कुष्ठ रोग | 02 Jul 2022
पिछले कुछ महीनों से निजी बाज़ार में कुष्ठ रोग (Leprosy) के इलाज में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दवा क्लोफ़ाज़िमाइन (Clofazimine) की भारी कमी बनी हुई है।
- क्लोफ़ाज़िमाइन, रिफैम्पिसिन और डैप्सोन के साथ मल्टीबैसिलरी लेप्रोसी (MB-MDT) मामलों के मल्टी-ड्रग ट्रीटमेंट में तीन आवश्यक दवाओं में से एक है।
कुष्ठ रोग:
- कुष्ठ रोग के बारे में:
- कुष्ठ रोग एक पुराना, प्रगतिशील जीवाणु संक्रमण है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक ‘एसिड-फास्ट रॉड’ के आकार का बेसिलस है। यह मुख्य रूप से हाथ-पाँव, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी श्वसन पथ की नसों को प्रभावित करता है। इसे हैनसेन डिजीज़ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमज़ोर करता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और विकलांगता का कारण बन सकता है।
- यह इतिहास में दर्ज सबसे पुरानी बीमारियों में से एक है।
- यह कई देशों विशेष रूप से भारत सहित उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय जलवायु वाले देशों में आम है।
- रोग का प्रसार:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, कुष्ठ रोग कई भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्थानिक है, भारत में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 4.56 प्रतिशत वार्षिक मामले सामने आने की दर है।
- भारत प्रत्येक वर्ष कुष्ठ रोग के 1,25,000 से अधिक नए रोगियों की रिपोर्ट करता है।
संबंधित सरकारी पहल:
- राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (NLEP):
- यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत केंद्र प्रायोजित योजना है।
- भारत ने राष्ट्रीय स्तर पर एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में कुष्ठ रोग के उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है, अर्थात् प्रति 10,000 आबादी पर 1 से कम मामले के रूप में परिभाषित किया गया है।
- NLEP का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रत्येक ज़िले में कुष्ठ रोग को समाप्त करना है।
- जागरूकता को बढ़ावा देने और भेदभाव के मुद्दों को संबोधित करने के लिये वर्ष 2017 में स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू किया गया था।