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16 Apr 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 6
उत्तर प्रदेश स्पेशल
दिवस- 37: उत्तर प्रदेश को 'भारत का शुगर बाउल' क्यों कहा जाता है, स्पष्ट कीजिये। साथ ही राज्य में चीनी उद्योग से जुड़ी प्रमुख समस्याओं का विश्लेषण कीजिये। (125 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण :
- उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन पर सामान्य आँकड़े दीजिये।
- उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग की प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष लिखियें
परिचय:
उत्तर प्रदेश, देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादकों में से एक है, जो कुल गन्ना उत्पादन का लगभग 46% उत्पादन करता है। उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अनुसार, पेराई सत्र 2021-22 के दौरान राज्य में कुल 120 चीनी मिलें संचालित हुईं, राज्य का कुल गन्ना क्षेत्रफल 27.60 लाख हेक्टेयर है और गन्ना उत्पादकता 82.3 टन प्रति हेक्टेयर है।
मुख्य भाग :
उत्तर प्रदेश में गन्ना उद्योग की चुनौतियाँ:
- गन्ने की कम उपज: यद्यपि उत्तर प्रदेश में गन्ने की कृषि का सबसे बड़ा क्षेत्र है, लेकिन प्रति हेक्टेयर उपज तमिलनाडु, महाराष्ट्र जैसे कुछ प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों की तुलना में बेहद कम है।
राज्य
उत्पादकता (टन/हेक्टेयर)
उत्तर प्रदेश
82.3
महाराष्ट्र
89.75
तमिलनाडु
92
- कीमत में उतार-चढ़ाव: गन्ने की कीमतों में उतार-चढ़ाव से चीनी मिलों की लाभप्रदता प्रभावित होती है। सरकार गन्ने की कीमत तय करती है, जो मौसम और बाज़ार की मांग के आधार पर बदलती रहती है।
- छोटा पेराई सत्र: उत्तर प्रदेश में पेराई सत्र नवम्बर से फरवरी तक लगभग चार महीने का होता है, जबकि दक्षिण में यह लगभग 7-8 महीने का होता है, जहाँ यह अक्तूबर में शुरू होकर जून तक चलता है।
- उत्पादन की उच्च लागत: गन्ना सबसे अधिक जल, रसायन और श्रम-गहन फसलों में से एक है। फसल वृद्धि के सभी चरणों के दौरान इष्टतम मिट्टी की नमी बनाए रखना उच्च उपज प्राप्त करने के लिये आवश्यक है।
- अकुशल प्रौद्योगिकी, उत्पादन की अलाभकर प्रक्रिया, कच्चे माल के रूप में खोई का उपयोग न किये जाने के परिणामस्वरूप उत्पादन की लागत अधिक हो जाती है।
- उद्योग के उपोत्पादों के उचित उपयोग से उत्पादन लागत को भी कम किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिये, खोई का उपयोग कागज की लुगदी, इंसुलेटिंग बोर्ड, प्लास्टिक, कार्बन कॉर्टेक्स आदि के निर्माण के लिये किया जा सकता है।
- मिलों का छोटा और अलाभकारी आकार: उत्तर प्रदेश में अधिकांश चीनी मिलें छोटी, पुरानी और अप्रचलित हैं, जिनकी प्रतिदिन पेराई क्षमता कम है। इससे बड़े पैमाने पर उत्पादन अलाभकारी हो जाता है।
- अपरिवर्तित मूल्य और भुगतान में देरी: हालाँकि राज्य सरकारों से अपेक्षा की जाती है कि वे बढ़ती इनपुट लागत और मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर राज्य सलाहकार मूल्य (SAP) में संशोधन करें, लेकिन SAP लंबे समय तक अपरिवर्तित रह सकता है। चीनी मिलों द्वारा भुगतान में लगातार देरी के साथ-साथ यह किसानों के सामने आने वाले वित्तीय संकट को और भी गहरा कर सकता है।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में राज्य के गन्ना किसानों के लिये ई-गन्ना नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन लॉन्च किया था । इस एप्लीकेशन पर किसान अपने गन्ने की बिक्री, पिछले वर्ष की बिक्री, बकाया और गन्ना पर्चियों से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
चीनी उद्योग के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए, गन्ना किसानों के समक्ष आने वाले संकट को शीघ्रता से हल करने की आवश्यकता है, जिसमें गन्ना मूल्य निर्धारण को मुक्त करना (जैसा कि रंगराजन समिति ने सुझाव दिया है), जैव ईंधन उत्पादन को समर्थन देना, चीनी उद्योग को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिये गन्ना मानचित्रण पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।