आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का वार्षिक प्रस्ताव
प्रिलिम्स के लिये:संयुक्त राष्ट्र महासभा, प्रस्ताव 1540 मेन्स के लिये:आतंकवाद को रोकने हेतु भारत द्वारा किये जाने वाले प्रयास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) की पहली समिति में सर्वसम्मति से आतंकवाद-रोधी मुद्दे पर भारत के वार्षिक प्रस्ताव को अपनाया गया।
मुख्या बिंदु
- 75 से अधिक देशों ने प्रस्ताव को समर्थन दिया तथा इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से (एक वोट के बिना) अपनाया गया।
- भारत, राज्य प्रायोजित सीमा-पार आतंकवाद से पीड़ित रहा है। भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिये इस गंभीर खतरे को उजागर करने और आतंकवादी समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों के अधिग्रहण को लेकर चिंता ज़ाहिर करने में सबसे आगे रहा है।
- भारत ने महासभा में इस मुद्दे पर चर्चा करने और सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 1540 को अपनाने का आह्वान किया है।
- सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1540 को वर्ष 2004 में अपनाया था।
- इस प्रस्ताव के अनुसार, सभी सभी देश गैर-राज्य प्राधिकारी (Non-State Actors) विशेष रूप से आतंकवादी उद्देश्यों से प्रेरित व्यक्तियों या संगठनों को परमाणु, रासायनिक या जैविक हथियारों और उनके वितरण के साधनों को विकसित करने, अधिग्रहण, निर्माण, परिवहन, हस्तांतरण या उपयोग करने आदि के संबंध में किसी भी प्रकार का समर्थन प्रदान करने से बचेंगे।
- यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि संयुक्त राष्ट्र, ‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक कन्वेंशन’ (Comprehensive Convention on International Terrorism) पर अभी तक सहमत नहीं हुआ है।
- वर्ष 1996 में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये एक व्यापक कानूनी ढाँचा प्रदान करने के उद्देश्य से भारत ने UNGA को "अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक कन्वेंशन " (CCIT) को अपनाने का प्रस्ताव दिया।
सामूहिक विनाश के हथियार
(Weapon of Mass Destruction):
- WMD ऐसे हथियार को संदर्भित करता है जिसमें बड़े पैमाने पर मौत और विध्वंस को उकसाने की क्षमता है। शत्रु के हाथों में इसकी उपस्थिति को एक गंभीर खतरा माना जा सकता है।
- सामूहिक विनाश के आधुनिक हथियार परमाणु, जैविक या रासायनिक रूप में हैं, जिनको प्रायः सामूहिक रूप से NBC हथियारों के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- WMD के प्रसार को नियंत्रित करने के प्रयासों में वर्ष 1968 की परमाणु अप्रसार संधि, वर्ष 1972 का जैविक हथियार सम्मेलन और वर्ष 1993 का रासायनिक हथियार सम्मेलन शामिल हैं।
- भारत वर्ष 1968 की परमाणु अप्रसार संधि का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है।
- भारत ने सामूहिक विनाश के हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिये एक अधिनियम बनाया है, जिसे जनसंहारक हथियारों और उनकी वितरण प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधि निषेध) अधिनियम, 2005/The Weapons of Mass Destruction and Their Delivery Systems (Prohibition of unlawful activities) Act, 2005 के रूप में जाना जाता है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा
(United Nations General Assembly)
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर (UN Charter) के तहत वर्ष 1945 में इसकी स्थापना की गई।
- यह महासभा संयुक्त राष्ट्र में विचार-विमर्श और नीति निर्माण जैसे मुद्दों पर प्रतिनिधि संस्था के रूप में काम करती है।
- 192 सदस्यों से बनी संयुक्त राष्ट्र महासभा अपने चार्टर के तहत कवर किये गए अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर बहुआयामी और बहुपक्षीय चर्चा के लिये एक बेहतरीन मंच प्रदान करती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली समिति
- प्रथम समिति (निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा) निरस्त्रीकरण, वैश्विक चुनौतियों और शांति के लिये खतरों से संबंधित है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रभावित करती है तथा अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था में चुनौतियों के समाधान का प्रयास करती है।
- समिति संयुक्त राष्ट्र निरस्त्रीकरण आयोग और निरस्त्रीकरण पर जिनेवा-आधारित सम्मेलन के साथ घनिष्ठ सहयोग से काम करती है।