यूजीसी की जगह लेगा एचईसीआई
संदर्भ
सरकार ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा फर्जी विश्वविद्यालयों पर लगाम लगाने के लिये यूजीसी अधिनियम में बड़ा बदलाव करने का फैसला लिया है। इस बदलाव के तहत यूजीसी को समाप्त कर उसके स्थान पर HECI (Higher Education Commission of India) को लाने का प्रस्ताव किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- हायर एजुकेशन कमीशन एकल नियामक संस्था होगी जो केंद्रीय, निजी तथा डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिये सभी प्रकार के नियम तय करेगी। अब तक यह काम मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा किये जाते थे।
- मंत्रालय केवल वित्तीय कामकाज संभालेगा, जिसके तहत विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को अनुदान देना, स्कॉलरशिप राशि आदि का भुगतान करना भी शामिल रहेगा।
- आयोग उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा शुल्क के निर्धारण हेतु मानदंडों और प्रक्रियाओं को भी निर्दिष्ट करेगा और सभी के लिये शिक्षा को सुलभ बनाने के लिये उठाए जाने वाले कदमों के बारे में केंद्र सरकार या राज्य सरकारों को सलाह दे सकता है।
- नए अधिनियम का नाम हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया एक्ट-2018 होगा।
- अन्य नियामक संस्थाओं, मुख्य रूप से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् (All India Council for Technical Education-AICTE) और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (National Council for Teacher Education-NCTE) के प्रमुखों को सम्मिलित करने से आयोग और मज़बूत होगा।
- इस अधिनियम के लागू होते ही 61 साल पुराने यूजीसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
- उच्च शिक्षण संस्थानों की मनमानी को रोकने के लिये पहली बार HECI एक्ट 2018 में ज़ुर्माने के साथ सज़ा का प्रावधान किया गया है। दोषी पाए जाने पर सीपीसी के तहत तीन साल या उससे अधिक की सज़ा हो सकती है।
- आवश्यक अकादमिक मानकों को बनाए रखने में विफल पाए गए संस्थानों के परामर्श के लिये एक यह रोडमैप प्रदान करेगा।
- आयोग उच्च शिक्षण संस्थानों को इस बात के लिये भी प्रोत्साहित करेगा कि वे शिक्षा, शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों का विकास करें।
- आयोग एक राष्ट्रीय डेटा बेस के माध्यम से आयोग ज्ञान के नये उभरते क्षेत्रों में हो रहे विकास और सभी क्षेत्रों में उच्च शिक्षा संस्थानों के संतुलित विकास विशेषकर के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रोत्साहित करने से संबंधित सभी मामलों की निगरानी करेगा।
हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ़ इंडिया (HECI) की संरचना
- हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ़ इंडिया में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और 12 अन्य सदस्य होंगे, जिनमें कार्यकारी सदस्य, प्रतिष्ठित शिक्षाविद और उद्योग जगत का एक वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित सदस्य शामिल होगा।
- अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त ऐसे व्यक्ति होंगे जिनमें नेतृत्व क्षमता, संस्थानों का विकास करने की प्रमाणित योग्यता और उच्च शिक्षा से संबंधित नीतियों एवं कार्यों की गहरी समझ होगी।
- इसके साथ ही आयोग का एक सचिव भी होगा, जो सदस्य सचिव के रुप में काम करेगा। इन सभी की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
- देश में मानकों के निर्धारण और उनमें समन्वय के लिये आयोग को सलाह देने के लिये एक सलाह समिति होगी। इसमें राज्यों की उच्च शिक्षा परिषदों के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष शामिल होंगे और इसकी अध्यक्षता केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा की जाएगी।
शक्तियाँ
- यह आयोग फर्ज़ी एवं मानकों पर खरा न उतरने वाले संस्थानों को बंद करने का आदेश दे सकता है।
- नए नियामक संस्थान को शैक्षणिक गुणवत्ता तय करने का अधिकार होगा।
- आदेश नहीं मानने वाले के खिलाफ ज़ुर्माना और सज़ा दोनों का प्रावधान है। वर्तमान में यूजीसी अपनी वेबसाइट पर फर्ज़ी संस्थानों की केवल सूची प्रकाशित करती है।
प्रमुख कार्य
- शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना
- शैक्षिक मानकों को बनाए रखना
- शिक्षण, मूल्यांकन और अनुसंधान के लिये मानक तय करना
- शिक्षा के स्तर को बनाए रखने में असफल संस्थानों की निगरानी करना
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
- 28 दिसंबर, 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने औपचारिक तौर पर यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन की नींव रखी थी।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विश्वविद्यालयी शिक्षा के मापदंडों के समन्वय, निर्धारण और अनुरक्षण हेतु 1956 में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित एक स्वायत्त संगठन है।
- पात्र विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को अनुदान प्रदान करने के अतिरिक्त, आयोग केंद्र और राज्य सरकारों को उच्चतर शिक्षा के विकास हेतु आवश्यक उपायों पर सुझाव भी देता है।
- इसका मुख्यालय देश की राजधानी नई दिल्ली में अवस्थित है। इसके छः क्षेत्रीय कार्यालय पुणे, भोपाल, कोलकाता, हैदराबाद, गुवाहाटी एवं बंगलूरू में हैं।