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12 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 4
सैद्धांतिक प्रश्न
दिवस-34: जनसांख्यिकीय लाभांश को साकार करने हेतु उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कौशल विकास और मानव संसाधन सशक्तीकरण के लिये किये गए प्रयासों की समीक्षा कीजिये। (125 शब्द)
uppscउत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- जनसांख्यिकीय लाभांश का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- इस बात पर प्रकाश डालिये कि कुशल जनसंख्या किसी राज्य के लिये किस प्रकार एक संसाधन है।
- जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
जनसांख्यिकीय लाभांश को आर्थिक विकास की संभावना के रूप में परिभाषित किया जाता है जो जनसंख्या की आयु संरचना में बदलाव के परिणामस्वरूप हो सकता है, मुख्य रूप से तब जब कार्यशील आयु वाली आबादी का हिस्सा गैर-कार्यशील आयु वाली आबादी के हिस्से से बड़ा हो। भारत में 15-59 वर्ष की आयु वर्ग की आबादी को कार्यशील आयु वर्ग माना जाता है।
जनगणना 2011 के अनुसार, उत्तर प्रदेश की जनसंख्या 19.98 करोड़ है और राज्य की 52 प्रतिशत जनसंख्या कार्यशील आयु वर्ग में है।
मुख्य भाग:
कुशल जनसंख्या राज्य के लिये एक संसाधन है:
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई को पाटना: कुशल कार्यबल ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोज़गार उत्पन्न कर सकता है। इसलिये, यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार दर को बढ़ाने में सक्षम होगा, जो शहरी क्षेत्रों की तुलना में कम है।
- नवीन नवाचार का विचार: कुशल जनसंख्या राज्य में नवाचार के लिये अनुकूल वातावरण का निर्माण करती है, नीति आयोग द्वारा जारी भारतीय नवाचार सूचकांक, 2022 में उत्तर प्रदेश को 9वाँ स्थान दिया गया।
- उच्च उत्पादकता: कुशल कार्यबल कार्य की दक्षता को बढ़ाता है, जिससे अंततः राज्य की अर्थव्यवस्था में उच्च उत्पादकता आती है।
- उद्यमिता और स्टार्ट अप: उत्तर प्रदेश ने व्यापार करने में आसानी के मामले में देश भर में दूसरा स्थान प्राप्त किया है तथा कुशल कार्यबल के कारण उद्यम पोर्टल पर MSME पंजीकरण के मामले में देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
- औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा देना- 4 (IR4): यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर आधारित है जिसके लिये कुशल आबादी की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिये, राज्य सरकार ने नोएडा में AI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की योजना बनाई है।
जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन: राज्य 14-35 आयु वर्ग के सभी पात्र युवाओं को उनकी पसंद के व्यवसायों में प्रशिक्षित करेगा और अकुशल एवं अर्द्ध-कुशल कार्यबल के कौशल अधिग्रहण तथा उन्नयन के लिये सुविधाएँ प्रदान करेगा। मिशन के तहत, 30% लक्ष्य महिलाओं के लिये और 20% अल्पसंख्यकों के लिये NSQF (राष्ट्रीय कौशल योग्यता रूपरेखा) अनुरूप पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
- व्यावसायिक शिक्षा संस्थान: उत्तर प्रदेश का व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग तकनीकी और रोज़गार आधारित शिक्षा एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों की संख्या बढ़ाने के लिये काम करता है। यह छात्रों को सामाजिक एवं आर्थिक जीवन के अनेक क्षेत्रों में व्यावहारिक कौशल सीखने के लिये प्रोत्साहित करता है।
- मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना (CMAPS): इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करती है और उन्हें एक निश्चित अवधि के लिये निश्चित रोज़गार से जोड़ती है।
- युवा उद्यमिता विकास अभियान (YUVA): यह योजना राज्य के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल है। इसके अंतर्गत 18 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ-साथ स्वरोज़गार प्रारंभ करने के लिये वित्तीय सहायता तथा ऋण सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
- युवा हब योजना: उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिये राज्य के प्रत्येक ज़िले में युवा हब स्थापित करेगी और बेरोज़गार युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार उपयुक्त नौकरियाँ मिल सकेंगी।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश को ‘युवा राज्य’ के रूप में देखा जा रहा है, जहाँ की विशाल जनसंख्या एक महत्त्वपूर्ण संपदा बन सकती है। राज्य को चाहिये कि वह न केवल अपनी अर्थव्यवस्था बल्कि पूरे देश के विकास हेतु युवा कार्यबल को प्रशिक्षित और सशक्त बनाए। इसके लिये कौशल मानचित्रण के आधार पर उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किये जाएँ और उद्योगोन्मुखी कौशल को बढ़ावा देने के लिये भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जाए।