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05 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 4
केस स्टडीज़
दिवस- 27: आप उत्तर प्रदेश के एक ज़िले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) के रूप में कार्यरत हैं, जहाँ अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने आपको एक परिवार नियोजन परियोजना लागू करने के लिये कहा है, जिसमें आपके ज़िले में गर्भनिरोधक गोलियों और कंडोम का निशुल्क वितरण शामिल है, जहाँ पिछले दो दशकों में जनसंख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। हालाँकि ज़िले में साक्षरता दर कम है और स्थानीय आबादी द्वारा गर्भनिरोधक तकनीकों के उपयोग को वर्जित तथा अधार्मिक माना जाता है। आपका प्रशासनिक स्टाफ, जिसमें स्थानीय निवासियों की एक बड़ी संख्या शामिल है, भी परियोजना की सफलता के बारे में बहुत आशावादी नहीं है।
परियोजना के सफल क्रियान्वयन के लिये अपने कर्मचारियों को प्रेरित करने तथा स्थानीय लोगों को राजी करने के लिये आप क्या कदम उठाएंगे? (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- केस स्टडी का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- नैतिक मुद्दों पर प्रकाश डालिये।
- कर्मचारियों एवं स्थानीय समुदाय को प्रेरित करने हेतु विभिन्न प्रभावी उपायों का उल्लेख कीजिये।
- निष्कर्ष के साथ समाप्त कीजिये।
परिचय:
उपरोक्त केस स्टडी से पता चलता है कि अंधविश्वास किस तरह से किसी देश की विकास प्रक्रिया में बाधा बन सकता है। यह एक ऐसी स्थिति प्रस्तुत करता है जहाँ सिविल सेवक की भावनात्मक बुद्धिमत्ता, अनुनय शक्ति, समर्पण और सेवा की भावना की जाँच की जाएगी।
मुख्य भाग:
इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दे:
- सामान्य हित: स्थिर और स्वस्थ जनसंख्या राष्ट्रीय हित में है।
- अधिकार: अपने धार्मिक विश्वास और परंपरा का पालन करने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। बच्चों के स्वास्थ्य का अधिकार और आत्मनिर्णय का अधिकार।
- गुण: चिकित्सा कार्यालय के अधिकारियों की ओर से आशावाद और समर्पण तथा सरकारी कर्मचारियों की सरकारी नीतियों एवं कार्यक्रमों के प्रति प्रतिबद्धता।
- न्याय: उन बच्चों के साथ अन्याय जिन्हें जनसंख्या विस्फोट के कारण बेहतर सुविधाएँ और वातावरण नहीं मिलेगा।
- उपयोगितावादी दृष्टिकोण: यद्यपि दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह कदम जनहित में उत्पादक सिद्ध हो सकता है, तथापि केवल जनभावनाओं के दबाव में निर्णय लेना अनुचित उदाहरण स्थापित कर सकता है।
परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिये कदम:
- प्रशासनिक कर्मचारियों के लिये
- स्वास्थ्य और नैतिक आयामों पर ज़ोर देने के लिये अभिमुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिये।
- समान ज़िलों से सफलता की कहानियाँ साझा करनी चाहिये (सहकर्मी शिक्षा)।
- सक्रिय कार्यकर्त्ताओं को प्रोत्साहन और मान्यता प्रदान कीजिये।
- आंतरिक बैठकों के माध्यम से टीमवर्क और साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
- सामुदायिक सहभागिता के लिये
- स्थानीय प्रभावशाली लोगों - धार्मिक नेताओं, स्कूल शिक्षकों, पंचायत प्रमुखों के साथ सहयोग करें।
- स्थानीय भाषा में दृश्य सहित IEC (सूचना, शिक्षा, संचार) सामग्री का उपयोग करना चाहिये।
- जागरूकता शिविरों का आयोजन बिना किसी पूर्वाग्रह के, लैंगिक-संवेदनशील तरीके से करना चाहिये।
- विश्वास बनाने के लिये महिला स्वयं सहायता समूहों (SHG) और आशा कार्यकर्त्ताओं को शामिल करना चाहिये।
- सांस्कृतिक एवं धार्मिक संवेदनशीलता के लिये
- परियोजना को मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पहल के रूप में प्रस्तुत करें, न कि जनसंख्या नियंत्रण के रूप में।
- वैज्ञानिक रूप से समर्थित, सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य संदेशों के माध्यम से मिथकों और गलत सूचनाओं को संबोधित करना चाहिये।
- स्वीकृति बढ़ाने के लिये गोपनीयता और निजता सुनिश्चित करनी चाहिये।
- दीर्घावधि के लिये स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को यौन शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये।
निष्कर्ष:
धर्म, अल्प साक्षरता और तर्कशीलता के अभाव के बीच अक्सर टकराव की स्थिति उत्पन्न होती है, जिससे सामाजिक विकास की गति प्रभावित होती है। यह स्थिति समाज को एड्स जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना देती है। ऐसे में राज्य का दायित्व बनता है कि वह नागरिकों का मार्गदर्शन करते हुए उन्हें जागरूकता, शिक्षा और आवश्यक संसाधनों के माध्यम से सशक्त बनाए।