टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाएँ
चर्चा में क्यों?
नई दिल्ली में आयोजित ट्रेड विंड्स सम्मेलन में अमेरिकी वाणिज्य सचिव ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा कि टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं (Tariff and Non-Tariff Barriers) तथा बहु स्तरीय नियमों के कारण भारत में विदेशी कंपनियाँ नुकसान उठा रही हैं।
प्रमुख बिंदु
अमेरिकी वाणिज्य सचिव के अनुसार,
- भारत पहले से ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2030 तक मध्यम वर्ग के तेज़ी से विकास के कारण यह दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाज़ार बन जाएगा।
- इसके बावजूद अत्यधिक टैरिफ एवं गैर-टैरिफ बाधाओं के कारण अमेरिका के निर्यात का केवल 13वाँ हिस्सा भारत आता है, जबकि भारत के निर्यात का सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका जाता है।
- अमेरिकी प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञ भारत की विकासात्मक ज़रूरतों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं किंतु अमेरिकी कंपनियों को भारत में कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
- इनमें टैरिफ और गैर-टैरिफ दोनों बाधाएँ शामिल हैं, साथ ही विदेशी कंपनियों को नुकसान पहुँचाने वाले कई नियम भी शामिल हैं।
- भारत की औसत टैरिफ दर 13.8% है जो विश्व की किसी भी प्रमुख अर्थव्यवस्था की तुलना में सबसे अधिक है। उदाहरण के तौर पर ऑटोमोबाइल पर 60% टैरिफ; मोटरसाइकिल पर 50%; और मादक पेय पदार्थों पर 150% टैरिफ है।
- अमेरिका का लक्ष्य भारत में अमेरिकी कंपनियों के लिये बाधाओं को खत्म करना है। इन बाधाओं में डेटा-स्थानीयकरण प्रतिबंध भी शामिल है जो वास्तव में डेटा सुरक्षा को कमज़ोर करते हैं और व्यापार की लागत में वृद्धि करते हैं।
- अन्य बाधाओं में चिकित्सा उपकरणों और फार्मास्यूटिकल्स पर मूल्य नियंत्रण और इलेक्ट्रॉनिक्स तथा दूरसंचार उत्पादों पर प्रतिबंधात्मक शुल्क शामिल हैं।
ज्ञातव्य है कि ट्रेड विंड्स कॉन्फ्रेंस अमेरिका के नेतृत्व में होने वाला वार्षिक व्यापार सम्मेलन है।
टैरिफ
यह राष्ट्रों के मध्य होने वाले व्यापारिक आयात या निर्यात पर लगने वाला सीमा शुल्क है।
यह व्यापार के क्षेत्र में बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा से घरेलू उद्योग को सुरक्षित रखने हेतु विदेशी उत्पादों पर लगाया जाने वाला कर है।
गैर-टैरिफ बाधाएँ
वे सभी शुल्क जो कि आयात या निर्यात शुल्क नहीं है, गैर-टैरिफ की श्रेणी में आते हैं।
उदाहरण के तौर पर आयात कोटा, सब्सिडी, तकनीकी बाधाएँ या आयात लाइसेंसिंग, सीमा शुल्क पर माल के मूल्यांकन के लिये नियम, पूर्व शिपमेंट निरीक्षण इत्यादि।