29 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- 21वीं सदी की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए परिचय दीजिये।
- अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- एक सकारात्मक निष्कर्ष पर प्रस्तुत कीजिये।
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परिचय:
21 वीं सदी का विश्व परमाणु प्रसार, आतंकवाद, साइबर अपराध, शरणार्थी संकट, जलवायु परिवर्तन जैसी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जो मानवता के लिये संकट हैं। इन सुरक्षा चुनौतियों का वैश्विक प्रभाव है। यह अंतर्राष्ट्रीय शांति और समृद्धि को हानि पहुँचाता है।
अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ:
- परमाणु प्रसार: परमाणु हथियार वर्तमान तक बनाए गए सबसे विनाशकारी, अमानवीय और अंधाधुंध हथियार हैं। वे जो विनाश करते हैं उसके पैमाने और उनके विशिष्ट रूप से लगातार प्रसार योग्य, आनुवंशिक रूप से हानिकारक रेडियोधर्मी नतीजों के मामले में, वे किसी भी अन्य हथियार से अलग हैं। एक बड़े शहर पर विस्फोट किया गया एक भी परमाणु बम लाखों लोगों की मृत्यु का कारण बन सकता है। उदाहरण के लिये, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी ।
- आतंकवाद: यह राष्ट्रों की संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय स्थिरता और समृद्धि के लिये प्रत्यक्ष संकट उत्पन्न करता है। यह एक ऐसा सतत वैश्विक संकट है जो किसी सीमा, राष्ट्रीयता या धर्म को नहीं पहचानता और एक ऐसी चुनौती है जिससे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मिलकर निपटना चाहिये। उदाहरण: आईएसआईएस (ISIS), अल-कायदा (Al-Qaeda)।
- साइबर सुरक्षा: वर्तमान में पहले से कहीं ज़्यादा डिजिटल रूप से जुड़ी हुई है। अपराधी इस ऑनलाइन परिवर्तन का फ़ायदा उठाकर ऑनलाइन सिस्टम, नेटवर्क और बुनियादी कमज़ोरियों को निशाना बनाते हैं। विश्व भर में सरकारों, व्यवसायों और व्यक्तियों पर इसका बहुत बड़ा आर्थिक और सामाजिक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिये, वानाक्राई और पेट्या रैनसमवेयर हमला।
- शरणार्थी संकट: भूख, अत्यधिक गरीबी और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट के साथ-साथ हिंसा, संघर्ष और उत्पीड़न के कारण लोगों के पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। महिलाओं और लड़कियों पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। शरणार्थी महिलाओं के साथ लैंगिक हिंसा की संभावना दुगुनी होती है। UNHCR के अनुसार, वर्ष 2022 में, वैश्विक आबादी के 1.2% से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ने के लिये मजबूर होना पड़ा है। उदाहरण के लिये, म्याँमार से उत्पन्न रोहिंग्या शरणार्थी संकट।
- जलवायु परिवर्तन: सूखा, तूफान, हीटवेव, समुद्र का बढ़ता स्तर, ग्लेशियरों का पिघलना और महासागरों का गर्म होना, जलवायु परिवर्तन के रूप में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक बुनियादी संकट बन गया है, क्योंकि इससे खाद्य सुरक्षा संकट और जलवायु जनित रोग उत्पन्न होते हैं।
- सोशल नेटवर्किंग साइट्स से उत्पन्न होने वाले संकट: सोशल नेटवर्किंग साइट्स का उपयोग हिंसा फैलाने वाले भाषण प्रसारित करने, आतंकवादी गतिविधियों (जैसे इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड द लेवेंट) के लिये युवाओं की भर्ती करने के लिये किया जा रहा है। सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये सबसे बड़ी चुनौती साइबर आतंकवाद है।
- उग्रवाद: यह कई कारकों से प्रेरित हो सकता है, जिसमें विचारधाराएँ, धार्मिक विश्वास, राजनीतिक विश्वास और लोगों के विशेष समूहों के खिलाफ पूर्वाग्रह शामिल हैं। उदाहरण के लिये, अफ़गानिस्तान में उग्रवाद, पाकिस्तान में ईशनिंदा आदि।
- धन शोधन: यह वह प्रक्रिया है जिसमें अपराध से अर्जित बड़ी राशि को वैध स्रोत से उत्पन्न दिखाया जाता है। उदाहरण के लिये, शेल कंपनियाँ, आतंकवादियों को वित्तपोषण।
- मानवाधिकार उल्लंघन: मानवाधिकार सभी मनुष्यों के लिये निहित अधिकार हैं, चाहे उनकी जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, जातीयता, भाषा, धर्म या कोई अन्य स्थिति कुछ भी हो। मानवाधिकारों में जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, परतंत्रता और यातना से मुक्ति, राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, काम करने और शिक्षा का अधिकार और बहुत कुछ शामिल है। हर किसी को बिना किसी भेदभाव के ये अधिकार प्राप्त हैं। उदाहरण के लिये, चीन में उइगर मुस्लिम।
- गृह युद्ध: इसे किसी राज्य और उसके क्षेत्र में एक या अधिक संगठित गैर-राज्य अभिनेताओं के बीच हिंसक संघर्ष के रूप में परिभाषित किया जाता है। उदाहरण के लिये, सीरिया, सूडान और अन्य अफ्रीकी देशों में चल रहा गृह युद्ध।
इन चुनौतियों से निपटने के लिये वैश्विक प्रयास:
- वर्ष 2017 में हस्ताक्षरित परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि, परमाणु हथियारों पर व्यापक रूप से प्रतिबंध लगाने वाला पहला कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतर्राष्ट्रीय समझौता है, जिसका अंतिम लक्ष्य उनका पूर्ण उन्मूलन है।
- संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद निरोधक रणनीति आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को बढ़ाने के लिये एक अद्वितीय वैश्विक साधन है। वर्ष 2006 में सर्वसम्मति से इसे अपनाने के माध्यम से, सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश आतंकवाद से लड़ने के लिये एक आम रणनीतिक और परिचालन दृष्टिकोण पर सहमत हुए।
- साइबर अपराध पर अभिसमय, जिसे साइबर अपराध पर बुडापेस्ट अभिसमय के नाम से भी जाना जाता है, पहली अंतर्राष्ट्रीय संधि है जो राष्ट्रीय कानूनों में सामंजस्य स्थापित करके, अंवेषण तकनीकों में सुधार करके और देशों के बीच सहयोग बढ़ाकर इंटरनेट और कंप्यूटर अपराध से निपटने का प्रयास करती है।
- शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र वैश्विक समझौता अधिक पूर्वानुमानित और न्यायसंगत जिम्मेदारी-साझाकरण के लिये एक रूपरेखा है, जो यह स्वीकार करता है कि शरणार्थी स्थितियों का स्थायी समाधान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
- UNFCCC पेरिस समझौते 2015 का उद्देश्य इस सदी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस से कम रखकर जलवायु परिवर्तन के संकट के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करना है।
- यूनेस्को ने डिजिटल प्लेटफार्मों को विनियमित करने, फेक न्यूज़ और घृणास्पद भाषण का सामना करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये दिशानिर्देश प्रदान करने के लिये एक वैश्विक संवाद शुरू किया है।
- विश्व भर में, संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT) आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद को रोकने और उसका मुकाबला करने के लिये संयुक्त राष्ट्र के समग्र दृष्टिकोण का नेतृत्त्व और समन्वय करता है।
- वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिये वैश्विक कार्रवाई का नेतृत्त्व करता है।
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद एक अंतर-सरकारी निकाय है, जो उन सभी मानवाधिकार मुद्दों और स्थितियों पर चर्चा करने की क्षमता रखता है जिन पर उसका ध्यान अपेक्षित है।
- संयुक्त राष्ट्र शांति सेना, जिसे मूल रूप से अंतर-राज्यीय संघर्ष से निपटने के साधन के रूप में विकसित किया गया था, वर्तमान में अंतर्राज्यीय संघर्षों और गृह युद्धों में भी तेजी से लागू हो रही है। उदाहरण के लिये, सूडान के संघर्ष क्षेत्रों में भारतीय सेनाएँ।
निष्कर्ष:
विश्व को भारत के वसुधैव कुटुम्बकम के सूत्र की आवशयकता है, जहाँ समस्त विश्व को एक परिवार के रूप में देखा जाता है, जिसका एक साझा भविष्य है। इसलिये, इन वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।