श्रम उत्पादकता और भारत
प्रीलिम्स के लिये
श्रम उत्पादकता
मेन्स के लिये
श्रम उत्पादकता का महत्त्व और गिरावट का कारण
चर्चा में क्यों?
एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा किये गए विश्लेषण में पाया गया कि विगत आठ वर्षों में भारत की श्रम उत्पादकता में कमी आई है।
- विश्लेषण से ज्ञात हुआ कि वर्ष 2004 से 2008 के दौरान भारत की श्रम उत्पादकता में हर साल 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। विदित हो कि यह वैश्विक वित्तीय संकट से ठीक पूर्व का समय था।
- वहीं वर्ष 2011 से 2015 के बीच यह दर घटकर मात्र आधी (7.4 प्रतिशत) रह गई और वर्ष 2016 से 2018 के मध्य यह मात्र 3.7 प्रतिशत ही रह गई।
श्रम उत्पादकता और उसका महत्त्व
- सामान्यतः उत्पादकता को विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में संसाधनों, श्रम, पूंजी, भूमि, सामग्री, ऊर्जा तथा सूचना के कुशल उपयोग के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- ध्यातव्य है कि भूमि और पूंजी के अलावा श्रम उत्पादकता भी आर्थिक विकास की दर तय करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- श्रम उत्पादकता देश की अर्थव्यवस्था के प्रति घंटा उत्पादन को मापती है।
- विदित है कि श्रम उत्पादकता और जीवन स्तर में सुधार के मध्य प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। जैसे-जैसे एक अर्थव्यवस्था की श्रम उत्पादकता बढ़ती है, वह समान समय में अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन शुरू कर देती है।
- रिपोर्ट दर्शाती है कि वैश्विक स्तर पर वित्त वर्ष 2017 के दौरान श्रम उत्पादकता में वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि के लगभग दो-तिहाई हेतु ज़िम्मेदार थी।
श्रम उत्पादकता में कमी के कारण
- भारत के जटिल श्रम कानूनों को इस गिरावट का एक मुख्य कारण माना जा सकता है। ज्ञातव्य है कि भारत के जटिल श्रम नियमों को तत्काल सरलीकरण की आवश्यकता है।
- गौरतलब है कि श्रम उत्पादकता मुख्य रूप से नवाचार और ज्ञान पर निवेश तथा सरकार के संरचनात्मक सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि देश में श्रम उत्पादकता में वृद्धि के लिये नीतियों तथा कंपनियों दोनों ही स्तरों पर जल्द-से-जल्द काम किये जाने की आवश्यकता है, क्योंकि उत्पादकता न सिर्फ देश के विकास की गति को बनाए रखने में मदद करती है बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतियोगिता में बने रहने में भी सहायक होती है।
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रिसर्च (State Bank of India Research) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते कुछ वर्षों में भारत की श्रम उत्पादकता अन्य देशों की तुलना में काफी कम थी। रिपोर्ट के अनुसार, इस अंतर को जल्द-से-जल्द नीतिगत उपायों के मध्य से समाप्त करने की आवश्यकता है।
आगे की राह
- विशेषज्ञों के अनुसार, देश में श्रम उत्पादकता बढ़ाने हेतु भारत में श्रमिक अधिकारों की सुरक्षा और महिला श्रमिकों की कम भागीदारी जैसे मुद्दों को भी संबोधित किया जाना चाहिये।