भारत में VIP सुरक्षा

संदर्भ

केंद्र सरकार ने हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी गई स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (Special Protection Group-SPG) सुरक्षा को औपचारिक रूप से वापस ले लिया है। उल्लेखनीय है कि अब उन्हें जेड-प्लस (Z-Plus) श्रेणी के तहत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Force-CAPF) द्वारा सुरक्षा दी जाएगी।

कैसे निर्धारित होती है सुरक्षा की श्रेणी

  • गृह मंत्रालय सुरक्षा श्रेणी से संबंधित यह निर्णय इंटेलिजेंस ब्यूरो (Intelligence Bureau-IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (Research and Analysis Wing-RAW) जैसे खुफिया विभागों द्वारा दिये गए इनपुट के आधार पर लेता है।
  • ये दोनों खुफिया विभाग अपने स्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर मंत्रालय को बताते हैं कि किसी व्यक्ति को आतंकवादियों या अन्य असामजिक तत्त्वों से किस प्रकार का खतरा है, जिसके बाद गृह मंत्रालय इस पर निर्णय लेता है।
  • इसके अलावा कुछ लोग अपने उच्च स्तरीय पदों के कारण स्वतः ही सुरक्षा के हकदार हो जाते हैं। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैसे पदों पर कार्यरत लोगों को उनके पदों के कारण स्वतः ही सुरक्षा मिलती है।
  • चूँकि कोई भी खुफिया विभाग किसी वैधानिक निकाय के प्रति जवाबदेह नहीं होता, इसलिये कई बार यह माना जाता है VIP सुरक्षा में राजनीतिक कारणों से फेरबदल संभव है।

सुरक्षा के विभिन्न स्तर

  • भारत में मुख्य रूप से 4 प्रकार की सुरक्षा श्रेणियाँ हैं: एक्स (X), वाई (Y), जेड (Z) और जेड प्लस (Z Plus)। इसके अतिरिक्त SPG सुरक्षा भी है जो केवल प्रधानमंत्री और उसके परिवार के लिये होती है, जबकि अन्य सुरक्षा श्रेणियों के तहत किसी भी ऐसे व्यक्ति को सुरक्षा प्रदान की जा सकती है, जिस पर खतरे की आशंका के संबंध में केंद्र या राज्य सरकारों के पास खतरे से जुड़ी कोई जानकारी हो।
    • X सुरक्षा श्रेणी
      • इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिये 2 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें कोई भी कमांडो शामिल नहीं होता।
    • Y सुरक्षा श्रेणी
      • इस सुरक्षा श्रेणी में व्यक्ति की सुरक्षा के लिये 11 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें 2 कमांडो भी होते हैं।
    • Z सुरक्षा श्रेणी
      • Z सुरक्षा श्रेणी में लगभग 4 से 5 राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (National Security Guard-NSG) के कमांडो सहित 22 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस सहित CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी शामिल होते हैं।
    • Z Plus सुरक्षा श्रेणी
      • इस प्रकार की सुरक्षा श्रेणी में 55 सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं, जिसमें से 10 से अधिक NSG कमांडो होते हैं एवं इसके अतिरिक्त CRPF के कमांडो व स्थानीय पुलिसकर्मी भी शामिल होते हैं।

सबसे महत्त्वपूर्ण है SPG सुरक्षा

  • SPG विशेष रूप से प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवारों की सुरक्षा के लिये स्थापित एक विशेष दल है।
  • वर्तमान में इस दल में लगभग 3000 सिपाही शामिल हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • SPG को शारीरिक दक्षता और सुरक्षा रणनीति में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त होता है एवं निर्धारित व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये इन्हें केंद्र व राज्य के अन्य सुरक्षा विभागों द्वारा भी सहायता प्रदान की जाती है।
  • प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात SPG कमांडो काले रंग के चश्मे के साथ पश्चिमी शैली का औपचारिक सूट पहनते हैं और हमेशा अपने साथ एक हैंडगन (Handguns) भी रखते हैं। ये विशेष अवसरों पर सफारी सूट भी पहनते हैं।
  • इसके अतिरिक्त SPG में विशेष ऑपरेशन कमांडो भी होते हैं, जिनके पास अल्ट्रा-मॉडर्न असॉल्ट राइफल्स (Ultra-Modern Assault Rifles) सहित इनबिल्ट कम्युनिकेशन ईयरपीस (Inbuilt Communication Earpieces) होते हैं तथा ये विशेष प्रकार के चश्मे पहनते हैं।

SPG का इतिहास

  • वर्ष 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात् उच्च पदों पर बैठे लोगों की सुरक्षा काफी महत्त्वपूर्ण विषय बन गया था। वर्ष 1985 में इस मुद्दे पर विचार करने हेतु बीरबल नाथ समिति का गठन किया गया, जिसने मार्च 1985 में इस कार्य हेतु विशेष सुरक्षा इकाई (Special Protection Unit-SPU) की स्थापना का सुझाव दिया।
  • जिसके बाद वर्ष 1985 में ही SPU का पुनः नामकरण कर इसे SPG कर दिया गया।
  • तीन वर्षों तक SPG ने कार्यकारी आदेशों के तहत काम किया, जिसके बाद वर्ष 1988 में संसद ने SPG अधिनियम पारित किया, परंतु उस समय इस अधिनियम में पूर्व प्रधानमंत्री को SPG सुरक्षा देने संबंधी कोई प्रावधान नहीं था।
  • वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद इस अधिनियम में संशोधन किया गया एवं इसमें पूर्व प्रधानमंत्रियों व उनके परिवार के लिये SPG सुरक्षा से जुड़ा प्रावधान शामिल किया गया, परंतु यह मात्र 10 वर्षों के लिये ही था।
  • वर्ष 2003 में वाजपेयी सरकार ने अधिनियम में संशोधन कर इस 10 वर्षीय अवधि को 1 वर्ष में परिवर्तित कर दिया। 2003 के संशोधन के अनुसार, इसमें प्रावधान किया गया है कि 1 वर्षीय अवधि पूरी होने के पश्चात् SPG सुरक्षा को खत्म करने या उसकी अवधि को बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार द्वारा संबंधित व्यक्ति पर खतरे के स्तर के आधार पर लिया जाएगा।
  • साथ ही अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार वाले चाहें तो SPG सुरक्षा से इनकार कर सकते हैं। उदाहरण के लिये पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बेटी ने उनके पद छोड़ने के बाद स्वतः ही सुरक्षा से इनकार कर दिया था।

राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड

(National Security Guard-NSG)

  • इसकी परिकल्पना वर्ष 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान भारतीय सेना को पहुँची क्षति के बाद की गई थी।
  • NSG का गठन देश के भीतर संगठित आतंकवादी हमलों के विरुद्ध कार्यवाही करने के लिये एक विशेष कमांडो यूनिट के रूप में किया गया था।
  • यह विशिष्ट परिस्थितियों से निपटने के लिये विशेष रूप से प्रशिक्षित और सुसज्जित होती है तथा इसका उपयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में आतंकवाद के गंभीर कृत्यों को विफल करने के लिये किया जाता है।
  • NSG में कर्मियों और अधिकारियों के दो समूह हैं: स्पेशल एक्शन ग्रुप (Special Action Group-SAG) और स्पेशल रेंजर ग्रुप (Special Ranger Group-SRG)।
  • SAG का कार्य आतंकवाद विरोधी गतिविधियों को अंजाम देना है, वहीं SRG का प्रयोग VIP सुरक्षा के लिये किया जाता है।

कैसे होती है राष्ट्रपति की सुरक्षा?

  • राष्ट्रपति की सुरक्षा उनके अंगरक्षकों द्वारा की जाती है, जिन्हें प्रेसीडेंट बॉडीगार्ड (President Bodyguard-PBG) कहा जाता है।
  • यह दुनिया में सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक है, जिसकी स्थापना लगभग 250 वर्ष पूर्व वारेन हैस्टिंग्‍स (Warren Hastings) द्वारा स्वयं की सुरक्षा हेतु की गई थी।
  • उस समय वारेन हैस्टिंग्‍स ने युद्ध कौशल में प्रशिक्षित 50 युवाओं को मुगलिया दरबार से PBG में भर्ती किया था।
  • PBG में लगभग 222 सैनिक शामिल हैं, जिनमें 4 बड़े अधिकारी, 20 जेसीओ (JCO) रैंक के अधिकारी और 198 जवान होते हैं। ये सभी राष्ट्रपति भवन में ही रहते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस