हवाई टेलीस्कोप विवाद

प्रीलिम्स के लिये:

थर्टी मीटर टेलीस्कोप, हवाई द्वीप, हनले

मेन्स के लिये:

वैज्ञानिक परियोजनाएँ तथा स्थानीय विरोध, विज्ञान बनाम संस्कृति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक दशक से अधिक समय तक चले विरोध प्रदर्शनों के फलस्वरूप प्रस्तावित थर्टी मीटर टेलीस्कोप (Thirty Metre Telescope- TMT) को परियोजना के सह-निर्माता देश (भारत सहित ) किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करना चाहते हैं।

थर्टी मीटर टेलीस्कोप:

  • दुनिया के सबसे बड़े ऑप्टिकल टेलीस्कोप, TMT का निर्माण हवाई द्वीप समूह के मौना की (Mauna Kea) द्वीप पर किया जा रहा है अत: इसे हवाई टेलीस्कोप के नाम से भी जाना जाता है।
  • TMT, एक संयुक्त उद्यम (Joint Venture) परियोजना है जिसमें पाँच देश- कनाडा, अमेरिका, चीन, भारत तथा जापान शामिल हैं।
  • परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग 2 बिलियन डाॅलर है।
  • TMT टेलीस्कोप की सहायता से अंतरिक्ष तथा ब्रह्मांडीय वस्तुओं का व्यापक निरीक्षण किया जा सकेगा।
  • यह टेलीस्कोप हबल स्पेस टेलीस्कोप की तुलना में 12 गुना अधिक बेहतर रिज़ॉल्यूशन प्रदान करेगा।

विवाद का कारण:

  • प्रस्तावित स्थल मौना की द्वीप को स्थानीय हवाईयन लोगों द्वारा पवित्र स्थल माना जाता है जिससे वे प्रस्तावित परियोजना का प्रारंभ से विरोध कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि वहाँ पहले से ही बहुत अधिक वेधशालाएँ हैं तथा अब वहाँ इस प्रकार का एक और टेलीस्कोप स्थापित किया गया तो इससे स्थानीय संस्कृति प्रभावित होगी।

मौना की (Mauna Kea):

  • मौना की द्वीप हवाई द्वीप समूह का एक निष्क्रिय ज्वालामुखी द्वीप है जिसकी सागर तल (Sea Level) तथा सागर आधार तल (Sea Base) से ऊँचाई क्रमश: 4,207.3 मीटर और 10,200 मीटर है।
  • सागर तल के आधार यह हवाई राज्य का सबसे ऊँचा स्थान है जबकि सागर आधार तल के आधार पर दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत है।

Mona-Kea

  • इसके अलावा मौना की द्वीप को हवाई राज्य द्वारा संरक्षण क्षेत्र के रूप में भी नामित किया गया है तथा विभिन्न पर्यावरणीय प्रभाव अभिकथन (Environmental Impact Statement- EIS) रिपोर्टों से पता चला है कि इन परियोजनाओं ने क्षेत्र में पर्यावरण कुप्रबंधन को बढ़ाया है।

पर्यावरणीय प्रभाव अभिकथन:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के पर्यावरण कानून के तहत एक पर्यावरणीय प्रभाव अभिकथन, मानव के पर्यावरण को प्रभावित करने वाली परियोजनाओं को मंजूरी देने से पूर्व अपनाई जाने वाली विशिष्ट कार्यप्रणाली है।
  • यह कार्य वर्ष 1969 के अमेरिका के राष्ट्रीय पर्यावरण नीति अधिनियम (National Environmental Policy Act- NEPA) में बताई गयी प्रक्रिया के तहत होता है।
  • NEPA के तहत पर्यावरण समीक्षा में विश्लेषण के तीन अलग-अलग स्तर शामिल हो सकते हैं।
    1. श्रेणीबद्ध निष्कासन निर्धारण (Categorical Exclusion- CATEX)
    2. पर्यावरणीय आकलन (Environmental Assessment- EA)
    3. पर्यावरणीय प्रभाव कथन अभिकथन (EIS)
  • पर्यावरणीय प्रभाव अभिकथन पर्यावरण समीक्षा के विश्लेषण का तीसरा चरण होता है जिसका कार्य किसी भी परियोजना का विस्तृत आकलन करना है।
  • इस परियोजना को विज्ञान बनाम संस्कृति के मध्य विवाद का रंग देने की कोशिश की जा रही है।

विज्ञान बनाम संस्कृति (Science vs culture):

  • मौना की द्वीप के संरक्षण की वकालत करने वाले हवाईवासी लोगों को विज्ञान विरोधी और पिछड़ा कहा जा रहा है।
  • विज्ञान बनाम संस्कृति के मध्य विवाद का जन्म 1600 के दशक से माना जाता है जब कैथोलिक चर्च पादरियों द्वारा काॅपरनिकस और गैलीलियो जैसे खगोलविदों को परेशान किया गया था।
  • लेकिन वर्तमान में पश्चिमी परंपराओं को गैर-पश्चिमी परंपराओं से श्रेष्ठ बताने के लिये इसका प्रयोग किया जा रहा है।
  • इस परियोजना के स्थापना स्थल मौना की द्वीप को लेकर वर्ष 2014 से ही विवाद चल रहा था, जिसे वर्ष 2018 में हवाई सर्वोच्च न्यायालय ने समाप्त किया तथा परियोजना को आगे बढ़ाने की अनुमति दी।
  • लेकिन परियोजना के समर्थकों देशों ने तब से कोई प्रगति नहीं की है, क्योंकि निर्माण कार्य वर्ष 2015 और वर्ष 2019 में पहले ही दो बार बाधित हो चुके थे तथा इसके आगे भी विरोध की संभावना नज़र आ रही है।
  • इस परियोजना में लगभग पाँच साल की देरी हुई है इसलिये वर्ष 2025 तक इसका परिचालन प्रारंभ होने की संभावना है ।

टेलीस्कोप का निर्माण यहाँ क्यों?

  • वैज्ञानिकों ने चिली, मैक्सिको, भारत और हवाई में विभिन्न स्थलों पर परीक्षण किये तथा वर्ष 2009 में मौना की द्वीप को आदर्श स्थल के रूप में चुना।
  • टेलीस्कोप के लिये आवश्यक आदर्श परिस्थितियाँ यथा- आदर्श ऊँचाई, वायुमंडलीय दशाएँ जैसे कि बादल निर्माण, वायु की गति, वायु का तापमान, सौर विकिरण, जमीन की शीतलन दर आदि सभी यहाँ अनुकूल है।

भारत की भागीदारी:

  • भारत भी परियोजना से जुड़े पाँच देशों में से एक हैं तथा भारत की तरफ से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) तथा परमाणु ऊर्जा विभाग (Department of Atomic Energy- DAE) संयुक्त रूप से इस परियोजना में शामिल होंगे।
  • भारत एक दिए गए वर्ष में उपलब्ध समय स्लॉट के 10% का उपयोग कर सकेगा, जिसका निर्धारण मौद्रिक और अवसंरचनात्मक योगदान के आधार पर किया जाएगा। भारत का योगदान 200 मिलियन डाॅलर होगा, जो प्रस्तावित योजना की लागत का दसवाँ हिस्सा है।
  • टेलीस्कोप निर्माण में कुल 492 पॉलिश किए गए दर्पणों की आवश्यकता होगी जिनमें से भारत को 83 दर्पणों का निर्माण करना है। परियोजना में देरी होने से इन दर्पणों के विनिर्माण अनुबंधों में भी देरी हो रही है।

आगे की संभावना:

  • टेलीस्कोप लगाने के लिये दूसरी सबसे अच्छी अवस्थिति स्पेन के कैनरी द्वीप समूह के ला पाल्मा (La Palma) द्वीप है, जिसे नवीन परियोजना स्थल के रूप में चुना जा सकता है।
  • हानले, लद्दाख (Hanle, Ladakh) भी TMT की मेजबानी करने के लिये एक स्थल चुना जा सकता है।

कैनरी द्वीपसमूह (Canary Islands):

  • यह स्पेन द्वारा नियंत्रित द्वीपों का एक समूह है जो अफ़्रीका के उत्तर पश्चिमी छोर पर अटलांटिक महासागर में स्थित है। इस द्वीपसमूह में कई द्वीप है यथा तेनरीफ (Tenerife), ला पाल्मा (La Palma), ला गोमेरा (La Gomera) आदि।

भारत की मेजबानी में विवाद:

  • महत्वाकांक्षी विज्ञान परियोजनाओं की मेजबानी के साथ भारत की भी अपनी समस्याएँ रही हैं यथा- तमिलनाडु में थेनी (Theni) में प्रस्तावित भारतीय न्यूट्रिनो वेधशाला (Indian Neutrino Observatory- INO), राज्य में विरोध के कारण पहले ही ठप हो गई है, ऐसे में नवीन परियोजनाओं की मेजबानी करना भारत के लिये आसान नहीं होगी।

हनले (Hanle):

  • यह भारतीय संघशासित प्रदेश लद्दाख का एक ऐतिहासिक गाँव है, जो प्राचीन लद्दाख-तिब्बत व्यापार मार्ग पर हनले नदी घाटी में स्थित है।
  • यह खगोलीय अवलोकन के लिये दुनिया के सबसे ऊँचे स्थलों में से एक है।

थेनी (Theni):

  • यह तमिलनाडु का एक ज़िला है जो पश्चिमी घाट के समीप स्थित है। इसके तहत लगभग 1200 मीटर ऊँचे चट्टानी पहाड़ों के नीचे सुरंग में विस्तरीय प्रयोगशाला बनायी जायेगी, जिससे पश्चिमी घाट की जैव विविधता प्रभावित हो सकती है।

आगे की राह:

  • ऐसी वैज्ञानिक परियोजनाओं में विज्ञान और संस्कृति के बीच की लड़ाई जैसे रंग देने के स्थान पर स्थानीय लोगों के अधिकारों तथा संस्कृति को संरक्षित करते हुए आगे बढ़ाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू