मुख्यमंत्री

प्रिलिम्स के लिये: 

अविश्वास प्रस्ताव, मुख्यमंत्री से संबंधित विभिन्न प्रावधान

मेन्स के लिये:  

मुख्यमंत्री की नियुक्ति और कार्यकाल,  राज्यपाल और उसकी विवेकाधीन शक्तियाँ, राज्यपाल पद संबंधी विवाद 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री (CM) के रूप में शपथ ग्रहण की।

  • उन्होंने वर्ष 2022 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनावों से कुछ महीने पहले ही पदभार ग्रहण किया है।

प्रमुख बिंदु 

नियुक्ति:

  • संविधान के अनुच्छेद 164 यह प्रावधान करता है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा।
    •  विधानसभा चुनावों में पार्टी के एक बहुमत प्राप्त नेता को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है।
    • राज्यपाल के पास नाममात्र का कार्यकारी अधिकार है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास है।
    • हालाँकि राज्यपाल द्वारा प्राप्त विवेकाधीन शक्तियाँ राज्य प्रशासन में मुख्यमंत्री की शक्ति, अधिकार, प्रभाव, प्रतिष्ठा और भूमिका को कुछ हद तक कम कर देती हैं।
  • एक व्यक्ति जो राज्य विधानसभा का सदस्य नहीं है, उसे छह महीने के लिये मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया जा सकता है, उस समयसीमा के भीतर उसे राज्य विधानसभा की सदस्यता ग्रहण करनी होगी, ऐसा न करने पर उसे मुख्यमंत्री पद का त्याग करना होता है।

CM का कार्यकाल:

  • मुख्यमंत्री का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है और वह राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद धारण करता है।
    • राज्यपाल द्वारा उसे तब तक बर्खास्त नहीं किया जा सकता जब तक कि विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है।
  • यदि वह विधानसभा में विश्वास मत खो देता है तो उसे त्यागपत्र दे देना चाहिये अन्यथा राज्यपाल उसे बर्खास्त कर सकता है।

शक्तियाँ एवं कार्य:

  • मंत्रिपरिषद के संबंध में:
    • राज्यपाल केवल उन्हीं व्यक्तियों को मंत्री के रूप में नियुक्त करता है जिनकी सिफारिश मुख्यमंत्री द्वारा की जाती है।
    • वह मंत्रियों के बीच विभागों का आवंटन और फेरबदल करता है।
    • वह पद से इस्तीफा देकर मंत्रिपरिषद का विघटन कर सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का प्रमुख होता है।
  • राज्यपाल के संबंध में:
    • संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत राज्यपाल और राज्य मंत्रिपरिषद के बीच मुख्यमंत्री एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।
    • मुख्यमंत्री द्वारा महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य चुनाव आयोग आदि के अध्यक्ष और सदस्यों जैसे महत्त्वपूर्ण अधिकारियों की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को सलाह दी जाती है।
  • राज्य विधानमंडल के संबंध में:
    • सभी नीतियों की घोषणा उसके द्वारा सदन के पटल पर की जाती है।
    • वह राज्यपाल को विधानसभा भंग करने की सिफारिश करता है।
  • अन्य कार्य:
    • वह राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है।
    • वह संबंधित क्षेत्रीय परिषद के क्रमवार उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करता है और एक समय में इसका कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
    • वह अंतर-राज्य परिषद और नीति आयोग का सदस्य होता है, इन दोनों परिषदों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
    • वह राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है।
    • आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर वह मुख्य प्रबंधक होता है।
    • राज्य के एक नेता के रूप में वह लोगों के विभिन्न वर्गों से मिलता है और उनकी समस्याओं के बारे में ज्ञापन प्राप्त करता है।
    • वह सेवाओं का राजनीतिक प्रमुख है।

स्रोत: द हिंदू