विशेष/इन-डेप्थ/: गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस: पारदर्शी सरकारी खरीद की दिशा में एक सकारात्मक पहल
संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने हेतु सरकार ने ऑनलाइन खरीदारी करने के लिये 2016 में जेम पोर्टल की शुरुआत की थी, जब सचिवों के दो समूहों ने ई-मार्केटप्लेस के लिये महत्त्वपूर्ण सिफारिश दी थी। इस वन स्टॉप गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस, सरकारी ई-बाज़ार या जेम (Government e-Marketplace-GeM) को अमेज़ॅन या फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स साइट्स का क्लोन संस्करण कहा जा सकता है, जो विशेष रूप से सरकारी खरीद-फरोख्त के लिये बनाया गया है। सरकारी अधिकारियों द्वारा की जाने वाली खरीद के लिये यह एक गतिशील, स्वपोषित, प्रयोक्ता अनुकूल (User Friendly) पोर्टल है, जहाँ सामान्य प्रयोग में आने वाली वस्तुओं और सेवाओं की खरीद की जा सकती है। हाल ही में सरकार ने इसका उन्नत संस्करण जेम 3.0 लांच किया है।
जेम का नया संस्करण 3.0 सरकारी खरीद में शून्य भ्रष्टाचार का लक्ष्य सामने रखते हुए केंद्र सरकार अब जेम पोर्टल का नया वर्जन लाई है। जेम पोर्टल 3.0 वर्जन के माध्यम से सरकारी खरीद की ऑनलाइन खरीदारी की प्रक्रिया को पहले से ज्यादा बेहतर बनाया जाएगा, और अधिक विक्रेता इसमें जोड़े जा सकेंगे, जिससे सरकारी खरीदारी सीधे हो और कोई भी बिचौलिया न रहे। अधिकतम सरकारी खरीदारी जेम पोर्टल के ज़रिये करने का लक्ष्य विकसित किया गया है। अब तक जेम पोर्टल को पयलट वर्जन के रूप में चलाया जा रहा था, लेकिन जिस तरह से इसको लेकर प्रतिक्रियाएँ मिली हैं, उनके मद्देनज़र यह नया उन्नत संस्करण लाया गया है। एक साल में जेम के माध्यम से 2000 करोड़ रुपए से अधिक की खरीदारी हो चुकी है और एक लाख से ज़्यादा के खरीदारी के ऑर्डर दिये जा चुके हैं। विदित हो कि अमेरिका, दक्षिण कोरिया, यू.के. सिंगापुर जैसे OECD देशों में लगभग सभी के पास अपना एक नेशनल पब्लिक प्रोक्योरमेंट पोर्टल (NPPP) है और यदि हमारा जेम पोर्टल इसमें तब्दील हो जाता है तो भारत भी इन्हीं देशों के समकक्ष आ जाएगा। (टीम दृष्टि इनपुट) |
क्या है जेम में?
- वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विभाग महानिदेशालय आपूर्ति एवं निपटान (डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सप्लाइज़ एंड डिस्पोज़ल्स-DGS&D) ने जेम को विकसित किया है।
- फिलहाल 31 हज़ार से अधिक उत्पाद और सेवाएँ जेम पर उपलब्ध हैं तथा जो भी वस्तुएँ और सेवाएँ यहाँ मौजूद हैं, उन्हें यहीं से खरीदना अनिवार्य है।
- अभी तक इस पोर्टल से 44,820 से अधिक विक्रेता जुड़ चुके हैं, जिनसे 16470 सरकारी विभाग इनसे लगभग पौने 5 लाख उत्पादों की खरीदारी कर रहे हैं।
- एक अनुमान के अनुसार, जेम के ज़रिये सरकार लगभग 4 लाख करोड़ रुपए का मार्केटप्लेस उपलब्ध कराएगी, जिसके माध्यम से 40-50 हज़ार करोड़ रुपए की बचत प्रतिवर्ष होगी।
- इसके अलावा, इससे घरेलू उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा अर्थात् 'मेक इन इंडिया' को भी इससे बढ़ावा मिलेगा।
बिचौलिया रहित पारदर्शी खरीद है जेम की प्रमुख विशेषता
- सभी सरकारी विभागों तक विक्रेताओं की सीधी पहुँच।
- न्यूनतम बाज़ारी प्रयासों के साथ वन स्टॉप मार्केटप्लेस।
- भिन्न सरकारी विभागों के टेंडर देखने की आवश्यकता नहीं। उत्पादक द्वारा उत्पाद प्रस्तुत किये जाने के बाद सरकारी विभाग स्वयं प्रस्ताव करेंगे।
- उत्पाद के पंजीकरण से छूट अर्थात् उत्पाद और मॉडल के पंजीकरण के लिये भाग-दौड़ की आवश्यकता नहीं।
- पूर्तिकर्त्ता की गारंटी/वारंटी पर उत्पाद स्वीकार और सामान्यत: नियमित पारेषण निरीक्षण, जाँच एवं मूल्यांकन प्रक्रियाओं से मुक्त।
- नियत विशिष्टियों से स्वतंत्रता, दिये गए विशिष्टिकरण के अनुकूल होने की कोई आवश्यकता नहीं। परिभाषित सभी विशेषताओं के साथ उत्पाद को बेचें और शीघ्रातिशीघ्र तथा जितना एवं जितनी बार आवश्यक समझें अपने उत्पादों को अपग्रेड करें।
- गतिशील मूल्य निर्धारण–बाज़ार की परिस्थितियों के आधार पर मूल्य परिवर्तित किया जा सकता है। पूरे वर्ष के लिये कोई नियत मूल्य नहीं, कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव या विनिमय दर परिवर्तन का कोई डर नहीं।
- गतिशील उत्पाद सूचीकरण–मॉडल अपग्रेडेशन/परिवर्तनों के लिये भाग-दौड़ की कोई आवश्यकता नहीं। नवीनतम उत्पादों को सूचीबद्ध करें और विशेषताओं एवं प्रतिस्पर्द्धी मूल्यों के आधार पर उनकी बिक्री करें।
- वार्षिक खरीद योजना के माध्यम से सभी सरकारी आवश्यकताओं की पूर्ण जानकारी प्राप्त करें।
- समय से भुगतान की गारंटी।
- सुसंगत और एकरूप क्रय प्रक्रियाएँ तथा संविदा के नियम एवं शर्तें।
जेम से मिलने वाली सुविधाएँ
- जेम के माध्यम से सरकारी विभाग अपनी आवश्यक खरीदारी किसी टेंडर और फाइल्स के तामझाम के बिना खरीद सकते हैं।
- केंद्र सरकार के विभागों के अलावा राज्य सरकारें, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ और स्वायत्त निकायों के अधिकृत प्रतिनिधि भी जेम के माध्यम से खरीदारी कर सकते हैं।
- सामान्य प्रयोग की वस्तुओं/सेवाओं की वैयक्तिक, निर्धारित श्रेणियों के लिये उत्पादों को सूचीबद्ध करना।
- गतिशील कीमत आधार पर देखने, तुलना करने और खरीद की सुविधा।
- अधिकांश सामान्य प्रयोक्ता मदों की खरीद के लिये मार्केटप्लेस।
- जब भी जहां भी आवश्यकता हो वस्तुओं/सेवाओं की ऑनलाइन खरीदारी।
- मांगों और आदेशों के समूहन के लिये सिंगल विंडो सिस्टम।
- पारदर्शिता और खरीद की सुविधा।
- कम मूल्य की खरीद के लिये उपयोगी और प्रति नीलामी/ई-बिडिंग का प्रयोग करके प्रतियोगी दर पर बल्क खरीद के लिये भी उपयोगी।
- निरंतर वेंडर रेटिंग सिस्टम।
- आपूर्तियों और भुगतानों की खरीद और मॉनीटरिंग के लिये यूज़र फ्रेंडली डैशबोर्ड।
- सरल-सुगम वापसी नीति।
कौन कर सकता है इस्तेमाल?
(टीम दृष्टि इनपुट) |
जेम पर खरीद व भुगतान प्रक्रिया
- जेम पर खरीद के लिये पंजीकरण होने के बाद मांगकर्त्ता के रूप में मांग प्रस्तुत कर सर्च करना और उत्पाद चुनना।
- खरीद अधिकारी स्वयं को संतुष्ट करेंगे कि चयनित प्रस्ताव की कीमत उचित है।
- खरीदार के रूप में आदेश प्रस्तुत करने के बाद आपूर्तिकर्त्ता नियत डिलीवरी तारीख के अंदर प्रेषिती को वस्तुएँ/सेवाएँ डिलीवर करेगा।
- वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्राप्त हो जाने के बाद प्रेषिती जेम में तारीख के साथ प्रोविजनल रिसीट सर्टिफिकेट को अपडेट करेगा।
- जेम में स्वीकारकर्त्ता प्राधिकारी के लिये डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित कंसाइनीज रिसीट एंड एक्सेप्टेंस सर्टिफिकेट के तहत वस्तुओं/सेवाओं की पूर्ति के 10 दिनों के अंदर क्रेता द्वारा भुगतान किया जाएगा।
- सरकारी प्रयोक्ताओं द्वारा (अपने विकल्प पर) ऑनलाइन खरीद के लिये जेम का प्रयोग किया जा सकता है।
- 50 हजार रुपए तक के उत्पाद तथा सेवाएँ जेम पर उपलब्ध किसी भी आपूर्तिकर्त्ता के माध्यम से खरीदे जा सकते हैं, जो अपेक्षित गुणवत्ता, विनिर्दिष्टियाँ और डिलीवरी अवधि को पूरा करते हों।
- 50 हज़ार से अधिक और 30 लाख रुपए तक कीमत वाले सामान के लिये जेम पर ऑनलाइन बोली प्रक्रिया की सुविधा उपलब्ध है।
- प्रतियोगिता अधिक होने के कारण 'रिवर्स ऑक्शन' के माध्यम से बेहतर गुणवत्ता वाला सामान आसानी से खरीदा जा सकता है।
- जेम पर कीमत गतिशील है अर्थात ऊंची दर पर उत्पाद की खरीद के बाद यदि उसकी कीमत कम हो जाती है तो इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी।
- विक्रेता अपने उत्पादों की कीमत स्वयं तय करेंगे, तथापि यह खरीदार पर निर्भर करेगा कि वह अपनी आवश्यकतानुसार कौन से उत्पाद का चयन करता है।
- प्रेषिती को उत्पाद की सुरक्षित रूप से डिलीवरी की ज़िम्मेदारी विक्रेता की है।
- यदि अनुमोदन की प्रक्रिया के दौरान कीमतें बदल जाती हैं तो खरीद के लिये चुनी गई मदें होल्ड पर रहेगी और 5 दिनों के लिये कीमत नहीं बदलेगी। इस दौरान क्रेता अधिकारी आवश्यक अनुमोदन ले सकते हैं।
- यदि कीमतें गिरती हैं तो क्रेता अधिकारी को कम दर पर खरीदने की स्वतंत्रता है।
- क्रय अधिकारी द्वारा खरीद को अंतिम रूप देने के बाद इनवॉयस जनरेट की जाएगी तथा क्रय अधिकारी को ऑनलाइन भुगतान करना होगा और यह राशि क्रेता के खाते में ब्लॉक कर दी जाएगी।
- पूर्तिकर्त्ता को प्रेषिती द्वारा वस्तुएँ प्राप्त होने तथा उसके द्वारा जेम पोर्टल पर निर्धारित समय सीमा के अंदर पुष्टि करने के बाद भुगतान किया जाएगा।
जेम की संभावित विसंगतियाँ
- जेम के माध्यम से खरीदारी में सबसे बड़ी विसंगति यह है कि यह किसी भी तरह की खरीद-बिक्री की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर नहीं लेता।
- उत्पादों के दाम एक समान नहीं हैं और इनमें बराबर उतार-चढ़ाव होता रहता है, जिससे एक ही विभाग को एक ही सामान के लिये अलग-अलग समय पर अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ सकती है।
- इस पोर्टल पर उपलब्ध सामान की कीमत और उपलब्धता पर इसे चलाने वाले विभाग का कोई नियंत्रण नहीं है।
- इस खरीदारी प्रक्रिया से छोटे उद्यमियों को जोड़ने में पर्याप्त कामयाबी नहीं मिली है। देखने में आया है कि जो बड़े उद्यमी पहले से इस प्रक्रिया से जुड़े थे, वे ही इसका लाभ उठा रहे हैं।
- जेम को लेकर लॉग-इन, ट्रैफिक और बैंडविड्थ जैसी तकनीकी समस्याएँ भी सामने आई हैं।
जेम के माध्यम से भुगतान पारदर्शिता
- कोई भी विक्रेता जो उत्पादन करता है तथा उपयुक्त एवं प्रमाणित उत्पाद बेचता है, जेम पर आ सकता है, लेकिन उसका जेम पोर्टल पर पंजीकृत होना आवश्यक है।
- जेम प्रणाली के तहत खरीदार उसके संगठन के प्रमुख, भुगतान प्राधिकारियों के साथ-साथ विक्रेताओं को प्रत्येक स्तर पर ई-मेल सूचनाएँ भेजी जाती हैं।
- पीएफएमएस (Public Financial Management System–PFMS) और स्टेट बैंक ऑफ मल्टी-ऑप्शन प्रणाली के साथ एकीकरण के माध्यम से जेम पर ऑनलाइन, कैशलेस और समयबद्ध भुगतान किया जाता है।
- रेलवे, रक्षा, प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राज्य सरकारों के लिये भुगतान प्रणाली को सुविधाजनक बनाने हेतु वेब सेवाओं के एकीकरण का विस्तार किया जा रहा है।
क्षमता को बढ़ावा देने में सक्षम
- जेम पर सीधी खरीदारी मिनटों में की जा सकती है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है और उचित मूल्यों का पता लगाने के लिये ऑनलाइन उपकरणों के साथ पूरी तरह एकीकृत भी है।
- अधिक कीमत की खरीदारी के लिये बोली/रिवर्स नीलामी जैसी सुविधाएँ सरकारी क्षेत्र में प्रचलित ई-खरीदारी प्रणालियों की तुलना में बहुत अधिक पारदर्शी और कुशल होती हैं।
- अत: किसी बोली या नीलामी के सृजन के लिये खरीदार को अपने तकनीकी विनिर्देश तैयार करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उन्हें जेम पर पहले ही मानकीकृत कर दिया गया है। इसके लिये सभी पात्र आपूर्तिकर्त्ताओं को ई-मेल और एसएमएस के माध्यम से सूचित किया जाता है।
- जिससे खरीदार को किसी फैक्ट्री गेट पर मौजूद किसी वस्तु के मूल्य या उसे देश में आयात करने पर आने वाले मूल्य (वृद्धि) का पता लगाने में मदद मिलेगी।
सुरक्षित माध्यम
- जेम पूरी तरह से एक सुरक्षित मंच है और इसके सभी दस्तावेज़ों पर खरीदारों और विक्रेताओं द्वारा विभिन्न चरणों में ई-हस्ताक्षर किये जाते हैं।
- इसके अंतर्गत आपूर्तिकर्त्ताओं के पूर्ववृत्तों का एमसीए 21, आधार और पैन डेटाबेस के माध्यम से ऑनलाइन सत्यापन किया जाता है।
- इसके अलावा सेबी पैनलबद्ध क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का भी आपूर्तिकर्त्ताओं के तृतीय पक्ष का मूल्यांकन कराने के लिये उपयोग किया जाता है।
- इससे जेम पर व्यापार करने के इच्छुक आपूर्तिकर्त्ताओं की सत्यता के बारे में जानकारी तत्परता से और मज़बूत होती है।
- जेम मौजूदा प्रणाली की तुलना में कहीं बेहतर है। मौजूदा प्रणाली में आपूर्तिकर्त्ताओं के अच्छे आचरण की गारंटी के लिये वित्तीय साधनों (भारी खरीदारी के लिये निविदाओं के मामले में बयाना जमाराशि) पर अधिक निर्भर रहना पड़ता है।
- मौजूदा प्रणाली में उन आपूर्तिकर्त्ताओं के पूर्ववृत्त की कम मूल्य की खरीदारी (1 लाख रुपये तक) के लिये जाँच नहीं की जाती, जिनका सरकारी संगठनों में भारी संचय मूल्य होता है।
- जेम पर चाहे खरीदारी की कीमत चाहे कितनी भी कम या अधिक क्यों न हो, यहाँ सभी वेंडरों का शत-प्रतिशत ऑनलाइन सत्यापन होता है।
सरकार की बचत
- निविदा/दर अनुबंध और सीधी खरीदारी दरों की तुलना में जेम पोर्टल के उपयोग में पारदर्शिता, दक्षता और सरलता के कारण मूल्यों में काफी कमी हुई है।
- जेम पर औसत मूल्य न्यूनतम 15-20 प्रतिशत कम हैं और कुछ मामलों में यह मूल्य 56 प्रतिशत तक कम पाए गए हैं।
- विनिर्देशों के मानकीकरण और जेम वस्तुओं के मानकीकरण के द्वारा मूल्यों में और कमी आने से मांग एकत्रीकरण और अधिक बढ़ने का अनुमान है।
- सामान्य उपयोग की अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिये मांग एकत्रीकरण के परिणामस्वरूप 40,000 करोड़ रुपए की सालाना वार्षिक बचत होने का भी अनुमान है।
निष्कर्ष: भारत में हज़ारों सरकारी दफ्तरों में रोजमर्रा के काम के लिये अनेकानेक चीजों की लाखों-करोड़ों ज़रूरतें होती हैं, जिनमें पैन-पेंसिल और कागज़ से लेकर कंप्यूटर, फोटोस्टेट मशीन और परिवहन जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये सालाना हज़ारों करोड़ रुपए की खरीद सरकार करती है| इस सरकारी खरीद पर अक्सर उंगलियाँ उठती रहती हैं और माना जाता है कि इस खरीदारी प्रक्रिया में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर होता है।
इस खरीद में पारदर्शिता लाने हेतु केंद्र सरकार ने ऑनलाइन खरीदारी के लिये जेम पोर्टल बनाया है। जेम पूरी तरह से कागज़ रहित, कैशलेस और प्रणाली संचालित ई-मार्केटप्लेस है, जो न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ आम उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं की खरीदारी करने की सुविधा देता है। इस सरकारी ऑनलाइन मार्केटप्लेस की देशभर में बहुत से पंजीकृत सरकारी ग्राहकों के साथ अधिकतम ऑनलाइन पहुंच और उच्चतम विश्वसनीयता है। जेम विभिन्न उत्पादकों के उत्पादों को बिना किसी बाज़ारी प्रयासों के विभिन्न सरकारी खरीदारों तक ले जाता है। यहाँ सभी तरह की खरीदारी ऑनलाइन होती है तथा इसका उदेश्य खरीद प्रक्रिया में मानव हस्तक्षेप खत्म करना है। एक खुला मंच होने के कारण जेम सरकार के साथ व्यापार की इच्छा रखने वाले वास्तविक आपूर्तिकर्त्ताओं के लिये कोई प्रवेश बाधा उत्पन्न नहीं करता और समस्त प्रक्रिया पारदर्शी रूप से पूरी की जाती है।