प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना, 2019-20 तक जारी

चर्चा में क्यों?
देश में स्वास्थ्य सेवा संरचना के विस्तार को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (Pradhan Mantri Swasthya Suraksha Yojana - PMSSY) को 12वीं पंचवर्षीय योजना से आगे 2019-20 तक जारी रखने की स्वीकृति दी है। इसके लिये 14,832 करोड़ रुपए का वित्तीय आवंटन है।

प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना

  • यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है।
  • पीएमएसएसवाई की घोषणा 2003 में की गई थी।

उद्देश्य

  • देश के विभिन्न भागों में सस्ती और विश्‍वसनीय स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं की उपलब्‍धता की विसंगतियों को दूर करना।
  • विशेष रूप से अविकसित राज्यों में गुणवत्तापूर्ण और बेहतर चिकित्सीय शिक्षा के लिये सुविधाओं का विस्तार करना।
  • देश के विभिन्न भागों में तृतीयक स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं की उपलब्धता में असंतुलन को ठीक करना।

पीएमएसएसवाई के दो घटक हैं:

  • एम्स (AIIMS) जैसे संस्थानों की स्थापना।
  • राज्य सरकार के वर्तमान मेडिकल कॉलेजों का उन्नयन (Upgradation)

इसका प्रभाव क्या होगा?

  • नए एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) की स्थापना से न केवल स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशिक्षण में बदलाव आएगा, बल्कि क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा के पेशेवर लोगों की कमी दूर होगी।
  • नए एम्स का निर्माण पूरी तरह केंद्र सरकार के धन से किया जाएगा।
  • नए एम्स का संचालन और रख-रखाव भी पूरी तरह केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
  • उन्नयन कार्यक्रम में व्यापक रूप से सुपर स्पेशिऐलिटी ब्लॉकों/ट्रामा सेंटरों आदि के निर्माण के माध्यम से स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार करना और केंद्र तथा राज्य की हिस्सेदारी के आधार पर वर्तमान तथा नई सुविधाओं के लिये चिकित्सा उपकरणों की खरीद करना है। 

रोज़गार सृजन

  • विभिन्न राज्यों में नए एम्स की स्थापना से विभिन्न एम्स की फैकल्टी और गैर फैकल्टी पदों के लिये लगभग 3,000 लोगों को रोज़गार मिलेगा।
  • एम्स के आस-पास शॉपिंग सेंटर, कैन्टीनों आदि की सुविधाओं और सेवाओं से अप्रत्यक्ष रूप से भी रोज़गार का सृजन होगा।
  • चयनित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में उन्नयन का कार्यक्रम केंद्र सरकार की सीधी देख-रेख में भारत सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियों द्वारा चलाया जाता है।
  • संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों द्वारा इन मेडिकल कॉलेजों में नियमों के अनुसार स्नात्तकोत्तर सीटें और अतिरिक्त फैकल्टी पद सृजित किये जाएंगे और भरे जाएंगे।
  • नए एम्स के लिये अवसंरचना सृजन में शामिल निर्माण गतिविधि तथा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन में कार्य निर्माण के चरण में ठोस रोज़गार सृजन होने की भी आशा है।