जीएसटी से निर्यातकों की तरलता एवं प्रतिस्पर्द्धा प्रभावित
संदर्भ
माल और सेवा कर ( जीएसटी ) के लागू होने से भारतीय निर्यातकों का निर्यात प्रभावित हो रहा है। जीएसटी का असर निर्यातकों की प्रतिस्पर्द्धा एवं तरलता पर पड़ रहा है। हालाँकि निर्यात क्षेत्र पर जीएसटी के प्रभाव को बेअसर करने के लिये सरकार विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है।
प्रमुख बिंदु
- देश के निर्यातकों के लिये सर्वोच्च संस्था भारतीय निर्यात संगठन संघ (एफआईईओ) ने कहा है कि माल और सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था निर्यातकों की तरलता पर असर डालेगा और इसके बदले निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को नुकसान पहुँचा सकता है।
- जीएसटी के कारण भारत की निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मक क्षमता लगभग 2% तक कम हो सकती है। यह निर्यातकों के लिये बड़ा झटका हो सकता है।
- एफआईईओ ने सरकार से पहले ही कहा था कि जीएसटी शासन के तहत दावा करने वाले निर्यातकों को 10 दिनों के बाद करों/शुल्कों की वापसी के भुगतान में देरी पर सरकार को ब्याज देना होगा।
- प्रतिदाय (रिफंड) नियमों के अनुसार, देरी से भुगतान पर ब्याज 60 दिनों के बाद ही प्राप्य होगा।
- निर्यातक तरलता के बारे में चिंतित हैं क्योंकि प्रतिदाय तंत्र के अनुसार पहले जीएसटी का भुगतान करना होगा और रिफंड बाद में प्राप्त होगा।
- इस तरह जीएसटी से निर्यात क्षेत्र की तुलनात्मक प्रतिस्पर्द्धा में लगभग 2% की कमी आएगी। अतः उसे समायोजन करने की अवश्यकता है।
- इससे पहले, सरकार ने जीएसटी शासन के संबंध में निर्यातकों की चिंताओं को देखने के लिये विदेशी व्यापार महानिदेशालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सीमा शुल्क बोर्ड में नोडल अधिकारीयों की नियुक्ति की थी।
भारतीय निर्यात संगठन संघ ( FIEO ) क्या है ?
- भारतीय निर्यात संगठन संघ ( FIEO ) देश में निर्यातकों के लिये शीर्ष निकाय है।
- यह एक व्यापार संवर्द्धन संगठन है जिसकी स्थापना 1965 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय और निजी व्यापार एवं उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी।
- यह संगठन विदेशी बाज़ारों में भारतीय उद्यमियों और निर्यातकों की पहचान और सहायता करने के लिये ज़िम्मेदार है।
- इसका मुख्यालय दिल्ली में है।