इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच युद्धविराम
प्रिलिम्स के लिये:इज़रायल और फिलिस्तीन का भूगोल, वर्ष 1948 का अरब इज़रायल युद्ध, अब्राहम समझौता, यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद मेन्स के लिये:इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष, 1948 का अरब-इज़रायल युद्ध, वर्ष 1967 में छह-दिवसीय युद्ध, अब्राहम समझौता |
चर्चा में क्यो?
इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच तीन दिनों तक हिंसा, जिसके कारण दोनों देशों में दर्जनों लोगों की मृत्यु हो गई, के बाद हाल ही में युद्धविराम हो गया।
- इस वर्ष की शुरुआत में भी यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद में फिलिस्तीनियों और इज़राली पुलिस के बीच तनाव बढ़ गया था।
- ये आवर्ती संघर्ष चल रहे इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष का ही हिस्सा हैं।
वर्तमान संघर्ष :
- संघर्ष का कारण:
- इज़रायली विमानों ने गाजा में ठिकानों (इस्लामिक जिहाद के नेताओं) को निशाना बनाया।
- जवाब में ईरान समर्थित फिलिस्तीनी जिहाद आतंकवादी समूह ने इज़रायल पर सैकड़ों रॉकेट दागे।
- इस्लामिक जिहाद में हमास की तुलना में कम लड़ाके और समर्थक हैं।
- इज़रायली विमानों ने गाजा में ठिकानों (इस्लामिक जिहाद के नेताओं) को निशाना बनाया।
- इज़रायली कार्रवाई:
- इज़रायल ने इस्लामिक जिहाद के एक नेता पर हमले के साथ अपना अभियान शुरू किया और हमले की नीयत से एक अन्य दूसरे प्रमुख नेता पीछा किया।
- गाजा की कार्रवाई:
- इज़रायली सेना के अनुसार गाजा में आतंकवादियों ने इज़रायल की ओर लगभग 580 रॉकेट दागे।
- इज़रायल ने उनमें से कई को रोक दिया तथा दो को मार गिराया गया जिन्हें यरूशलम की ओर दागा गया था।
- यूएनएससी की बैठक:
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने हिंसा को लेकर एक आपातकालीन बैठक निर्धारित की।
- चीन जो कि अगस्त 2022 के लिये परिषद की अध्यक्षता करेगा, ने संयुक्त अरब अमीरात के अनुरोध के जवाब में सत्र निर्धारित किया, यह परिषद में अरब देशों का प्रतिनिधित्व करता है, साथ ही इसमें चीन, फ्राँस, आयरलैंड और नॉर्वे भी शामिल होंगे।
इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच विवाद:
- यरुशलम पर विवाद:
- यरुशलम इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष के केंद्र में रहा है।
- वर्ष 1947 की संयुक्त राष्ट्र (UN) मूल विभाजन योजना के अनुसार, यरूसलम को एक अंतर्राष्ट्रीय शहर के रूप में प्रस्तावित किया गया था।
- हालाँकि वर्ष 1948 के प्रथम अरब इज़रायल युद्ध में इज़रायलियों ने शहर के आधे पश्चिमी हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया और प्राचीन शहर सहित पूर्वी भाग, जहाँ हरम अल-शरीफ़ अवस्थित है, पर जॉर्डन ने कब्ज़ा कर लिया।
- वर्ष 1967 में छह-दिवसीय युद्ध के बाद इज़रायल और अरब राज्यों के गठबंधन के बीच एक सशस्त्र संघर्ष हुआ जिसमें मुख्य रूप से जॉर्डन, सीरिया और मिस्र शामिल थे, जॉर्डन का वक्फ मंत्रालय, जो तब तक अल-अक्सा मस्जिद पर नियंत्रण रखता था, ने इस मस्जिद की देखरेख करना बंद कर दिया।
- इज़रायल ने वर्ष 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में जॉर्डन के नियंत्रण वाले पूर्वी यरूशलम पर कब्ज़ा कर उसका विलय कर लिया।
- विलय के बाद से इज़रायल ने पूर्वी यरूशलम में बस्तियों का विस्तार किया।
- इज़रायल पूरे शहर को अपनी "एकीकृत, शाश्वत राजधानी" के रूप में देखता है, जबकि फिलिस्तीनी नेतृत्व ने यह सुनिश्चित किया है कि वह भविष्य के फिलिस्तीनी राज्य के लिये किसी भी समझौते को तब तक स्वीकार नहीं करेगा जब तक कि पूर्वी यरूशलम को उसकी राजधानी के रूप में मान्यता प्रदान नहीं कर दी जाती है।
- हालिया गतिविधि:
- अल-अक्सा मस्जिद और शेख जर्राह:
- मई 2021 में इज़रायली सशस्त्र बलों ने यरूशलम में ज़ायोनी राष्ट्रवादियों द्वारा वर्ष 1967 में शहर के पूर्वी हिस्से पर इज़रायल के कब्ज़े को स्मरण करते हुए निकाले जाने वाले मार्च से पहले यरूशलम के हरम अल-शरीफ में अल-अक्सा मस्जिद पर हमला किया था।
- शेख जर्राह द्वारा पूर्वी यरूशलम में दर्जनों फ़िलिस्तीनी परिवारों को बेदखल करने की धमकी ने संकट को और बढ़ा दिया।
- वेस्ट बैंक सेटलमेंट:
- इज़रायल के सर्वोच्च न्यायालय ने कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के ग्रामीण हिस्से के 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी निवासियों को उस क्षेत्र में बेदखल करने के खिलाफ एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसका चयन इज़रायल ने सैन्य अभ्यास के लिये किया है।
- इस निर्णय ने हेब्रोन के पास एक चट्टानी, शुष्क क्षेत्र में आठ छोटे गाँवों को ध्वस्त करने का मार्ग प्रशस्त किया, जिन्हें फिलिस्तीनियों द्वारा मासाफर यट्टा और इज़रायलियों को दक्षिण हेब्रोन हिल्स के रूप में जाना जाता है।
- इज़रायल के सर्वोच्च न्यायालय ने कब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के ग्रामीण हिस्से के 1,000 से अधिक फिलिस्तीनी निवासियों को उस क्षेत्र में बेदखल करने के खिलाफ एक याचिका को खारिज कर दिया है जिसका चयन इज़रायल ने सैन्य अभ्यास के लिये किया है।
- अल-अक्सा मस्जिद और शेख जर्राह:
- संकट पर भारत का रुख:
- भारत हाल के वर्षों में इज़रायल और फिलिस्तीन के मध्य संबंधों को बनाए रखने के लिये एक डि-हाईफेनेशन नीति का पालन कर रहा है।
- दुनिया में सबसे लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष को लेकर भारत की नीति पहले चार दशकों के लिये स्पष्ट रूप से फिलिस्तीन समर्थक थी लेकिन इज़रायल के साथ तीन दशक से मैत्रीपूर्ण संबंधों के चलते फिलिस्तीन से संबंधों में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- वर्ष 2017 में एक अभूतपूर्व कदम के तहत भारत के प्रधानमंत्री ने केवल इज़रायल का दौरा किया न कि फिलिस्तीन का।
- प्रधानमंत्री की हाल की फिलिस्तीन (वर्ष 2018), ओमान और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा फिर से इसी तरह की नीति की निरंतरता है।
- भारत हाल के वर्षों में इज़रायल और फिलिस्तीन के मध्य संबंधों को बनाए रखने के लिये एक डि-हाईफेनेशन नीति का पालन कर रहा है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न: दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन सा देश भूमध्य सागर की तरफ नहीं खुलता है? (2015) (a) सीरिया उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। प्रश्न. 'आवश्यकता से कम नकदी, अत्यधिक राजनीति ने यूनेस्को को जीवन रक्षण की स्थिति में पहुँचा दिया है।' अमेरिका द्वारा सदस्यता का परित्याग करने और सांस्कृतिक संस्था पर 'इज़रायल विरोधी पूर्वाग्रह' होने का दोषरोपण करने के प्रकाश में इस कथन की विवेचना कीजिये। ( मुख्य परीक्षा, 2019) प्रश्न. "इज़रायल के साथ भारत के संबंधों ने हाल ही में एक ऐसी गहराई और विविधता हासिल की है, जिसकी पुनर्वापसी नहीं की जा सकती है।" विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2018) |