परमाणु रहित संसार
संदर्भ
ध्यातव्य है कि संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक परमाणु नि:शस्त्रीकरण समझौते को अपनाया जाना किसी नए युग के शुभारंभ से कम नहीं है| हालाँकि यह सुनने में जितना आकर्षक प्रतीत होता है, वास्तविक रूप में उतना ही मुश्किल भी है| जन-धन को हानि पहुँचाने वाले इन हथियारों का पूर्णतः उन्मूलन करके ही हम एक देश को दूसरे देश से होने वाले खतरे से बचा सकते हैं|
- हालाँकि यह स्थिति अभी असंभव प्रतीत हो रही है क्योंकि आधुनिक हथियारों को राष्ट्रीय अथवा भौगोलिक सीमाओं की परवाह किये बिना बड़े पैमाने पर विनाश करने के लिये ही निर्मित किया गया है| ऐसी स्थिति में इन हथियारों को पूरी तरह से नष्ट कर देना किसी रोमांचक कल्पना से कम नहीं होगा|
समझौते की विशेषताएँ
- ध्यातव्य है कि इस नई संधि को 122 देशों द्वारा स्वीकार किया जा चुका है| इसमें परमाणु हथियारों के उत्पादन, भंडारण और उपयोग से संबंधित सभी गतिविधियों के विषय में नियम बनाए गए हैं|
- इस संधि के अनुच्छेद 1 के तहत परमाणु हथियारों के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया है| विदित हो कि वर्ष 1996 की व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty) अभी तक प्रभाव में नहीं लाई जा सकी गई है|
- ध्यातव्य है कि परमाणु विकिरण के उत्सर्जन और पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित लोगों की सहायता से संबंधित प्रावधान को अपवादस्वरूप अनुच्छेद 6 से बाहर रखा गया है|
- वस्तुतः इसका एक अहम कारण यह भी है कि इसके लिये परमाणु हथियारों का निर्माण करने वाले देशों में कम-से-कम 44 ऐसे देश हैं, जिनके द्वारा इस प्रस्ताव की पुष्टि अनिवार्य है|
मार्शल द्वीप
- मार्शल द्वीप प्राचीन समय में जलमग्न हुए ज्वालामुखी हैं जिनकी उत्पत्ति महासागरीय सतह से हुई थी| ये हवाई और ऑस्ट्रेलिया के मध्य में नॉरू और किरिबाती के उत्तर, माइक्रोनेसिया के पूर्व में और वेक द्वीप के विवादित अमेरीकी क्षेत्र (जिस पर अमेरिका अपना दाव भी करता है) के दक्षिण में स्थित है|
- यहाँ विश्व का सबसे बड़ा शार्क अभयारण्य shark sanctuary अवस्थित है जिसका फैलाव विश्व के कईं महासागरीय क्षेत्रों तक है|
- स्पष्ट है कि संरक्षित जल में किसी भी प्रकार की शार्क मछलियों को पकड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है| यहाँ पकड़ी गई सभी मछलियों को मुक्त कर दिया जाता है|
- इस संधि का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रावधान अनुच्छेद 1(d) में निहित है जिसमें किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों के उपयोग को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है|
- इसके तहत जैवीय और रासायनिक प्रकार के हथियारों पर भी प्रतिबंध लगाने का प्रावधान किया गया है|
- हालाँकि अभी भी इसे विश्व की प्रमुख परमाणु शक्तियों का खुला समर्थन प्राप्त नहीं हो सका है|
- उनकी यह निराशा बेशक इसकी प्रभावशीलता के लिये एक खतरा है परंतु इस संधि की सार्थकता एवं औचित्य के संदर्भ में ऐसा किया जाना मानवता के अस्तित्व के लिये बहुत आवश्यक है|
सी.टी.बी.टी.
- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) एक बहुपक्षीय संधि है जो सैन्य और असैन्य उद्देश्यों के लिये किये गए सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाती है|
- ध्यातव्य है कि इसे 10 सितम्बर, 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया गया था, परन्तु अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है| संभवतः इसका कारण यह है कि इसे अभी तक आठ विशेष राष्ट्रों की पुष्टि प्राप्त नहीं हुई है|
- उल्लेखनीय है कि परमाणु हथियारों पर प्रतिबंध संधि अथवा परमाणु हथियार प्रतिबंध संधि पहला ऐसा समझौता है जो कि पूर्ण रूप से बाध्यकारी है|
- वस्तुतः इसका उद्देश्य परमाणु हथियारों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना है|
- एक बार प्रभाव में आ जाने पर यह उन सभी देशों पर बाध्यकारी हो जाएगी जो इसकी पुष्टि करेंगे|