सामान्य अध्ययन रणनीति | 04 Mar 2020
- प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में दो तरह के प्रश्न पूछे जाते हैं, एक तो सामान्य अध्ययन के परंपरागत खंडों से और दूसरे, समसामयिक घटनाक्रमों से| परंपरागत खंडों से पूछे जाने वाले प्रश्न मुख्यतः भारत के इतिहास और स्वाधीनता आंदोलन; भारतीय संविधान व राजव्यवस्था; भारत और विश्व का भूगोल; पारिस्थितिकी, पर्यावरण और जैव विविधता; भारतीय अर्थव्यवस्था, आर्थिक और सामाजिक विकास; सामान्य विज्ञान से संबंधित होते हैं। साथ ही, इस प्रश्नपत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के समसामयिक घटनाक्रमों से संबंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं।
- इस प्रश्नपत्र की सटीक रणनीति बनाने के लिये विगत 6 वर्षों में प्रारंभिक परीक्षा में इसके विभिन्न खंडों से पूछे गए प्रश्नों का सूक्ष्म अवलोकन आवश्यक है, जिनका विस्तृत विवरण इस तालिका के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
विषय |
2011 |
2012 |
2013 |
2014 |
2015 |
2016 |
प्रतिवर्ष औसतन पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या |
भारत का इतिहास और स्वाधीनता आंदोलन |
13 |
20 |
16 |
19 |
16 |
16 |
17 |
भारतीय संविधान व राजव्यवस्था |
10 |
21 |
17 |
10 |
13 |
6 |
13 |
भारत और विश्व का भूगोल |
16 |
17 |
18 |
20 |
18 |
3 |
15 |
पारिस्थितिकी, पर्यावरण और जैव विविधता |
17 |
14 |
14 |
20 |
12 |
16 |
15 |
भारत की अर्थव्यवस्था, आर्थिक और सामाजिक विकास |
22 |
14 |
18 |
11 |
16 |
15 |
16 |
सामान्य विज्ञान |
16 |
10 |
16 |
12 |
9 |
7 |
12 |
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समसामयिक घटनाएँ/विविध |
06 |
04 |
01 |
08 |
16 |
37 |
12 |
कुल |
100 |
100 |
100 |
100 |
100 |
100 |
100 |
- यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए विगत वर्षों के प्रश्नों का अवलोकन किया जाए तो यह स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है किन उपखंडों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और किन पर कम।
भारत का इतिहास और स्वाधीनता आंदोलन
- भारतीय इतिहास खंड का न सिर्फ प्रारंभिक परीक्षा में बल्कि मुख्य परीक्षा में भी खासा महत्त्व होता है। चूँकि इतिहास का पाठ्यक्रम अत्यंत विस्तृत है, इसलिये इसे पूरी तरह से पढ़ पाना और तथ्यों एवं अवधारणाओं को याद रख पाना आसान कार्य नहीं है। परंतु, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों का अवलोकन किया जाए, तो स्वतः ही स्पष्ट हो जाता है किन उपखंडों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और किन पर कम।
- ध्यातव्य है कि प्रारंभिक परीक्षा में पिछले छह वर्षों में इस खंड से औसतन 17 प्रश्न पूछे गए हैं और आगे भी कम-से-कम इतने ही प्रश्न पूछे जाने की संभावना है।
- आधुनिक भारतीय इतिहास विशेषकर स्वतंत्रता आंदोलन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि आज भी सर्वाधिक प्रश्न इसी खंड से पूछे जाते हैं।
- कला एवं संस्कृति का क्षेत्र भी प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इस खंड से न केवल प्रारंभिक परीक्षा बल्कि मुख्य परीक्षा में भी ठीक-ठाक संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं। खासतौर पर स्थापत्य कला, मूर्तिकला, नृत्य-नाटक, संगीत कला, भक्ति दर्शन, भाषा और लिपि इत्यादि।
- मध्यकालीन भारतीय इतिहास को समय रहते पढ़ लेना चाहिये क्योंकि इससे संबंधित प्रश्नों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
- समय रहने पर अगर प्राचीन भारत के कुछ महत्त्वपूर्ण खंडों, यथा- बुद्ध, महावीर, हड़प्पा सभ्यता, वैदिक संस्कृति, मौर्य काल तथा गुप्तकालीन सामाजिक व्यवस्था आदि का अध्ययन कर लिया जाए तो आसानी से दो-तीन प्रश्नों की बढ़त ली जा सकती है।
नोट: प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
भारतीय संविधान व राजव्यवस्था
- अगर विगत 6 वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों पर गौर करें तो स्पष्ट होता है कि इस खंड से औसतन 11-12 प्रश्न पूछे गए हैं। गौरतलब है कि यह खंड कम समय में अधिक अंक दिलाने वाला है, इसलिये इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- हालाँकि, 2016 में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों की संख्या विगत वर्षों की तुलना में लगभग आधी थी, फिर भी किसी एक वर्ष के आधार पर इसकी तैयारी में कोताही करना गलत होगा।
- ध्यातव्य है कि यूपीएससी परीक्षा को इसके अनिश्चित स्वरूप के लिये जाना जाता है| अतः इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगले वर्ष इस खंड से संबंधित प्रश्नों की संख्या में बढ़ोतरी हो जाए, इसलिये इस खंड की पूरी तरह से तैयारी करनी चाहिये।
- संघीय कार्यपालिका एवं संसद वाले उपखंडों पर अधिकाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। विगत वर्षों में केवल इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 5 प्रश्न पूछे गए हैं। इस खंड को गहराई से पढ़ लेने पर 3-4 प्रश्न तो आसानी से हल किये ही जा सकते हैं।
- न्यायपालिका, मौलिक अधिकार एवं नीति निदेशक तत्त्व वाले खंड से हर साल प्रायः 1-2 प्रश्न पूछ लिये जाते हैं। यह एक छोटा खंड है, इसलिये अगर इसे पढ़कर 1-2 प्रश्न सही किये जा सकते हैं तो इसे अच्छी तरह से पढ़ ही लेना चाहिये।
- राज्य सरकार एवं स्थानीय शासन से संबंधित भी प्रायः 1-2 प्रश्न पूछ लिये जाते हैं, अतः इन्हें भी एक-दो बार ठीक से पढ़ लेना सही होगा।
- संविधान एवं राजव्यवस्था के अन्य उपखंडों को समय रहने पर पढ़ा जा सकता है, अन्यथा छोड़ा भी जा सकता है।
- वर्तमान में प्रचलित राजनीतिक मुद्दों से संबंधित अवधारणात्मक बिंदुओं, जैसे- संविधान संशोधन तथा विभिन्न आयोगों आदि के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है।
नोट: प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
भारत और विश्व का भूगोल
- भूगोल खंड न केवल प्रारंभिक परीक्षा बल्कि मुख्य परीक्षा के लिये भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। साथ ही, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध आदि खंडों की अवधारणाओं को समझने के लिये भी भूगोल की समझ होनी ज़रूरी है।
- अगर भूगोल खंड से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखा जाए तो इस खंड से हर साल औसतन 15 प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। हालाँकि, 2016 की प्रारंभिक परीक्षा में भूगोल खंड से सिर्फ 3 प्रश्न पूछे गए।
- सामान्यतः विश्व एवं भारत का भूगोल दोनों उपखंडों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या बराबर ही रहती है| (वर्ष 2016 को छोड़कर) अतः दोनों उपखंडों पर समान रूप से ध्यान देने की ज़रूरत है।
- सामान्यतः विश्व के भूगोल से जटिल प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं। अगर मानचित्र और भूगोल की बुनियादी अवधारणाओं पर आपकी मज़बूत पकड़ है, तो आप आसानी से अधिकांश प्रश्नों को सही कर सकते हैं। इसके लिये, चर्चा में रहे विभिन्न स्थानों की अवस्थिति एवं उनके बारे में बुनियादी भौगोलिक जानकारियों की भी एक सूची बना लेनी चाहिये।
- भारत के भूगोल के बारे में आपसे थोड़ी गहरी समझ की अपेक्षा होती है। इसलिये भारत के भूगोल से संबंधित महत्त्वपूर्ण अवधारणाओं के साथ-साथ कुछ तथ्यों को भी याद रखना ज़रूरी होता है।
- विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखने पर यह समझ आता है कि भूगोल खंड में एनसीईआरटी की पुस्तकों एवं मानचित्र का अध्ययन करना अत्यंत आवश्यक है। कई प्रश्न सीधे तौर पर इन्हीं स्रोतों से पूछ लिये जाते हैं।
नोट: प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
पारिस्थितिकी, पर्यावरण और जैव विविधता
- यूँ तो पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के इस खंड को अन्य खंडों से बिल्कुल अलग करके देखना कठिन है। दरअसल, यह खंड भूगोल, जीव विज्ञान एवं समसामयिकी का मिला-जुला रूप है, इसलिये इसकी तैयारी के लिये अवधारणाओं (concepts) के साथ-साथ इससे संबंधित समसामयिक घटनाओं पर अधिकाधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- विगत 6 वर्षों में इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 15 प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। अगर इन प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखें तो इनमें से अधिकांश प्रश्न हाल-फिलहाल की घटनाओं से जोड़कर पूछे गए हैं।
- पर्यावरण से संबंधित विभिन्न वैश्विक संगठनों, राष्ट्रीय व क्षेत्रीय स्तर के सरकारी एवं गैर-सरकारी संगठनों, संस्थानों और समूहों की कार्यप्रणाली, उद्देश्य व अधिकार क्षेत्र आदि से भी प्रश्न पूछे जाते हैं।
- अगर हाल-फिलहाल में पर्यावरण को लेकर कोई सम्मेलन या संधि हुई हो तो उसके उद्देश्यों, कार्य-क्षेत्र एवं प्रमुख निर्णयों पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- चूँकि वर्तमान में प्रदूषण संपूर्ण विश्व के लिये एक गंभीर समस्या बनकर उभरा है, इसलिये प्रदूषण से संबंधित प्रश्न पूछे जाने की भरपूर संभावना रहती है।
- राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदूषण दूर करने के लिये उठाए जा रहे कदम, प्रदूषण नियंत्रण के महत्त्वपूर्ण मानक, नियम और कानूनी प्रावधान इत्यादि पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है।
- जैव-विविधता एवं मौसम परिवर्तन से संबंधित मुद्दों पर भी पैनी निगाह रखनी चाहिये। जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण व विनियमन हेतु पारित महत्त्वपूर्ण अधिनियम, विभिन्न जीव-जंतुओं व वनस्पतियों की विलुप्ति एवं संकटग्रस्तता, महत्त्वपूर्ण प्रजातियों के वन्य जीवों की विशेषताएँ, आवास एवं उनके समक्ष उपस्थित खतरों आदि की सूची बना लेनी चाहिये और उनमें आवश्यकतानुसार अद्यतन सूचनाओं ( updated news ) को जोड़ते रहना चाहिये।
- पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी की तैयारी के लिये मूल रूप से समसामयिक घटनाक्रमों पर अधिकाधिक ध्यान देना चाहिये। साथ ही, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी से संबंधित सरकारी मंत्रालयों एवं विभिन्न संस्थाओं की महत्त्वपूर्ण रिपोर्टों को भी अध्ययन में शामिल करना चाहिये।
नोट: प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
भारतीय अर्थव्यवस्था, आर्थिक और सामाजिक विकास
- अर्थव्यवस्था वाले खंड से पूछे गए प्रश्नों की संख्या पिछले पाँच सालों में लगभग एकसमान ही रही हैं। इसका अध्यायवार विश्लेषण करने पर यह स्पष्ट होता है कि इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 16 प्रश्न पूछे जाते हैं। इसलिये यह खंड प्रारंभिक परीक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- वैसे, इस खंड में अधिकांश प्रश्न भारतीय अर्थव्यवस्था से ही पूछे जाते हैं, लेकिन कभी-कभार 1-2 प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से भी पूछ लिये जाते हैं।
- समसामयिक मुद्दों से संबंधित अवधारणाओं से ठीक-ठाक संख्या में प्रश्न पूछे जाते हैं। उदाहरण के लिये, हाल ही में लिये गए नोटबंदी के फैसले के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था काफी चर्चा में रही है। अतः वर्तमान आर्थिक गतिविधियों पर भी पैनी नज़र रखने की आवश्यकता है।
- बैंकिंग एवं वित्तीय संस्थान, राष्ट्रीय आय और पंचवर्षीय योजना, राजकोषीय नीति और मुद्रास्फीति आदि क्षेत्रों में विशेष रूप से पकड़ बनाने की आवश्यकता है।
- बैंकिंग एवं संबद्ध वित्तीय संस्थानों से प्रतिवर्ष औसतन चार प्रश्न पूछे जाते रहे हैं, इसलिये इन पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, बैंकिंग क्षेत्र एवं लोकवित्त के क्षेत्र में होने वाले विभिन्न सुधारों पर भी गौर किये जाने की आवश्यकता है।
नोट: प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
सामान्य विज्ञान
- सामान्य विज्ञान, सामान्य अध्ययन के उन खंडों में शामिल है जिन पर मज़बूत पकड़ बनाकर आप सामान्य प्रतियोगियों से बढ़त ले सकते हैं। दरअसल, इतिहास और राजव्यवस्था तथा अन्य परंपरागत खंड ऐसे विषयों से संबंधित हैं, जिन पर सामान्य विद्यार्थियों की ठीक-ठाक पकड़ होती है; परंतु विज्ञान एवं अर्थव्यवस्था जैसे खंडों के विषय में आम विद्यार्थियों की धारणा एक बोझिल विषय के रूप में होती है। इसलिये कई विद्यार्थी इस खंड को लगभग छोड़कर चलते हैं।
- ऐसे में, अगर आप इस खंड का वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करते हैं तो आप कम मेहनत में अच्छी बढ़त हासिल कर सकते हैं।
- पिछले छह वर्षों में इस खंड से प्रतिवर्ष औसतन 12 प्रश्न पूछे गए हैं।
- प्रश्नों के विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि प्रत्येक वर्ष सर्वाधिक प्रश्न जीव विज्ञान खंड से पूछे जाते रहे हैं, जबकि रसायन विज्ञान की महत्ता लगभग नगण्य है। हाँ, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्नों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हुआ है। उदाहरण के लिये वर्ष 2015 में 7 सवाल सीधे प्रौद्योगिकी खंड से पूछे गए, इसी तरह 2016 में भी 3 प्रश्न प्रौद्योगिकी खंड से पूछे गए हैं।
- यद्यपि प्रौद्योगिकी मुख्य परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल है और प्रारंभिक परीक्षा के पाठ्यक्रम में सीधे तौर पर इसका उल्लेख नहीं है, परंतु पूछे जा रहे प्रश्नों की प्रवृत्ति को देखते हुए प्रौद्योगिकी के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है, खासतौर पर हाल-फिलहाल में हुए प्रौद्योगिकीय विकास पर ध्यान देना अति आवश्यक है।
- वैसे, देखा जाए तो सामान्य विज्ञान (भौतिक, रसायन एवं जीव विज्ञान) से प्रायः व्यावहारिक अनुप्रयोगों से संबंधित प्रश्न ही पूछे जाते हैं, जिनमें किसी विशेष प्रकार के सिद्धांत एवं जटिल अवधारणाओं की समझ की अपेक्षा नहीं होती। इसलिये सामान्य विज्ञान में भी व्यावहारिक अनुप्रयोगों से संबंधित संकल्पनाओं को अध्ययन में प्रमुखता देनी चाहिये।
- चूँकि विगत वर्षों में सर्वाधिक प्रश्न जीव विज्ञान से पूछे गए हैं, इसलिये जीव विज्ञान पर विशेष ध्यान देना चाहिये। जीव विज्ञान में भी अगर देखा जाए तो वनस्पति विज्ञान, विभिन्न रोगों, आनुवंशिकी, जैव विकास व जैव-विविधता तथा जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रश्न अधिक पूछे गए हैं। इसलिये जीव विज्ञान के अध्ययन में भी इन उपखंडों को प्रमुखता दी जानी चाहिये।
- देखा जाए तो भौतिक विज्ञान से प्रतिवर्ष औसतन 2 प्रश्न पूछे गए हैं। अगर पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों को देखा जाए तो अधिकांश प्रश्न प्रकाश, ऊष्मा, ध्वनि, विद्युत धारा एवं गति जैसे अध्यायों से ही पूछे गए हैं।
- इस तरह, अगर इन अध्यायों से संबंधित साधारण संकल्पनाओं (concepts) को समझ लिया जाए तो भौतिक विज्ञान के प्रश्न भी आपकी पहुँच से बाहर नहीं जाएंगे। वहीं, रसायन विज्ञान से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या नगण्य है, इसलिये अगर इसे छोड़ भी दिया जाए तो कोई विशेष नुकसान नहीं है।
नोट:
⇒ प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में इस खंड से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
⇒ सामान्य विज्ञान के साथ ही प्रारंभिक परीक्षा में, ‘प्रौद्योगिकी’ से विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।
- वस्तुतः सामान्य अध्ययन के इन परंपरागत प्रश्नों को हल करने के लिये संबंधित शीर्षक की कक्षा- 6 से कक्षा-12 तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों का अध्ययन करने के साथ-साथ ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स’ द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ के सामान्य अध्ययन के विशेषांक खंडों का अध्ययन करना लाभदायक रहेगा। कुछ विशेष खंडों के लिये बाज़ार में उपलब्ध मानक पुस्तकों का भी अध्ययन किया जा सकता है, जिनकी सूची अंत में संलग्न की गई है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की समकालीन घटनाएँ/विविध
- केवल समसामयिकी ही नहीं, बल्कि अन्य खंडों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की प्रकृति को देखने पर स्पष्ट होता है कि इस परीक्षा में समसामयिकी खंड की अहम भूमिका है। सामान्य अध्ययन के परंपरागत खंडों से भी कई प्रश्न सीधे तौर पर इस तरह के पूछे जाते हैं जो वर्तमान में कहीं-न-कहीं किसी-न-किसी रूप में चर्चा में रहे हों। इसलिये समसामयिकी घटनाओं पर पैनी नज़र रखनी चाहिये।
- गौरतलब है कि 2016 में 37 प्रश्न सीधे तौर पर समसामयिकी खंड से पूछे गए हैं। अप्रत्यक्ष रूप से बहुत सारे प्रश्नों का आधार करेंट अफेयर्स ही था। साथ ही, यह खंड मुख्य परीक्षा में भी बराबर का महत्त्व रखता है। इसलिये सामान्य अध्ययन के इस खंड पर सर्वाधिक गंभीरता से ध्यान देने की ज़रूरत है।
- चूँकि समसामयिकी का विस्तार अपने आप में व्यापक है, इसलिये इस पर महारत हासिल करने की बात सोचना ही बेमानी है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर असंख्य घटनाएँ होती रहती हैं, ऐसे में सारे घटनाक्रमों को याद रख पाना अत्यंत कठिन कार्य है। इसलिये समसामयिकी में भी चयनित अध्ययन की ज़रूरत होती है।
- इसके लिये आवश्यक है कि सबसे पहले तो अनावश्यक तिथियों, पुरस्कारों, घटनाओं और आँकड़ों आदि को रटने से बचें। सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा के वर्तमान प्रारूप में ऐसे तथ्यात्मक प्रश्न नहीं के बराबर पूछे जाते हैं।
- समसामयिकी में भी विभिन्न विषयों के अलग-अलग खंड बनाकर संक्षिप्त नोट्स बना लेने चाहियें। जैसे कि किसी खंड विशेष से संबंधित कोई महत्त्वपूर्ण घटना राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में घटती है तो उसे अपने नोट्स के उस खंड में जोड़ लें। इससे फायदा यह होगा कि आपको समसामयिकी से संबंधित तथ्यों को याद रखने एवं रिवीज़न करने में आसानी होगी तथा ये नोट्स आपको न केवल प्रारंभिक परीक्षा में बल्कि मुख्य परीक्षा में भी लाभ पहुँचाएंगे।
- समसामयिकी खंड की तैयारी के लिहाज़ से देश-दुनिया में घट रही आर्थिक, राजनीतिक, पारिस्थितिक, सांस्कृतिक आदि घटनाओं की सूक्ष्म जानकारी पर विद्यार्थियों की विशेष नज़र रहनी चाहिये।
- यूपीएससी में सामान्यतः नवीनतम घटनाओं की जगह विशेषीकृत घटनाओं से जुड़े सवाल थोड़े गहराई से पूछे जाते हैं। इसमें विद्यार्थियों से सरकार की नीतियों और नए अधिनियमों के संबंध में गहरी समझ की अपेक्षा की जाती है। अतः विद्यार्थियों को सालभर की घटनाओं पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।
- संवैधानिक विकास, विभिन्न योजनाओं, लोक नीति, आर्थिक सुधारों, प्रौद्योगिकीय और पर्यावरणीय विकास तथा इनसे संबद्ध प्रमुख अवधारणाओं पर विशेष रूप से ध्यान दें।
- प्रारंभिक परीक्षा में समसामयिक घटनाओं के प्रश्नों की प्रकृति और संख्या को ध्यान में रखते आपको इस खंड पर नियमित रूप से ख़ास ध्यान रखना होगा। सामान्य अध्ययन के अन्य विषयों की तरह दृष्टि संस्थान ने इसके लिये भी एक व्यापक रणनीति तैयार की है। इस खंड की तैयारी के लिये आप नियमित रूप से ‘दृष्टि: द विज़न’ की वेबसाइट www.drishtiias.com के करेंट अफेयर्स खंड का अनुसरण कर सकते हैं। इसके अंतर्गत आपको प्रतिदिन अंग्रेज़ी के प्रमुख समाचार पत्रों- द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस, बिज़नेस लाइन, बिज़नेस स्टैण्डर्ड, डी.एन.ए, लाइव मिंट के साथ-साथ PIB की वेबसाइट पर प्रकाशित महत्त्वपूर्ण समाचारों और लेखों का हिन्दी भाषा में विश्लेषण किया जाता है। इनके अलावा, बहुत ही जल्द राज्य सभा टीवी, लोक सभा टीवी के विभिन्न कार्यक्रमों में नियमित रूप से प्रसारित महत्त्वपूर्ण चर्चाओं का हिन्दी में विश्लेषण भी दिया जाएगा। वेबसाइट के करेंट अफेयर्स खंड के अंतर्गत ही अंग्रेज़ी के कुछ प्रमुख समाचार पत्रों- द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस, बिज़नेस लाइन और लाइव मिंट से प्रतिदिन एक महत्त्वपूर्ण लेख (Article) का बहुत ही सरल हिन्दी भाषा में अनुवाद भी दिया जाता है। इन सबके साथ-साथ इसी खंड के अंतर्गत प्रतिदिन करेंट अफेयर्स से संबंधित 5 अभ्यास प्रश्न भी दिये जाते हैं, साथ में इन प्रश्नों के व्याख्या सहित उत्तर भी होते हैं। वेबसाइट के साथ-साथ आप दृष्टि पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका ‘दृष्टि करेंट अफेयर्स टुडे’ का भी अध्ययन कर सकते हैं।
- इन परीक्षाओं में महत्त्वपूर्ण सरकारी/गैर सरकारी संस्थाओं इत्यादि से पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिये भारत सरकार द्वारा प्रकाशित ‘भारत’ (India Year Book) का अध्ययन करना लाभदायक होगा| चूँकि आकार में वृहद् होने एवं समय की कमी के कारण इसका संपूर्ण अध्ययन कर पाना एक कठिन कार्य है| इसलिये ‘दृष्टि पब्लिकेशन्स’ द्वारा प्रकाशित की जाने वाली ‘भारत’ (संक्षिप्त विवरण के साथ संपूर्ण पाठ्यसामग्री) को पढ़ना लाभदायक होगा।
नोट: प्रारंभिक परीक्षा में, विगत वर्षों में ‘विविध खंड’ से पूछे गए प्रश्नों के लिये इस link पर क्लिक करें।