मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का स्थापना दिवस | 22 Jan 2022
मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा (21 जनवरी) के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री एवं अन्य नेताओं द्वारा तीनों पूर्वोत्तर राज्यों की परंपराओं और संस्कृति की प्रशंसा की गई।
- 21 जनवरी, 1972 को पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 के तहत तीनों राज्यों को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
प्रमुख बिंदु
- मणिपुर का भारत में विलय:
- 15 अगस्त, 1947 से पहले शांतिपूर्ण वार्ता के ज़रिये ऐसे लगभग सभी राज्यों, जिनकी सीमाएँ भारतीय संघ के साथ लगती थीं, को विलय हेतु एकजुट कर लिया गया था।
- अधिकांश राज्यों के शासकों ने ‘परिग्रहण के साधन (Instrument of Accession)’ नामक एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये, जिसका अर्थ था कि उनका राज्य भारत संघ का हिस्सा बनने के लिये सहमत है।
- आज़ादी से कुछ समय पूर्व मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र सिंह ने मणिपुर की आंतरिक स्वायत्तता को बनाए रखने के लिये विलयपत्र पर हस्ताक्षर किये थे।
- जनमत के दबाव में, महाराजा ने जून 1948 में मणिपुर में चुनाव कराए और राज्य एक संवैधानिक राजतंत्र बन गया। इस प्रकार मणिपुर चुनाव कराने वाला भारत का पहला भाग था।
- मणिपुर की विधान सभा में भारत के साथ विलय को लेकर अत्यधिक मतभेद थे। भारत सरकार ने सितंबर 1949 में मणिपुर की विधान सभा के परामर्श के बिना एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराने में सफलता प्राप्त की थी।
- त्रिपुरा का भारत में विलय:
- 15 नवंबर, 1949 को भारतीय संघ में विलय होने तक त्रिपुरा एक रियासत थी।
- 17 मई, 1947 को त्रिपुरा के अंतिम महाराजा बीर बिक्रम सिंह के निधन के पश्चात् महारानी कंचनप्रभा (महाराजा बीर बिक्रम की पत्नी) ने त्रिपुरा राज्य का प्रतिनिधित्व संभाला।
- भारतीय संघ में त्रिपुरा राज्य के विलय में उन्होंने सहायक की भूमिका निभाई थी।
- मेघालय का भारत में विलय:
- वर्ष 1947 में गारो एवं खासी क्षेत्र के शासकों ने भारतीय संघ में प्रवेश किया।
- मेघालय, भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक छोटा पहाड़ी राज्य है जो 2 अप्रैल, 1970 को असम राज्य के भीतर एक स्वायत्त राज्य के रूप में अस्तित्व में आया।
- वर्ष 1972 में व्यापक बदलाव:
- वर्ष 1972 में पूर्वोत्तर भारत के राजनीतिक मानचित्र में व्यापक परिवर्तन आया।
- इस तरह दो केंद्रशासित प्रदेश मणिपुर और त्रिपुरा एवं उपराज्य मेघालय को राज्य का दर्जा मिला।