हाइड्रोजन पेरोक्साइड पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी की संभावना
समाचारों में क्यों ?
विदित हो कि भारत छह देशों से संक्षारण से बचाव और पेपर विरंजन जैसे अनुप्रयोगों में काम आने वाले रसायनों के आयात पर 118 डॉलर प्रति टन की एंटी डंपिंग शुल्क लगा सकता है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य बांग्लादेश, ताइवान, कोरिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और थाईलैंड से 'हाइड्रोजन पेरोक्साइड' के होने वाले सस्ते आयात से घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा करना है।
क्या है एंटी-डंपिंग ड्यूटी?
यदि कोई देश दूसरे देश में अपने उत्पादों को लागत से भी कम दाम पर बेचता है तो इसे डंपिंग कहा जाता है। विदेशों से आए सस्ते माल के सामने घरेलू उद्योगों का महंगा सामान बाज़ार में पिट जाता है, जिससे घरेलू उत्पादकों को घाटा उठाना पड़ता है। इसे रोकने के लिये यदि आयातक देश की सरकार, निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ उत्पाद के मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा दे तो इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी-डंपिंग ड्यूटी कहा जाता है।
'हाइड्रोजन पेरोक्साइड’
हाइड्रोजन पेरोक्साइड सबसे पहले वर्ष 1818 में लुई जेकस थेनार्ड द्वारा बेरियम परॉक्साइड पर नाइट्रिक एसिड की प्रक्रिया द्वारा प्राप्त किया गया था। हाइड्रोजन पेरोक्साइड (H2O2) एक हल्का, नीला, पानी से थोड़ा अधिक गाढ़ा द्रव है जो रंगहीन दिखता है। इसमें आक्सीकरण के प्रबल गुण होते हैं और यह एक शक्तिशाली विरंजक है। इसका इस्तेमाल एक विसंक्रामक, रोगाणुरोधक, आक्सीकारक और राकेट प्रक्षेपण में प्रणोदक के रूप में किया जाता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड की आक्सीकरण क्षमता अत्यंत ही प्रबल होती है।