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हिमाचल प्रदेश का स्थापना दिवस

  • 29 Jan 2022
  • 5 min read

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के राज्य स्थापना दिवस (25 जनवरी) पर लोगों को बधाई दी।

राजकीय जंतु: हिम तेंदुआ

राजकीय पक्षी: वेस्टर्न ट्रेगोपेन

राजकीय पुष्प: पिंक रोडोडेंड्रोन/ या बुरांस या बुरुंश

राजकीय भाषा: हिंदी और स्थानीय बोलियाँ

प्रमुख नदियाँ और बांँध: सतलुज (भाखड़ा बांँध, गोबिंद सागर जलाशय, कोल्डम बांँध), व्यास (पंडोह बांँध, महाराणा प्रताप सागर जलाशय), रावी (चमेरा बांँध), पार्वती

प्रमुख झीलें: रेणुका, रेवलसर, खज्जियार, दाल, ब्यास कुंड, दसौर, ब्रिघू, पराशर,मणि महेश, चंदर ताल, सूरज ताल, करेरी, सरोलसर, गोविंद सागर, नाको झील

राष्ट्रीय उद्यान: ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान, पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान, खिरगंगा, इंदरकिला तथा सिंबलबारा राष्ट्रीय उद्यान

प्रमुख बिंदु

ब्रिटिश शासन के दौरान का इतिहास:

  • वर्ष 1858 में रानी विक्टोरिया की घोषणा के बाद पहाड़ी ब्रिटिश क्षेत्र ब्रिटिश क्राउन के अधीन आ गए।
  • ब्रिटिश शासन के दौरान चंबा, मंडी और बिलासपुर राज्यों ने कई क्षेत्रों में अच्छी प्रगति की।
  • प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के दौरान पहाड़ी राज्यों के लगभग सभी शासक वफादार रहे और उन्होंने सैनिकों एवं आवश्यक सामग्रियों दोनों के रूप में ब्रिटिश युद्ध के प्रयासों में योगदान दिया।

स्वतंत्रता के बाद का इतिहास:

  • स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद वर्तमान हिमाचल प्रदेश के इतिहास की रूपरेखा नीचे दी गई है:
    • हिमाचल प्रदेश मुख्य आयुक्त प्रांत के रूप में 15 अप्रैल, 1948 को अस्तित्व में आया था।
    • हिमाचल प्रदेश 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान के कार्यान्वयन के साथ ‘भाग C’ राज्य (भाग VII के तहत) बन गया।
    • 1 जुलाई, 1954 को बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया।
    • राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश के बाद 1 नवंबर, 1956 को हिमाचल प्रदेश केंद्रशासित प्रदेश बना।
    • कांगड़ा और पंजाब के अधिकांश अन्य पहाड़ी क्षेत्रों को 1 नवंबर, 1966 को हिमाचल प्रदेश में मिला दिया गया, हालाँकि तब भी यह एक केंद्रशासित प्रदेश ही रहा।
    • 18 दिसंबर, 1970 को हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम संसद द्वारा पारित किया गया और 25 जनवरी, 1971 को नया राज्य अस्तित्व में आया। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ के अठारहवें राज्य के रूप में सामने आया। तब से हिमाचल प्रदेश ने एक लंबा सफर तय किया है। इसने कई पूर्ण सरकारों का कार्यकाल देखा है जिन्होंने राज्य को आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर किया है।

राज्य पुनर्गठन आयोग

  • ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत के लिये 500 से अधिक रियासतों को प्रभावी प्रांतीय इकाइयों में पुनर्गठित करना सबसे बड़े कार्यों में से एक था।
  • इसी क्रम में एस. के. धर आयोग (1948) और जेवीपी समिति (1948) ने भौगोलिक निकटता, प्रशासनिक सुविधा, वित्तीय आत्मनिर्भरता तथा विकास की क्षमता के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की बात की।
  • हालाँकि आंध्र राज्य की मांग को लेकर भूख हड़ताल के बाद पोट्टी श्रीरामालू (Potti Srirammalu) की अचानक मौत के कारण एक अस्थिर स्थिति पैदा हो गई थी।
  • वर्ष 1953 में फज़ल अली आयोग की स्थापना की गई और भाषायी मानदंडों (अन्य मानदंड भी शामिल थे) के आधार पर राज्य के पुनर्गठन हेतु इसकी सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया था।

स्रोत: पी.आई.बी

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