भारत का पहला प्लाज़्मा बैंक
प्रीलिम्स के लिये:प्लाज़्मा थेरेपी, प्लाज्मा बैंक, प्लाज्मा मेन्स के लिये:प्लाज्मा बैंक एवं कोरोना संक्रमण के उपचार में प्लाज़्मा थेरेपी की उपयोगिता |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली स्थित ‘यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान’ (The Institute of Liver and Biliary Sciences- ILBS) में भारत के प्रथम प्लाज़्मा बैंक (India’s first plasma bank) की शुरुआत की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- कोरोना महामारी के इलाज़ में प्लाज़्मा थेरेपी की उपयोगिता को देखते हुए दिल्ली में इस प्लाज्मा बैंक की शुरुआत की गई है।
- COVID-19 के संक्रमण के बाद ठीक होने वाले मरीज़ 14 दिनों के बाद अपना प्लाज़्मा इस प्लाज़्मा बैंक में दान कर सकते हैं।
- प्लाज़्मा दनकर्त्ताओं को 1031 या व्हाट्सएप 8800007722 पर कॉल करना होगा जिसके बाद सरकार दानकर्त्ताओं से संपर्क करके यह सुनिश्चित करेगी कि क्या वे प्लाज़्मा दान करने के लिये पात्र हैं अथवा नहीं।
प्लाज़्मा दानकर्त्ता:
- 18 से 60 वर्ष तक की आयु के ऐसे लोग, जिनका वज़न 50 किलोग्राम से कम नहीं है कोविड-19 मरीजों के इलाज हेतु अपना प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
- प्लाज़्मा दनकर्त्ता के कोरोना सक्रमण से ठीक होने के 14 दिन बाद ही प्लाज्मा दान कर सकते हैं।
कौन नहीं दे सकता प्लाज़्मा?
- मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कैंसर से ठीक हुए लोग, क्रॉनिक हार्ट डिजीज, लिवर, फेफड़े एवं किडनी की बीमारी तथा उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोग ठीक होने के 14 दिन बाद भी अपना प्लाज्मा दान नहीं कर सकते हैं।
- इसके अलावा वे महिलाएँ जो अपने संपूर्ण जीवनकाल में कभी भी गर्भवती हुई हो वो भी अपना प्लाज़्मा दान नहीं कर सकती है।
प्लाज्मा बैंक का महत्त्व:
- ऐसा माना जा रहा है कि प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 संक्रमण के कारण मरने वालों की संख्या में कमी आ सकती है।
- ऐसे समय में जब विश्व स्तर पर इस महामारी की कोई एक दवा मौज़ूद नहीं है, प्लाज़्मा थेरेपी एक बेहतर विकल्प के रुप में प्रयोग की जा सकती है तथा प्लाज्मा बैंक इसमें एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।