भूकंप
प्रिलिम्स के लिये:भूकंप, सिस्मोग्राफ, अधिकेंद्र, परिधि-प्रशांत भूकंपीय पेटी मेन्स के लिये:भूकंप के प्रकार एवं उनका वितरण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में म्याँमार-भारत सीमा क्षेत्र में 6.1 तीव्रता का एक सतही और शक्तिशाली भूकंप आया।
प्रमुख बिंदु
- भूकंप:
- साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से होता है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।
- भूकंप से उत्पन्न तरगों को भूकंपीय तरगें कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें ‘सिस्मोग्राफ’ (Seismographs) से मापा जाता है।
- पृथ्वी की सतह के नीचे का स्थान जहाँ भूकंप का केंद्र स्थित होता है, हाइपोसेंटर (Hypocenter) कहलाता है और पृथ्वी की सतह के ऊपर स्थित वह स्थान जहाँ भूकंपीय तरगें सबसे पहले पहुँचती है अधिकेंद्र (Epicenter) कहलाता है।
- भूकंप के प्रकार: फाल्ट ज़ोन, विवर्तनिक भूकंप, ज्वालामुखी भूकंप, मानव प्रेरित भूकंप।
- भूकंप का वितरण:
- विश्व की सबसे बड़ी भूकंप पेटी, परिधि-प्रशांत भूकंपीय पेटी, प्रशांत महासागर के किनारे पाई जाती है, जहाँ हमारे ग्रह के सबसे बड़े भूकंपों के लगभग 81% आते हैं। इसने "रिंग ऑफ फायर" उपनाम अर्जित किया है।
- यह पेटी विवर्तनिक प्लेटों की सीमाओं में मौजूद है, जहाँ अधिकतर समुद्री क्रस्ट की प्लेटें दूसरी प्लेट के नीचे डूब रही हैं। इन ‘सबडक्शन ज़ोन’ में भूकंप, प्लेटों के बीच फिसलन और प्लेटों के भीतर से टूटने के कारण आता है।
- एल्पाइड भूकंप बेल्ट (मध्य महाद्वीपीय बेल्ट) जावा से सुमात्रा तक हिमालय, भूमध्यसागर और अटलांटिक में फैली हुई है।
- यह बेल्ट दुनिया के सबसे बड़े भूकंपों का लगभग 17% हिस्सा है, जिसमें कुछ सबसे विनाशकारी भी शामिल हैं।
- तीसरा प्रमुख बेल्ट जलमग्न मध्य-अटलांटिक रिज में है। रिज वह क्षेत्र होता है, जहाँ दो टेक्टोनिक प्लेट अलग-अलग विस्तृत होती हैं।
- मध्य अटलांटिक रिज का अधिकांश भाग गहरे पानी के भीतर है और मानव हस्तक्षेप से बहुत दूर है।
- विश्व की सबसे बड़ी भूकंप पेटी, परिधि-प्रशांत भूकंपीय पेटी, प्रशांत महासागर के किनारे पाई जाती है, जहाँ हमारे ग्रह के सबसे बड़े भूकंपों के लगभग 81% आते हैं। इसने "रिंग ऑफ फायर" उपनाम अर्जित किया है।
भारत में भूकंप जोखिम मानचित्रण:
- तकनीकी रूप से सक्रिय वलित हिमालय पहाड़ों की उपस्थिति के कारण भारत भूकंप प्रभावित देशों में से एक है।
- अतीत में आए भूकंप तथा विवर्तनिक झटकों के आधार पर भारत को चार भूकंपीय क्षेत्रों (II, III, IV और V) में विभाजित किया गया है।
- पहले भूकंप क्षेत्रों को भूकंप की गंभीरता के संबंध में पाँच क्षेत्रों में विभाजित किया गया था, लेकिन भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) ने पहले दो क्षेत्रों को एक साथ मिलाकर देश को चार भूकंपीय क्षेत्रों में विभाजित किया है।
- BIS भूकंपीय खतरे के नक्शे और कोड को प्रकाशित करने हेतु एक आधिकारिक एजेंसी है।
- भूकंपीय ज़ोन II:
- मामूली क्षति वाला भूकंपीय ज़ोन, जहाँ तीव्रता MM (संशोधित मरकली तीव्रता पैमाना) के पैमाने पर V से VI तक होती है।
- भूकंपीय ज़ोन III:
- MM पैमाने की तीव्रता VII के अनुरूप मध्यम क्षति वाला ज़ोन।
- भूकंपीय ज़ोन IV:
- MM पैमाने की तीव्रता VII के अनुरूप अधिक क्षति वाला ज़ोन।
- भूकंपीय ज़ोन V:
- यह क्षेत्र फाॅल्ट प्रणालियों की उपस्थिति के कारण भूकंपीय रूप से सर्वाधिक सक्रिय होता है।
- भूकंपीय ज़ोन V भूकंप के लिये सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से देश में भूकंप के कुछ सबसे तीव्र झटके देखे गए हैं।
- इन क्षेत्रों में 7.0 से अधिक तीव्रता वाले भूकंप देखे गए हैं और यह IX की तुलना में अधिक तीव्र होते हैं।