पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र फ्लिप
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जर्नल साइंस एडवांस (Journal Science Advances) द्वारा यह खोज की गई कि पृथ्वी के अंतिम चुंबकीय क्षेत्र का उत्क्रमण लगभग 770,000 वर्ष पहले हुआ था जिसको वैज्ञानिकों ने मटुआमा-ब्रुनेश (Matuyama-Brunhes) नाम दिया है।
प्रमुख बिंदु:
- मटुआमा-ब्रुनेश (Matuyama-Brunhes) नामक अंतिम घटना 4,000 वर्षों तक चली लेकिन अस्थिरता की विस्तारित अवधि लगभग 18,000 वर्षों तक बनी रही।
- नया विश्लेषण लावा के प्रवाह, महासागर तलछट और अंटार्कटिका के बेरिलियम निक्षेपण के समग्र अध्ययन के बाद प्रकाशित किया गया है।
- विश्लेषण में चिली, ताहिती, हवाई, कैरिबियन और कनारी द्वीपसमूह के लावा प्रवाह के नमूनों को संयुक्त चुंबकीय रीडिंग (Combined Magnetic Readings) और विकिरण समस्थानिक (Radioisotope) के लिये संग्रहीत किया गया था।
- इन लावा प्रवाहों की समयावधि जानने के लिये चट्टानों में पोटैशियम के रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न आर्गन का प्रयोग किया गया था। समुद्री तलछट पर चुंबकीय रीडिंग के साथ डेटा की जो पुष्टि की गई, वह लावा चट्टानों की तुलना में अधिक निरंतर परन्तु कम सटीक स्रोत है।
- अध्ययन में अंटार्कटिक के आस-पास के बेरिलियम निक्षेपण का उपयोग किया गया, जो वायुमंडल से टकराकर ब्रह्मांडीय विकिरण द्वारा निर्मित होता है। चुंबकीय क्षेत्र के उत्क्रमण के दौरान विकिरण की वातावरण पर प्रभावशीलता बढ़ जाती है, जिससे अधिक बेरिलियम का उत्पादन होने लगता है।
पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र:
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बाहरी कोर में पाया जाता है, बाहरी कोर तरल अवस्था में है।
- पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमने के कारण तरल बाहरी कोर के अंदर का लोहा चारों ओर घूमकर एक चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करता है।
- कई प्रकार की चट्टानों में लोहे के समान गुणधर्म वाले खनिज होते हैं जो छोटे चुंबकों की तरह कार्य करते हैं।
- मैग्मा या लावा के शांत होने के बाद यह खनिज चुंबकीय क्षेत्र के साथ संरेखित होकर चट्टानों को संरक्षित करता है। लावा प्रवाह चुंबकीय क्षेत्र के आदर्श परिचायक होते हैं।
- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र नाटकीय रूप से लंबी कालावधि के दौरान अपनी ध्रुवीयता को बदलता रहता है।
- वर्तमान में उत्तरी चुंबकीय ध्रुव साइबेरिया के आसपास है इसके कारण हाल ही में GPS को सटीक नेविगेशन हेतु अपने सॉफ़्टवेयर को अपडेट करना पड़ा ।