महिलाओं की सुरक्षा हेतु महत्त्वपूर्ण पहल की शुरुआत

चर्चा में क्यों?

देश के 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिये नई दिल्ली में कई पहलों की शुरुआत की गई है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • यह योजना देश के 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एक साथ शुरू की गई। इनमें शामिल है - आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, गुजरात, पुद्दुचेरी, लक्षद्वीप, अंडमान, दादरा नगर हवेली, दमन और दीव, जम्मू-कश्मीर।
  • महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा घरेलू, कामकाजी और सार्वजनिक स्थानों पर उपस्थित महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिये कई पहलों की शुरुआत की गई है। इनमें से तीन महत्त्वपूर्ण पहलें निम्नलिखित हैं –
  1. इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (Emergency Response Support Systems-ERSS)
  2. यौन अपराधों के लिये जाँच ट्रेकिंग सिस्टम (Investigation Tracking System-ITSSO)
  3. सुरक्षित महानगर कार्यान्वयन निगरानी पोर्टल (Safe Metropolitan Implementation Monitoring Portal)

इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम (Emergency Response Support Systems-ERSS)

  • ERSS पीड़ित व्यक्तियों के लिये एक अखिल भारतीय एकल संख्या-112 (All India Single Number-112) आधारित रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम है जिसे डायल कर नागरिकों द्वारा आपातकालीन स्थितियों में सहायता प्राप्त की जा सकती है।
  • ‘112 इंडिया ऐप’ महिलाओं और बच्चों के लिये विशेष सुविधा प्रदान करता है, जो तत्काल सहायता के लिये पीड़ित के आसपास के क्षेत्र में पंजीकृत स्वयंसेवकों को सचेत करता है।
  • इस प्रणाली के तहत सभी राज्यों को एक इमरजेंसी रिस्पॉन्स केंद्र (Emergency Response Center-ERC) स्थापित करना होगा। इसमें पुलिस, फायर एंड रेस्क्यू, स्वास्थ्य और अन्य आपातकालीन सेवाओं जैसी सहायता प्रदान करने हेतु आपातकालीन अनुरोधों के संचालन के लिये प्रशिक्षित कॉल-टेकर्स और डिस्पैचर की एक टीम होगी।
  • ERC पर आपातकालीन सेवा के लिये कॉल किये जाने के बाद पुलिस घटनाओं की निगरानी कर सकती है। ERC ज़िला कमांड सेंटर (District Command Center) और इमरजेंसी रिस्पॉन्स व्हीकल (Emergency Response Vehicle) से जुड़े होते हैं और पीड़ितों को उनके माध्यम से सहायता/प्रतिक्रिया दी जाती है।
  • ERSS पहल को प्रत्येक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश द्वारा प्रबंधित एक सामान्य प्रोटोकॉल के रूप में तैयार किया गया है।
  • केंद्र सरकार द्वारा निर्भया योजना के हिस्से के रूप में ERSS के लिये राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को 321.69 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जा रहा है।
  • हिमाचल प्रदेश और नगालैंड में पहले ही ये सेवाएँ शुरू की जा चुकी हैं।

यौन अपराधों के लिये जाँच ट्रेकिंग सिस्टम (Investigation Tracking System-ITSSO)

इसके अंतर्गत इमरजेंसी नंबर 112 तथा एप के माध्यम से सूचना प्राप्त होने पर ट्रेकिंग सिस्टम से महिलाओं एवं बच्चों की यथास्थिति का पता लगाकर उन्हें तत्काल सहायता प्रदान की जाती है।

सुरक्षित महानगर कार्यान्वयन निगरानी पोर्टल (Safe Metropolitan Implementation Monitoring Portal)

पोर्टल की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

  • अपराध की पहचान, प्रत्येक शहर में हॉट-स्पॉट।
  • चिन्हित हॉट-स्पॉट में सीसीटीवी (CCTV) द्वारा निगरानी बढ़ाना।
  • आवश्यकता के अनुसार कुछ शहरों में स्वचालित नंबर प्लेट रीडिंग (Automatic Number Plate Reading-ANPR) और ड्रोन आधारित निगरानी की व्यवस्था भी की जा रही है।
  • किसी भी पीड़ित महिला द्वारा घटना की सूचना देने या सहायता प्राप्त करने में आसानी के लिये महिला पुलिस आउट-पोस्ट (Women Police Out-Post) की स्थापना करना।
  • असुरक्षित क्षेत्रों में महिला पुलिस द्वारा गश्त।
  • प्रशिक्षित काउंसलर की सुविधा के साथ पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क (Women's Help Desk) की स्थापना।
  • मौजूदा महिला सहायता केंद्रों जैसे - आशा ज्योति केंद्र (Asha Jyoti Kendra) या भरोसा केंद्र (Trust Center) आदि का विस्तार।
  • बसों में कैमरों सहित सुरक्षा उपायों की व्यवस्था करना।
  • चिन्हित हॉट स्पॉट क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइटिंग में सुधार।
  • महिलाओं के लिये शौचालय की स्थापना।
  • महिला सुरक्षा और लैंगिक संवेदनशीलता पर सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम।

उद्देश्य

  • बलात्कार जैसे अपराध की प्रभावी ढंग से रोकथाम के लिये सरकार द्वारा आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2018 (Criminal Law Amendment Act, 2018) लागू किया गया है। इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये जाँच और अभियोजन तंत्र को मज़बूत करने तथा महिलाओं के बीच सुरक्षा की भावना पैदा करने के उपायों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा इन पहलों की शुररुआत की गई है।
  • इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा चार राज्यों - तमिलनाडु (चेन्नई और मदुरै), उत्तर प्रदेश (लखनऊ और आगरा), पश्चिम बंगाल (कोलकाता) और महाराष्ट्र (मुंबई) में राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की डीएनए विश्लेषण क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये निर्भया फंड के तहत एक विशेष परियोजना की घोषणा की गई।

स्रोत – PIB