दिवस- 15: 'ग्रीन बजट' की अवधारणा क्या है? भारत में सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति में इसकी भूमिका और प्रभाव का विश्लेषण कीजिये। (125 शब्द)
24 Mar 2025 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय:
ग्रीन बजट को पर्यावरण और जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये बजटीय उपकरणों के उपयोग के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें बजटीय और राजकोषीय नीतियों के पर्यावरणीय प्रभावों का मूल्यांकन एवं राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं की पूर्ति के प्रति उनकी सुसंगतता का आकलन करना शामिल है।
वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया 2030 एजेंडा सतत् विकास के लिये एक वैश्विक रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जिसका उद्देश्य लोगों और पर्यावरण के लिये शांति तथा समृद्धि सुनिश्चित करना है। इस एजेंडा के केंद्र में 17 सतत् विकास लक्ष्य (SDG) निहित हैं।
ग्रीन बजट भारत के लिये निम्नलिखित सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने में मदद करेगा।
मुख्य भाग:
सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने की चुनौतियाँ:
भारत की कुल जनसंख्या में से 91 मिलियन लोगों (जनसंख्या का 6%) के पास सुरक्षित जल तक पहुँच नहीं है तथा 746 मिलियन लोगों (54%) के पास सुरक्षित रूप से प्रबंधित घरेलू स्वच्छता सुविधाएँ नहीं हैं।
वर्ष 2015 तक, भारत में 237 मिलियन लोगों के पास विद्युत नहीं है और भारत की अधिकांश आबादी के पास खाना पकाने के लिये स्वच्छ ईंधन तथा प्रौद्योगिकी तक पहुँच नहीं है।
2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल आबादी का 5.4 प्रतिशत और शहरी आबादी का 17.4 प्रतिशत झुग्गी-झोपड़ियों में रहता है। भारतीय शहर वायु प्रदूषण की समस्या का सामना कर रहे हैं।
अत्यधिक मछली पकड़ना, असंवहनीय जलकृषि, सुपोषण और जल प्रदूषण, सतत् विकास लक्ष्य-6 को प्राप्त करने में प्रमुख चुनौतियाँ हैं।
भारत में बाढ़, सूखा, गर्म लहरें और चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं का खतरा बहुत अधिक है।
भारत के लिये सतत् विकास लक्ष्य प्राप्त करने में हरित बजट का महत्त्व:
स्वच्छ जल एवं स्वच्छता: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को बजट 2023-24 में 77,223 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, इसकी दो प्रमुख योजनाएँ हैं - जल जीवन मिशन (JJM) और स्वच्छ भारत मिशन - ग्रामीण (SBM-G)। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक को स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध हों।
सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा: विद्युत मंत्रालय ने 4,000 मेगावाट घंटे की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों के विकास के लिये व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण पर एक योजना तैयार की है और केंद्रीय बजट 2023-24 में अर्थव्यवस्था को कम कार्बन तीव्रता में बदलने की सुविधा के लिये ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिये 19,700 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।
सतत् शहर और समुदाय: राष्ट्रीय शहरी मामले संस्थान (NIUA) ने विश्व आर्थिक मंच के साथ मिलकर 'सस्टेनेबल सिटीज़ इंडिया कार्यक्रम' तैयार किया है। केंद्रीय बजट 2023-24 में स्मार्ट सिटी मिशन के लिये 8,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
जलवायु क्रियाएँ: अगस्त 2022 में, भारत ने अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को अद्यतन किया, जिसमें वर्ष 2030 तक 2005 के स्तर की तुलना में सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी लाने और गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 50% हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है।
जल के नीचे जीवन: भारत सरकार ने मनरेगा, कैम्पा फंड और अन्य स्रोतों के बीच समन्वय के माध्यम से, जहाँ भी संभव हो, समुद्र तट के किनारे एवं नमक वाले क्षेत्रों की भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण के लिये 'तटीय आवास और मूर्त आय के लिये मैंग्रोव पहल' (MISHTI) की शुरुआत की है।
भूमि पर जीवन: भारत ने प्राकृतिक खेती और उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये PM-प्रणाम (मातृ पृथ्वी के पुनरुद्धार, जागरूकता, पोषण और सुधार के लिये PM कार्यक्रम) की शुरुआत की है।
निष्कर्ष:
आर्थिक विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ जोड़ने के लिये एक सुव्यवस्थित ग्रीन बजट आवश्यक है। राजकोषीय नियोजन में जलवायु कार्रवाई को एकीकृत करके, भारत न केवल सतत् विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को तेज़ कर सकता है, बल्कि एक हरित और अनुकूल अर्थव्यवस्था भी बना सकता है। रणनीतिक नीतियाँ, वित्तीय नवाचार और प्रभावी शासन भारत को सतत् विकास में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।