-
22 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस- 13: "तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के लिये पहचाने जाने वाले भारतीय प्रवासी अब वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। भारत के उभरते वैश्विक शक्ति के रूप में इस परिवर्तन का विश्लेषण कीजिये।" (125 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय प्रवासियों के बारे में तथ्य देने से शुरुआत कीजिये।
- इसके आर्थिक एवं तकनीकी योगदान पर प्रकाश डालिये।
- बताइये कि किस प्रकार भारतीय प्रवासी एक प्रमुख वैश्विक राजनीतिक शक्ति बन गए हैं।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
अनुमान है कि वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रवासियों की संख्या 35 मिलियन से अधिक होगी। प्रौद्योगिकी, व्यापार और आर्थिक विकास में इसके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये मान्यता प्राप्त है। हाल के वर्षों में, यह न केवल एक प्रमुख आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है, बल्कि मेज़बान देशों की नीतियों को प्रभावित करते हुए भारत की वैश्विक स्थिति को भी सुदृढ़ कर रहा है।
मुख्य भाग:
प्रवासी भारतीयों का आर्थिक और तकनीकी योगदान
- आर्थिक प्रभाव
- धन प्रेषण: भारत ने वर्ष 2023 में 125 बिलियन डॉलर का प्रेषण प्राप्त किया (विश्व बैंक), जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक था और आर्थिक स्थिरता को समर्थन प्रदान करता है।
- व्यावसायिक प्रभाव: भारतीय मूल के CEO शीर्ष बहुराष्ट्रीय कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं:
- सुंदर पिचाई (गूगल)
- सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट)
- अरविंद कृष्ण (आईबीएम)
- शांतनु नारायण (एडोब)
- उद्यमशीलता की सफलता: भारतीय अमेरिकी, जो अमेरिकी जनसंख्या का 1% हैं, सिलिकॉन वैली के सभी स्टार्ट-अप्स में से एक तिहाई के मालिक हैं।
- अमेरिका में सभी उच्च प्रौद्योगिकी फर्मों में से लगभग 8% की स्थापना भारतीय अमेरिकियों द्वारा की गई थी।
- तकनीकी नेतृत्व
- STEM प्रभुत्व: अमेरिका में H-1B वीज़ा धारकों में लगभग 75% भारतीय हैं।
- अनुसंधान एवं नवाचार: भारतीय मूल के वैज्ञानिक और इंजीनियर AI, अंतरिक्ष अनुसंधान (नासा, इसरो सहयोग) एवं जैव प्रौद्योगिकी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वैश्विक IT कार्यबल: भारतीय IT पेशेवर फॉर्च्यून 500 प्रौद्योगिकी कंपनियों और सिलिकॉन वैली में हावी हैं।
- सॉफ्ट पावर प्रभाव
- सांस्कृतिक कूटनीति: योग, बॉलीवुड और भारतीय व्यंजन भारत की वैश्विक धारणा को बढ़ाते हैं।
- शैक्षिक योगदान: भारतीय मूल के प्रोफेसर वैश्विक विश्वविद्यालयों (हार्वर्ड, MIT, ऑक्सफोर्ड) में प्रतिष्ठित पदों पर हैं।
भारतीय प्रवासियों का राजनीतिक उदय
- भारतीय मूल के राजनीतिक नेताओं का उदय
- ऋषि सुनक (पूर्व प्रधानमंत्री, यूके) - प्रथम ब्रिटिश-भारतीय प्रधानमंत्री, जिन्होंने यूके-भारत संबंधों को आकार दिया।
- कमला हैरिस (पूर्व उपराष्ट्रपति, अमेरिका) - इंडो-पैसिफिक नीतियों और भारत-अमेरिका सहयोग की समर्थक।
- लियो वराडकर (पूर्व प्रधानमंत्री, आयरलैंड) - भारत-आयरलैंड संबंधों को मज़बूत किया।
- प्रविंद जगन्नाथ (पूर्व प्रधानमंत्री, मॉरीशस) - भारत के साथ गहरे ऐतिहासिक संबंध हैं।
- मतदान शक्ति और चुनावी प्रभाव
- संयुक्त राज्य अमेरिका: लगभग 4.5 मिलियन की संख्या वाले भारतीय-अमेरिकी एक महत्त्वपूर्ण वोट हैं, जो अमेरिका-भारत नीति को प्रभावित करते हैं।
- यूनाइटेड किंगडम: 1.8 मिलियन ब्रिटिश भारतीयों के वोट पार्टी की नीतियों को प्रभावित करते हैं।
- कनाडा: भारतीय प्रवासी जनसंख्या का 5% हिस्सा हैं, जो व्यापार और राजनयिक संबंधों को प्रभावित करते हैं।
- वैश्विक मुद्दों का समर्थन
- भारत के वैश्विक हितों का समर्थन:
- भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हेतु समर्थन।
- हिंद-प्रशांत रणनीति का समर्थन और चीन के प्रभाव का मुकाबला करना।
- यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) और US कॉन्ग्रेस में इंडिया कॉकस भारत के हितों को बढ़ावा देते हैं।
- भ्रामक सूचना का सामना: प्रवासी समुदाय कश्मीर, खालिस्तान और मानवाधिकार मुद्दों पर गलत बयानबाज़ी को चुनौती देता है।
- भारत के वैश्विक हितों का समर्थन:
निष्कर्ष
भारतीय प्रवासी भारत के अनौपचारिक ब्रांड एंबेसडर के रूप में कार्य करते हैं, इसकी वैश्विक छवि को बढ़ाते हैं और एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति के रूप में इसकी आकांक्षाओं के साथ जुड़ते हैं। शासन, नीति-निर्माण और अंतर्राष्ट्रीय समर्थन में उनका बढ़ता प्रभाव भारत की रणनीतिक, आर्थिक एवं कूटनीतिक स्थिति को मज़बूत करता है। जुड़ाव को गहरा करने के लिये, सरकार ने वर्ष 2000 के बाद प्रमुख पहल की, जिसमें प्रवासी भारतीय मामलों का मंत्रालय, PIO कार्ड, प्रवासी भारतीय दिवस, NRI फंड और विदेशों में भारतीय नागरिकों के लिये मतदान का अधिकार शामिल है, जिससे मातृभूमि के साथ प्रवासी संबंधों को मज़बूत किया जा सके।