्रति बूंद अधिक फसल जैसी भारत सरकार की विभिन्न योजनाएँ सहायक हैं।
‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन’
(United Nations Convention to Combat Desertification- UNCCD)
- संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत तीन रियो समझौतों (Rio Conventions) में से एक है। अन्य दो समझौते हैं-
1. जैव विविधता पर समझौता (Convention on Biological Diversity- CBD)।
2. जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौता (United Nations Framework Convention on Climate Change (UNFCCC)।
- UNCCD एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो पर्यावरण एवं विकास के मुद्दों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी है।
- मरुस्थलीकरण की चुनौती से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से इस दिवस को 25 साल पहले शुरू किया गया था।
- तब से प्रत्येक वर्ष 17 जून को ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ मनाया जाता है।
कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज (COP)
- यह UNFCCC सम्मेलन का सर्वोच्च निकाय है। इसके तहत विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों को सम्मेलन में शामिल किया गया है। यह हर साल अपने सत्र आयोजित करता है।
- COP, सम्मेलन के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक निर्णय लेता है और नियमित रूप से इन प्रावधानों के कार्यान्वयन की समीक्षा करता है।
फ्लैगशिप परियोजना (Flagship Project)
- यह परियोजना 3.5 वर्षों की पायलट चरण की होगी, जिसे हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, नागालैंड और कर्नाटक में साढ़े तीन साल के पायलट चरण के दौरान लागू किया जाएगा।
- परियोजना का उद्देश्य भारतीय राज्यों के लिये उत्तम कार्य प्रणाली और निगरानी प्रोटोकॉल को विकसित करना तथा अनुकूल बनाना और पांच पायलट राज्यों के भीतर क्षमता का निर्माण करना है।
- परियोजना के आगे के चरणों में पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा।
बॉन चुनौती (Bonn Challenge)
- बॉन चुनौती एक वैश्विक प्रयास है। इसके तहत दुनिया के 150 मिलियन हेक्टेयर गैर-वनीकृत एवं बंजर भूमि पर 2020 तक और 350 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर 2030 तक वनस्पतियां उगाई जायेंगी।
- पेरिस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, 2015 में भारत ने स्वैच्छिक रूप से बोन चुनौती पर स्वीकृति दी थी।
- भारत ने 13 मिलियन हेक्टेयर गैर-वनीकृत एवं बंजर भूमि पर 2020 तक और अतिरिक्त 8 मिलियन हेक्टेयर भूमि पर 2030 तक वनस्पतियाँ उगाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क समझौता (UNFCCC)
- यह एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है।
- यह समझौता जून, 1992 के पृथ्वी सम्मेलन के दौरान किया गया था। विभिन्न देशों द्वारा इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद 21 मार्च, 1994 को इसे लागू किया गया।
- वर्ष 1995 से लगातार UNFCCC की वार्षिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। इसके तहत ही वर्ष 1997 में बहुचर्चित क्योटो समझौता (Kyoto Protocol) हुआ और विकसित देशों (एनेक्स-1 में शामिल देश) द्वारा ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने के लिये लक्ष्य तय किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल के तहत 40 औद्योगिक देशों को अलग सूची एनेक्स-1 में रखा गया है।
- UNFCCC की वार्षिक बैठक को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP) के नाम से जाना जाता है।
जैव विविधता अभिसमय (Convention on Biological Diversity- CBD)
- यह अभिसमय वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरियो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन के दौरान अंगीकृत प्रमुख समझौतों में से एक है।
- CBD पहला व्यापक वैश्विक समझौता है जिसमें जैवविविधता से संबंधित सभी पहलुओं को शामिल किया गया है।
- इसमें आर्थिक विकास की ओर अग्रसर होते हुए विश्व के परिस्थितिकीय आधारों को बनाएँ रखने हेतु प्रतिबद्धताएँ निर्धारित की गयी है।
- सीबीडी में पक्षकार के रूप में विश्व के 196 देश शामिल हैं जिनमें 168 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं।
- भारत सीबीडी का एक पक्षकार (party) है।
- इस कन्वेंशन में राष्ट्रों के जैविक संसाधनों पर उनके संप्रभु अधिकारों की पुष्टि किये जाने के साथ तीन लक्ष्य निर्धारित किये गए है-
- जैव विविधता का संरक्षण।
- जैव विविधता घटकों का सतत् उपयोग।
- आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से प्राप्त होने वाले लाभों में उचित और समान भागीदारी।