दक्षिण अफ्रीका का कार्बन टैक्स
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दक्षिण अफ्रीका ने कार्बन टैक्स (Carbon Tax) की शुरुआत की है।
प्रमुख बिंदु :
- दक्षिण अफ्रीका द्वारा यह टैक्स 1 जून, 2019 को लागू किया गया था।
- इसे लागू करने के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
- ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को कम करना, और
- कम कार्बन वाले विकल्पों पर निवेश को बढ़ावा देना है।
- इसके उपयोग से कार्बन उत्सर्जन (Carbon Emission) में वर्ष 2020 तक 34 प्रतिशत और वर्ष 2025 तक 42 प्रतिशत की कमी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- दक्षिण अफ्रीका ने प्रदूषण के मामले में यूनाइटेड किंगडम और फ्राँस को भी पीछे छोड़ दिया है और वहाँ के लैंडफिल जल्द ही भरने वाले हैं। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि उसे इस प्रकार के सख्त और महत्त्वपूर्ण कदमों की कितनी ज़्यादा आवश्यकता है।
क्या है कार्बन टैक्स?
- कार्बन टैक्स प्रदूषण पर नियंत्रण करने का एक साधन है, जिसमें कार्बन के उत्सर्जन की मात्रा के आधार पर जीवाश्म ईंधनों के उत्पादन, वितरण एवं उपयोग पर शुल्क लगाया जाता है।
- सरकार कार्बन के उत्सर्जन पर प्रतिटन मूल्य निर्धारित करती है और फिर इसे बिजली, प्राकृतिक गैस या तेल पर टैक्स के रूप में परिवर्तित कर देती है। क्योंकि यह टैक्स अधिक कार्बन उत्सर्जक ईंधन के उपयोग को महँगा कर देता है। अतः यह ऐसे ईंधनों के प्रयोग को हतोत्साहित करता है एवं ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देता है।
दक्षिण अफ्रीका का कार्बन टैक्स मॉडल:
- वर्ष 2030 तक के लिये तैयार किया गया यह मॉडल दो चरणों में प्रभावी रूप से लागू होगा। इसका पहला चरण लागू होने की तिथि से 1 दिसंबर, 2022 तक चलेगा और दूसरा चरण वर्ष 2023 से वर्ष 2030 तक चलेगा।
- आरंभिक स्तर पर कर की दर 120 रेंड (दक्षिण अफ्रीका की मुद्रा) अर्थात् 8.34 डॉलर प्रति टन कार्बन डाइऑक्साइड निर्धारित की गई है।
- अपने कर के बोझ को कम करने के लिये कंपनियाँ नवीकरणीय ऊर्जा, बायो गैस और अन्य विकल्पों पर निवेश कर सकती हैं।
कार्बन टैक्स का आधार
- कार्बन टैक्स, नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ के आर्थिक सिद्धांत (The Economic Principle of Negative Externalities) पर आधारित है।
- एक्सटर्नलिटीज़ (Externalities) वस्तु एवं सेवाओं के उत्पादन से प्राप्त लागत या लाभ (Costs or Benefits) हैं, जबकि नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ वैसे लाभ हैं जिनके लिये भुगतान नहीं किया जाता है।
- जब जीवाश्म ईंधन के दहन से कोई व्यक्ति या समूह लाभ कमाता है तो होने वाले उत्सर्जन का नकारात्मक प्रभाव पूरे समाज पर पड़ता है।
- यही नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ है, अर्थात् उत्सर्जन के नकारात्मक प्रभाव के एवज़ में लाभ तो कमाया जा रहा है लेकिन इसके लिये कोई टैक्स नहीं दिया जा रहा है।
- नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ का आर्थिक सिद्धांत मांग करता है कि ऐसा नहीं होना चाहिये और नेगेटिव एक्सटर्नलिटीज़ के एवज़ में भी टैक्स वसूला जाना चाहिये।
आगे की राह:
- कार्बन टैक्स एक ऐसा विचार है जो अमीरों के लिये कम लेकिन गरीबों के लिये अधिक चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि इससे महँगाई बढ़ेगी। लेकिन इसका समाधान है ‘कर एवं लाभांश’ (Tax and Dividend) की नीति। पश्चिम में अर्थशास्त्रियों के मध्य
- प्रचलित इस नीति में कहा गया है कि इस प्रकार के टैक्स से प्राप्त राशि से सरकार का खज़ाना भरने के बजाय समाज के वंचित लोगों में वितरित कर दी जानी चाहिये।
- यदि नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का उपयोग सस्ता एवं वहनीय होगा तो लोग स्वयं इसके उपयोग हेतु प्रोत्साहित होंगे। चूँकि जलवायु परिवर्तन वैश्विक तौर पर जन-जीवन को प्रभावित करता है, इसलिये विभिन्न देशों को अपने नीतिगत अनुभवों एवं
- अनुसंधानों को साझा करना चाहिये, ताकि शमन नीति (Mitigation Policy) पर पर्याप्त चर्चा की जा सके।