सीलिएक रोग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में किये गए अध्ययन के अनुसार, भारत में प्रत्येक 140 लोगों में एक व्यक्ति सीलिएक रोग से ग्रसित है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है इसे व्हीट एलर्जी (Wheat Allergy) भी कहा जाता है, जो एक क्रोनिक डिज़ीज (Chronic Disease) है एवं इसके कारण छोटी आँत में सूजन आ जाती है। यह सूजन ग्लूटेन नामक प्रोटीन के कारण होता है। आमतौर यह बीमारी किसी व्यक्ति में आनुवंशिक रूप से भी हो सकती है।
  • ग्लूटेन सामान्यतः गेहूं, राई, जौ और ट्रिटिकेल (triticale), गेहूं और राई का संकर उत्पाद) में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है।
  • ग्लूटेन प्रोटीन भोजन के आकार को बनाए रखने में मदद करता है, गोंद के रूप में कार्य करता है जो भोजन में पोषक तत्त्वों को एक साथ मिलाये रखता है।

सीलिएक रोग का शरीर पर प्रभाव

  • जब सीलिएक रोग से ग्रसित रोगी ग्लूटेन का सेवन करते हैं, तो उनके शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है जिससे छोटी आँत बुरी तरह से प्रभावित हो जाती है, जोकि इसके स्व-प्रतिरक्षित रोग होने का संकेत भी है।
  • इस प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया से सबसे अधिक क्षति विली (Villi, ये विली, छोटी आँत की सतह पर उपस्थित ऊँगली के आकार के उभार होते है जो भोजन में से पोषक पदार्थों का अवशोषण करते है) को पहुँचती है।
  • जब विली नष्ट हो जाती हैं तो शरीर में भोजन से पोषक पदार्थों का अवशोषण नहीं हो पाता है।
  • इसके अलावा, आधुनिक गेहूं जोकि अधिक एंटीजेनिक होते है, शरीर में प्रविष्ट होने पर एंटीबॉडी के उत्पादन को उत्तेजित करते है।
  • सीलिएक रोग से ग्रसित रोगियों में कोरोनरी धमनी से संबंधित रोग का दोगुना और छोटे आँत में कैंसर के चार गुना अधिक खतरे की संभावना होती है।
  • वर्तमान में, सीलिएक रोग का एकमात्र उपचार ग्लूटेन मुक्त आहार का सेवन करना है। लोगों को ग्लूटेन मुक्त रहने हेतु गेहूं, राई, जौ, ब्रेड और बीयर जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये।
  • कई लोग जिन्हें सीलिएक रोग नहीं है, वे भी ग्लूटेन के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं, जिसे गैर-सीलिएक ग्लूटेन संवेदनशीलता (Non Celiac Gluten Sensitivity) के रूप में जाना जाता है।

Celiac Disease

ग्लूटेन मुक्त आहार से संबंधित मुद्दे

  • वे लोग जो सीलिएक रोग से ग्रसित नहीं हैं, वे भी वज़न घटाने, बेहतर पाचन जैसी बातों के मद्देनजर इस प्रकार के मोटे अनाजों को छोड़ रहे हैं।
  • गेहूं जैसे मोटे अनाज जोकि फाइबर का एक अच्छा स्रोत होने के साथ ही आँत के बेहतर तरीके से कार्य करने के लिये आवश्यक है।
  • ग्लूटेन मुक्त आहार के सेवन से हृदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है।

स्व-प्रतिरक्षित रोग (Autoimmune Disease)

  • हमारे शरीर में एक प्रतिरक्षा प्रणाली होती है, जिसमें कुछ विशेष कोशिकाओं और अंगों का एक जटिल नेटवर्क होता है तथा जो शरीर को रोगाणु एवं अन्य बाहरी प्रतिजनों के विरुद्ध प्रतिरक्षी बनकर हमारे शरीर को रोगों से बचाता है।
  • स्व-प्रतिरक्षित रोग से पीड़ित शरीर में प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही शरीर के ऊतकों और अंगों पर आक्रमण करती है।
  • ऑटोइम्यून बीमारी के प्रकार के आधार पर शरीर के अंग प्रभावित होते हैं। उनमें से कुछ जैसे-मल्टीपल स्केलेरोसिस (Multiple Sclerosis), ल्यूकोडर्मा (Leucoderma) आदि हैं।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया