कितनी जायज है नगालिम राज्य की मांग?
सुर्खियों में क्यों?
- केन्द्र सरकार जल्द ही ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड’ (एनएससीएन-आईएम) के साथ शांति समझौते की घोषणा करने वाली है।
- ‘नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड’ (एनएससीएन-आईएम) वर्षों से भारत के पूर्वोत्तर में स्थित नगा बहुल इलाकों को लेकर एक ग्रेटर नगालिम राज्य बनाने की लंबे समय से मांग कर रहा है।
- वर्ष 2015 में भारत सरकार और एनएससीएन-आईएम के बीच ऐतिहासिक नगालैंड शांति समझौते (Nagaland peace accord) पर सहमति बनी और दोनों पक्षों के बीच बातचीत की प्रक्रिया शुरू हुई।
- हाल ही में नगा वार्ताकार आर. एन. रवि ने संसदीय समिति के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि ‘एक "वैध नगा समूह" होने के नाते एनएससीएन-आईएम चाहता है कि केवल उसके साथ ही वार्ता होनी चाहिये, जबकि सरकार ऐसा नहीं मानती’।
- आर. एन. रवि ने यह भी कहा है कि नगा शांति समझौते के लिये "कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती" और एनएससीएन-आईएम के अलावा कम से कम पाँच या छह नगा समूहों के साथ बातचीत चल रही थी।
नगा समस्या का उद्भव
- 1826: ब्रिटिश द्वारा असम को अपने राज्य में मिला लिया गया।
- 1881: नगा हिल्स ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना।।
- 1918: प्रतिरोध का पहला चिन्ह; 'नगा क्लब' का गठन हुआ।
- 1929: नगा क्लब द्वारा साइमन कमीशन से कहा गया कि वे स्वतंत्र रहना चाहते हैं।
- 1946: फिजो के नेतृत्व में नगा नेशनल काउंसिल (एनएनसी) का गठन किया गया।
- 1947: नगालैंड एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया। एनएनसी एक "संप्रभु नगा राज्य" के प्रति दृढसंकल्प हुआ।
- 1951: एनएनसी ने एक "जनमत संग्रह" कराया, जिसमें "99 प्रतिशत" लोगों ने ‘स्वतंत्र नगालैंड’ का समर्थन किया।
- 1952: फिजो ने एक भूमिगत संघीय नगा सरकार (Naga Federal Government) और नगा फेडरल आर्मी बनाई।
- 1952: भारत सरकार ने विद्रोह को कुचलने के लिये सेना में भेजा।
- 1958: नगालैंड अफस्पा लागू किया गया।
क्या है नगालिम?
- पूर्वोत्तर में स्थित नगा समुदाय और नगा संगठन ऐतिहासिक तौर पर नगा बहुल इलाकों को लेकर एक ग्रेटर नगालिम राज्य बनाने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं।
- ‘नगालिम' या ग्रेटर नगा राज्य का उद्देश्य मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश के नगा बहुल इलाक़ों का नगालिम में विलय करना है।
नगालिम के संदर्भ में विभिन्न पक्षों की राय
- केंद्र सरकार का पक्ष:
► केंद्र सरकार यह चाहती है कि नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) का इसाक मुइवा गुट 'नगालिम' की अपनी मांग छोड़ दे।
- एनएससीएन-आईएम का पक्ष:
► एनएससीएन-आईएम पड़ोसी राज्यों असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश में नगा-वर्चस्व वाले क्षेत्रों सहित 1.2 मिलियन नगाओं को एकजुट करने के लिये नगालैंड की सीमाओं का विस्तार करना चाहता है।
- तीनों राज्यों का पक्ष:
► लेकिन नगा आबादी वाले तीनों राज्य असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश ने एक इंच भी ज़मीन साझा करने से इनकार कर दिया है।
► प्रस्तावित नगा राज्य के गठन की मांग यदि पूरी की जाती है तो मणिपुर की 60 फीसदी ज़मीन नगालैंड में जा सकती है।
► मैतेई और कुकी ये दोनों समुदाय मणिपुर के इलाकों का नगालिम में विलय का विरोध करते हैं।
नगालिम का बनना उचित क्यों?
- असम ने नगालैंड द्वारा उसके भू-भाग में अतिक्रमण किये जाने की शिकायत की है, जबकि नगालैंड का मज़बूत तर्क यह है कि ऐतिहासिक तौर पर नगाओं से संबंधित भूमि असम के कब्ज़े में है।
- नगालैंड का मानना है कि ‘16-पॉइंट एग्रीमेंट’ जिसके तहत 1960 में नगालैंड भारत का एक राज्य बना, उसमें यह बात शामिल है कि नगा क्षेत्रों को वापस नगालैंड को लौटा दिया जाएगा।
- हालाँकि राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता से समझौता करना उचित नहीं कहा जा सकता, फिर भी असम और नगालैंड के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसा होती रहती है जिसमें सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं।
- वहीं यदि मणिपुर के सन्दर्भ में बात करें तो वहाँ घाटी में रहने वाली आबादी पहाड़ी आबादी की तुलना में ज़्यादा है। नगा जनजातियाँ ईसाई धर्म को मानती हैं तो घाटी में रहने वाले अधिकतर लोग हिंदू हैं जो मैतेयी समुदाय के हैं।
- पहाड़ों पर रहने वाली नगा जनजातियों और मैतेयी समुदाय के बीच व्याप्त अविश्वास कई बार हिंसा का रूप ले चुका है। इन परिस्थितियों में नगालिम का निर्माण उचित जान पड़ता है।
क्यों नहीं बनना चाहिये अलग नगालिम?
- यदि असम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के भौगोलिक एकीकरण को मंज़ूरी दी गई तो यहाँ सांप्रदायिक संघर्ष आरंभ हो सकता है।
- नगालिम के गठन से राष्ट्रीय एकता और अखंडता को चोट तो पहुँचेगी ही, साथ में राज्यों की परियोजनाओं और योजनाओं को आगे बढ़ाने में बाधाएँ भी आ सकती हैं।
- यदि नगालिम के गठन की मांग मान ली जाती है तो यह देश के अन्य राज्यों को भौगोलिक एकीकरण की मांग करने के लिये प्रोत्साहित करने का भी काम करेगा।
- नगा विद्रोह को खत्म करने के लिये कोई भी समाधान नगालैंड राज्य तक ही सीमित नहीं होना चाहिये, बल्कि अन्य राज्यों की चिंताओं को भी ध्यान में रखना चाहिये।
- केंद्र को किसी विशेष समुदाय को "व्यवस्थित" करने की कोशिश नहीं करनी चाहिये, क्योंकि नगालैंड की सीमा से लगे राज्य मणिपुर में 30 से अधिक विभिन्न जातीय समूह निवास करते हैं। किसी एक समुदाय को महत्त्व देना भी हिंसा बढ़ाने का काम करेगा।
निष्कर्ष
- वर्ष 2015 में नगालैंड में उग्रवाद समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार ने पृथकतावादी संगठन एनएससीएन (आइएम) के साथ एक समझौता किया था, जिसे हम ‘नगालैंड शांति समझौते’ के नाम से जानते हैं।
- सरकार ने नगाओं के अद्वितीय इतिहास, संस्कृति और उनकी भावनाओं तथा आकांक्षाओं को मान्यता दी, जबकि एनएससीएन ने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था और शासन की सराहना की।
- आज देश को सांस्कृतिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से एकीकृत किया जाना चाहिये, हालाँकि यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिये कि एकीकरण के नाम पर किसी समुदाय के साथ ज़्यादती न हो।