जलकुंभी | 27 Jun 2022
हाल ही में पश्चिम बंगाल ने छोटे पैमाने पर कुटीर उद्योग विकसित करने के लिये जलकुंभी (विषाक्त जलीय खरपतवार पौधा) का उपयोग करके एक उत्कृष्ट उदाहरण स्थापित किया है जो आर्थिक रूप से फायदेमंद और पर्यावरण के अनुकूल है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- जलकुंभी को वैज्ञानिक तौर पर इचोर्निया क्रैसिप्स मार्ट के रूप में जाना जाता है। पोंटेडरियासी (Pontederiaceae) भारत सहित पूरे दक्षिण एशिया में जल निकायों में पाया जाने वाला एक जलीय खरपतवार है।
- यह स्वदेशी प्रजाति नहीं है, लेकिन ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान इसे दक्षिण अमेरिका से सजावटी जलीय पौधे के रूप में भारत लाया गया था।
- इस पौधे पर आकर्षक बैंगनी रंग के पुष्प खिलते हैं जिनका उच्च सौंदर्य मूल्य होता है।
- मुद्दे:
- यह साधारण तैरता जलीय पौधा, दुर्भाग्य से एक अप्रिय खरपतवार भी है जो नदियों, नालों, धाराओं, तालाबों, बाँंधों, झीलों और दलदल जैसे सतही मीठे पानी के स्रोतों में आक्सीजन की कमी का कारण बन रहा है, जिससे जल निकाय व्यावसायिक मत्स्य पालन, परिवहन एवं मनोरंजन के लिये अनुपयुक्त होते जा रहे हैं।
- यह एक ‘प्रोलिफोलिक’ वनस्पति पदार्थ-उत्पादक पौधा है और किसी भी बंद जलाशय को आश्चर्यजनक दर से समाप्त करने की क्षमता रखता है।
- एक पौधा जो ‘प्रोलिफोलिक’ होता है, वह बड़ी संख्या में युवा पौधे या फलों की उत्पत्ति करता है।
- यह सूर्य के प्रकाश को कम करने के साथ ही पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है, जिससे यह व्यावसायिक उपयोग के लिये अनुपयुक्त हो जाता है।
- इस खरपतवार को समय-समय पर हटाना एक महँगी और श्रमसाध्य प्रक्रिया है।
- यह जलकुंभी पारिस्थितिकी तंत्र के लिये एक गंभीर समस्या वाला पौधा बन गया है।
- महत्त्व:
- कुछ जैविक कृषि पद्धतियों में इस पौधे का उपयोग जैव-उर्वरक के रूप में किया जाता है।
- यह पौधा फाइटोरेमेडिएशन गुण वाली प्रजाति का पौधा है, जिसमें ज़हरीले मेटाबोलाइट्स और हानिकारक भारी धातुओं को पानी से निकालने की क्षमता है।