10 Apr 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- संगठित अपराध के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध के कारणों एवं वर्तमान आँकड़ों पर प्रकाश डालिये।
- विस्तार से बताइये कि सरकार इस मुद्दे से कैसे निपट रही है।
- आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
संगठित अपराध उन अवैध गतिविधियों को दर्शाता है, जो सुनियोजित ढंग से, संगठित गिरोहों द्वारा बड़े पैमाने पर और निरंतर रूप से अंजाम दी जाती हैं। इसके प्रमुख रूपों में ड्रग तस्करी, साइबर अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और डकैती जैसी आपराधिक गतिविधियाँ शामिल हैं। इन अपराधों को करने के लिये आय का मुख्य स्रोत अवैध धन है जो वेश्यावृत्ति, ड्रग्स, जुआ आदि जैसे अवैध सामान और सेवाओं की बिक्री या आपूर्ति से उत्पन्न होता है।
मुख्य भाग:
संगठित अपराधों के प्रचलन के कारण:
- अवैध वस्तुओं और सेवाओं के लिये जनता की मांग का अस्तित्व: कुछ वस्तुएँ और सेवाएँ ऐसी होती हैं, जिनकी कानूनी उपलब्धता सीमित होने के कारण लोग उन्हें प्राप्त करने के लिये निर्धारित कीमत से कहीं अधिक भुगतान करने को तैयार हो जाते हैं। यदि ये सेवाएँ या वस्तुएँ वैध रूप से सुलभ होतीं, तो उनकी लागत काफी कम होती।
- गरीबी: दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये संसाधनों की कमी अक्सर लोगों को गरीबी से उबरने के लिये अवैध उपायों की ओर मोड़ देती है। नीति आयोग द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2021 के अनुसार, उत्तर प्रदेश की 37.79% जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है।
- निरक्षरता: यह देखा गया है कि जिन क्षेत्रों या देशों में साक्षरता का स्तर कम है, वहाँ संगठित अपराधों में योगदान अधिक है। 2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश में केवल 67.68 प्रतिशत आबादी साक्षर है।
- काला धन: यह एक दुष्चक्र है क्योंकि काले धन का संचय ऐसे अपराधों को अंजाम देने में सहायता करता है और इन अपराधों से काला धन उत्पन्न होता है।
- राजनीति और अपराधियों के बीच गठजोड़: भ्रष्टाचार और सत्ता के लालच के साथ-साथ राजनीतिक शक्तियों का समर्थन इन अपराधियों को मज़बूत करता है।
उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध से संबंधित वर्तमान आँकड़े:
- वर्ष 2016 की तुलना में सितंबर 2022 तक डकैती की घटनाओं में 80.31% की गिरावट आई है, जबकि लूट की घटनाओं में 61.51% की गिरावट दर्ज की गई है।
- हत्या और आगजनी में क्रमशः 32.45% और 51.65% की गिरावट दर्ज की गई है।
- निरोधात्मक कार्रवाई के तहत शस्त्र अधिनियम में 47.15%, स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम में 91.90%, गैंगस्टर अधिनियम में 43.18%, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम उत्तर प्रदेश (NSA) में 8.98% तथा आबकारी अधिनियम में 57.45% की वृद्धि हुई।
- महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में सज़ा दिलाने में उत्तर प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है।
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, राज्य की दोषसिद्धि दर 59.1% है जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है।
संगठित अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये सरकार की पहल:
- एंटी भू माफिया पोर्टल-IGRS: यह अवैध अतिक्रमण से संबंधित सभी प्रकार की शिकायतों के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कार्यान्वित एक एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली है।
- मानव तस्करी विरोधी इकाइयाँ (AHTU): इन्हें राज्य सरकार द्वारा मानव तस्करी के अपराध से संबंधित सभी मामलों के पंजीकरण और जाँच के लिये पूरे ज़िले के लिये पुलिस स्टेशनों के रूप में स्थापित किया गया है, जो ज़िले के अन्य पुलिस स्टेशनों के अतिरिक्त होंगे।
- उत्तर प्रदेश संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (UPCOCA): प्रस्तावित व्यवस्था के अनुसार, सरकार संगठित अपराध से अर्जित संपत्तियों को अदालत की अनुमति से जाँच के दौरान अस्थायी रूप से अपने नियंत्रण में ले सकती है। यदि आरोपी को दोषी ठहराया जाता है, तो वह संपत्ति स्थायी रूप से ज़ब्त कर ली जाएगी।
निष्कर्ष:
हालाँकि सरकार इस खतरे को रोकने की कोशिश कर रही है, फिर भी इसमें कुछ कमियाँ हैं जिन्हें दूर करने की ज़रूरत है। उदाहरण के तौर पर, राज्य को चाहिये कि वह विशेष जुआ-विरोधी कानून बनाए, संगठित अपराध से जुड़े मामलों के लिये त्वरित न्यायालयों की व्यवस्था करे ताकि अपराधी दबाव या धनबल का उपयोग कर न्याय प्रक्रिया को प्रभावित न कर सकें। साथ ही, अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले काले धन के स्रोतों की सख्ती से जाँच और निगरानी की जानी चाहिये।