भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में वृद्धि

चर्चा में क्यों?

समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) के अनुसार, वैश्विक समुद्री खाद्य व्यापार में निरंतर अनिश्चितताओं के बावजूद भारत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में फ्रोज़न झींगा और फ्रोज़न मछली के अग्रणी आपूर्तिकर्त्ता  के रूप में अपनी स्थिति कायम रखने में सफल रहा है। ये आँकड़े समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Marine Products Exports Development Authority -MPEDA) द्वारा जारी किये गए हैं।

प्रमुख बिंदु

  • ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत का समुद्री खाद्य निर्यात 7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 7.08 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान भारत ने 13,77,244 टन समुद्री खाद्य का निर्यात करते हुए 7.08 बिलियन डॉलर अर्जित किये हैं।
  • इस निर्यात को बढ़ाने में फ्रोज़न झींगा और फ्रोज़न मछली का प्रमुख योगदान रहा। 
  • पिछले वित्त वर्ष में 5.77 बिलियन डॉलर मूल्य के 11,34,948 टन फ्रोज़न झींगा और फ्रोज़न मछली का निर्यात किया गया था।
  • रुपए के हिसाब से वित्त वर्ष 2017-18 में 45,106.89 करोड़ रुपए मूल्य के समुद्री उत्पादों का निर्यात किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में 37,870.90 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात किया गया था। इस तरह पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें 19.11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • विजाग, कोच्चि, कोलकाता, पीपावाव, कृष्णापट्टनम और जेएनपी समुद्री उत्पादों के निर्यात के लिये प्रमुख बंदरगाह थे।
  • 2017 में इक्वाडोर, अर्जेंटीना, वियतनाम और थाईलैंड की ओर से आपूर्ति में वृद्धि, झींगा के वैश्विक दामों में गिरावट और एंटीबायोटिक अवशेष से संबंधित हतोत्साहित करने वाले मुद्दों के बावजूद भारत का समुद्री खाद्य उद्योग निर्यात के क्षेत्र में वृद्धि को बनाए रखने में सफल रहा है।
  • MPEDA का उद्देश्य विभिन्न पहलों और नीतियों की मदद से 2022 तक 10 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करना है।

अमेरिका तथा दक्षिण-पूर्व एशिया हैं भारतीय समुद्री खाद्य के प्रमुख बाज़ार

  • भारत के समुद्री खाद्य उत्पादों के प्रमुख बाज़ार के रूप में अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थिति बरकरार रही। 
  • इस बाज़ार में अमेरिका की हिस्सेदारी 32.76 प्रतिशत और दक्षिण-पूर्व एशिया की हिस्सेदारी 31.59 प्रतिशत है। 
  • इसके बाद यूरोपीय संघ (15.77 प्रतिशत), जापान (6.29 प्रतिशत), खाड़ी देश (4.10 प्रतिशत) और चीन (3.21 प्रतिशत) की हिस्सेदारी रही।