नए ग्रहों की खोज
प्रीलिम्स के लिये:प्रकाश वर्ष, केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन मेन्स के लिये:गोल्डीलॉक ज़ोन के बारे में |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के खगोलविदों द्वारा 17 नए ग्रहों की खोज की गई है, जिनमें से एक पृथ्वी के समान रहने योग्य दुर्लभ ग्रह ‘KIC-7340288b’ भी शामिल हैI
मुख्य बिंदु:
- इन ग्रहों की खोज राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (National Aeronautics and Space Administration-NASA) की सेवानिवृत्त केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन (Kepler Space Telescope) के द्वारा की गई हैI
- नासा के चार वर्षीय केप्लर मिशन द्वारा पारगमन विधि (Transit Method) के प्रयोग से लगभग दो लाख तारों का अध्ययन किया गया हैI
- इन नए ग्रहों की खोज गोल्डीलॉक ज़ोन (Goldilock Zone) में की गई है जहाँ ग्रहों की चट्टानी सतह पर पानी की मौजूदगी का अनुमान भी लगाया जा रहा हैI
- सबसे छोटा ग्रह पृथ्वी के आकार का दो- तिहाई है जो केप्लर द्वारा ज्ञात ग्रहों में अब तक का सबसे छोटा ग्रह भी हैI
- अन्य ग्रहों का आकार पृथ्वी के आकार की तुलना में लगभग आठ गुना तक अधिक हैI
केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन-
- नासा द्वारा इस दूरबीन को वर्ष 2008 में लाॅन्च किया गया थाI
- इसका प्रयोग पृथ्वी के आकार के ग्रहों की खोज करने के उद्देश्य से किया गया I
- केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन का नाम खगोलविद जोहान्स केपलर के नाम पर रखा गयाI
- नासा द्वारा केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन को वर्ष 2009 में प्रयोग में लाया गया तथा अक्टूबर 2018 में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया हैI
पारगमन विधि-
- एक तारे और पृथ्वी के बीच एक ग्रह के गुजरने को पारगमन (Transit) कहा जाता है।
प्रकाश वर्ष-
- यह एक खगोलीय माप हैI
- इसका प्रयोग अंतरिक्ष में तारों और ग्रहों के बीच की दूरी का आकलन करने के लिये किया जाता है।
KIC-7340288b:
- खोजे गए ग्रहों में KIC-7340288b एक अत्यंत दुर्लभ ग्रह हैI
- यह ग्रह पृथ्वी के आकार का लगभग डेढ गुना है जो सौर प्रणाली के अन्य ग्रहों की तरह ही छोटी-छोटी चट्टानों से मिलकर बना हैI
- यह ग्रह पृथ्वी से एक हजार प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित हैI
- इस ग्रह का एक वर्ष की अवधि 143.3 दिनों के बराबर होती हैI
- यह ग्रह 0.444 खगोलीय इकाइयों (Astronomical Units) में अपने तारे की परिक्रमा करता है।
- सौर मंडल में इस ग्रह की कक्षा (Orbit) बुध ग्रह की कक्षा से बड़ी है।
- पृथ्वी के समान ही यह सूर्य से लगभग एक तिहाई प्रकाश प्राप्त करता है।