प्रिलिम्स फैक्ट्स : 08 मार्च, 2021 | 08 Mar 2021
पेंच टाइगर रिज़र्व
Pench Tiger Reserve
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आदमखोर बाघिन ‘अवनी’ की एक मादा शावक (Cub) को महाराष्ट्र के ‘पेंच टाइगर रिज़र्व’ (PTR) के जंगलों में छोड़ा गया है।
प्रमुख बिंदु
परिचय
- महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में स्थित इस टाइगर रिज़र्व का नामकरण प्राचीन पेंच नदी के नाम पर किया गया है।
- पेंच नदी, ‘पेंच टाइगर रिज़र्व’ के बीच से होकर गुज़रती है।
- यह नदी उत्तर से दक्षिण की ओर बहती है तथा संपूर्ण रिज़र्व को पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में विभाजित करती है।
- यह रिज़र्व मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा ज़िलों में सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर स्थित है और महराष्ट्र के नागपुर ज़िले तक विस्तारित है।
- वर्ष 1975 में इसे महाराष्ट्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया और वर्ष 1998-1999 में इसे एक टाइगर रिज़र्व की मान्यता प्रदान की गई गई।
- उल्लेखनीय है कि पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR) के मध्य प्रदेश स्थित हिस्से को वर्ष 1992-1993 में ही टाइगर रिज़र्व का दर्जा दे दिया गया था। यह केंद्रीय उच्च भूमि/सेंट्रल हाइलैंड्स के सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला के प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों में से एक है।
- यह भारत के महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (IBA) के रूप में अधिसूचित स्थलों/साइटों में से एक है।
- IBA बर्डलाइफ इंटरनेशनल का एक कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य विश्वभर के पक्षियों और संबंधित विविधता के संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों के वैश्विक नेटवर्क की पहचान, निगरानी और सुरक्षा करना है।
वनस्पति
- संपूर्ण रिज़र्व में हरित आवरण विस्तारित है।
- यहाँ चौड़ी पत्ती वाले शुष्क वन तथा उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती वन पाए जाते हैं।
- यहाँ औषधीय तथा उपचारात्मक गुणों से युक्त कुछ विशिष्ट किस्म के पौधे और वनस्पतियाँ मौजूद हैं।
- रिज़र्व के आस-पास के जल निकायों में बाँस भी पाए जाते हैं।
प्राणि जगत
- स्तनधारी
- यहाँ पाए जाने वाले स्तनधारियों में स्लॉथ बियर/सुस्त भालू, सियार, नीलगाय, जंगली कुत्ता आदि शामिल हैं।
- पक्षी
- मोर, मैगपाई रॉबिन, पिनटेल, ड्रोंगो, मैना आदि यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख पक्षी प्रजातियाँ हैं।
भारत के प्रमुख टाइगर रिज़र्व
बीजू पटनायक
Biju Patnaik
5 मार्च को बीजू पटनायक की जयंती मनाई गई। उन्हें एक स्वतंत्रता सेनानी, एक भारतीय राजनेता, एक विमान-चालक और एक व्यवसायी के रूप में याद किया जाता है।
प्रमुख बिंदु:
संक्षिप्त परिचय:
- बिजयानंद पटनायक का जन्म 5 मार्च 1916 को हुआ था, वह बीजू पटनायक के नाम से लोकप्रिय थे।
- वे एक अच्छे पायलट थे। वर्ष 1936 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स में शामिल हो गए।
- वे दो बार ओडिशा के मुख्यमंत्री रहे।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- बीजू पटनायक ने वर्ष 1942 में एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वे भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिये महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए।
- वह कॉन्ग्रेस के एक प्रमुख नेता बन गए, उन्होंने जय प्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया के साथ भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया।
- वर्ष 1943 में वे भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के बाद लगभग दो वर्ष तक कारावास में रहे।
- उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘इंडियन नेशनल आर्मी’ का भी समर्थन किया।
- उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध और वर्ष 1948 के कश्मीर युद्ध में भारतीय वायु सेना में एक पायलट के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई।
कश्मीर के एकीकरण में भूमिका:
- बीजू पटनायक ने निडरता से 27 अक्तूबर 1947 को श्रीनगर में एक DC -3 परिवहन विमान उड़ाया था, जिसमें कश्मीर में पाकिस्तान के कबायली आक्रमण के बाद सिख रेजिमेंट के सैनिकों को पहुँचाया गया था।
इंडोनेशियाई स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- पंडित जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर बीजू पटनायक ने जावा के लिये उड़ान भरी और दिल्ली में एक बैठक के लिये ‘सुल्तान शहरयार’ (Sutan Sjahrir) को इंडोनेशिया के डच नियंत्रित क्षेत्र से बाहर लाए।
- बहादुरी के इस कार्य के लिये उन्हें इंडोनेशिया में मानद नागरिकता दी गई और उन्हें ‘भूमि पुत्र’ उपाधि से सम्मानित किया गया।
- वर्ष 1996 में बीजू पटनायक को सर्वोच्च इंडोनेशियाई राष्ट्रीय पुरस्कार, 'बंटांग जसा उटमा' से सम्मानित किया गया था।
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में जड़/अक्रिय अपशिष्ट का क्षेपण
(Dumping Inert Waste in Asola Bhatti Wildlife Sanctuary)
चर्चा में क्यों?
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित रिज मैनेजमेंट बोर्ड ने असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य (दिल्ली) की खानों में अक्रिय (गैर-प्रतिक्रियाशील) अपशिष्ट के क्षेपण/डंपिंग के प्रस्ताव की समीक्षा हेतु एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्णय लिया है।
प्रमुख बिंदु:
जड़/अक्रिय अपशिष्ट:
- अक्रिय अपशिष्ट वह कचरा है जो न तो जैविक रूप से प्रतिक्रियाशील है और न ही रासायनिक रूप से। इस प्रकार का अपशिष्ट या तो विघटित नहीं होता या बहुत धीरे-धीरे विघटित होता है।
- अक्रिय/निष्क्रिय अपशिष्ट में निर्माण और विध्वंस सामग्री जैसे धातु, लकड़ी, ईंट, राजगीरी से जुड़े अपशिष्ट और सीमेंट कंक्रीट, डामरी कंक्रीट,पेड़ की शाखाएँ, कोयले से चलने वाले बॉयलर की राख और वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरण से अपशिष्ट कोयले के बुरादे आदि शामिल होते हैं (हालाँकि यह इन्ही तत्त्वों तक सीमित नहीं है)
- ये अपशिष्ट आमतौर पर पर्यावरण, जानवरों या अन्य लोगों के स्वास्थ्य के लिये खतरा पैदा नहीं करते हैं और न ही ये जलस्रोतों की गुणवत्ता को खतरे में डालेंगे।
- जब इस प्रकार के कचरे की मात्रा बहुत बड़ी होती है तो यह एक मुद्दा बन सकता है क्योंकि यह बहुत अधिक स्थान को कवर करना शुरू कर देता है।
असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य:
- असोला-भट्टी वन्यजीव अभयारण्य 32.71 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है और यह दिल्ली-हरियाणा सीमा पर अरावली पर्वत शृंखला के दक्षिणी दिल्ली रिज (कटक/पर्वत श्रेणी) पर स्थित है।
- गुरुग्राम और फरीदाबाद में असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य के आस-पास 1 किमी का क्षेत्र एक पर्यावरण-संवेदी क्षेत्र है।
- इस क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन, उद्योगों की स्थापना और प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं की स्थापना जैसी गतिविधियाँ प्रतिबंधित हैं।
- असोला वन्यजीव अभयारण्य में प्राणि और वनस्पति-जात विविधता से भरा हुआ है।
- इसमें विभिन्न प्रकार के वृक्ष, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ और घास की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- साथ ही यह बड़ी संख्या में स्तनधारी, सरीसृप, उभयचर, तितलियों और पतंगों व अन्य जीवों का निवास स्थान है।
- इस अभयारण्य में रहने वाले पक्षियों स्थनीय निवासी और प्रवासी पक्षियों की लगभग 200 प्रजातियाँ शामिल हैं।
- अभयारण्य के अंदर स्थित वन्यजीव निवास दिल्ली, फरीदाबाद और गुरुग्राम के लिये जल पुनर्भरण क्षेत्र के रूप में कार्य करता है।
रिज मैनेजमेंट बोर्ड (Ridge Management Board):
- पृष्ठभूमि : सर्वोच्च न्यायालय ने एम.सी. मेहता मामले (1987) में दिल्ली सरकार को अपने आदेश के माध्यम से दिल्ली रिज के संरक्षण के हेतु रिज प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।
- दिल्ली रिज लगभग 35 किमी लंबी है और यह अरावली पर्वत माला का उत्तरी विस्तार है।
- दिल्ली रिज राजधानी के हरित फेफड़ों या ग्रीन लंग्स के रूप में कार्य करती है और इसे संरक्षित करने के प्रयास में वर्षों से विभिन्न सरकारी आदेशों के माध्यम से इस क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों को प्रतिबंधित किया गया है।
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स्थापना की तारीख: 6 अक्तूबर, 1995।
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सदस्य:दिल्ली के मुख्य सचिव इस बोर्ड का अध्यक्ष होते हैं और दिल्ली सरकार के वन विभाग का प्रमुख इसका सदस्य सचिव होते हैं।
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इस बोर्ड में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के सदस्य भी होते हैं।
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