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24 Mar 2025
सामान्य अध्ययन पेपर 3
अर्थव्यवस्था
दिवस- 15: 'समावेशी विकास न केवल एक प्रक्रिया है बल्कि एक परिणाम भी।' भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस कथन का विश्लेषण कीजिये। (200 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपना परिचय समावेशी विकास की परिभाषा से शुरू कीजिये।
- बताइये कि विकास किस प्रकार समावेशिता को जन्म देता है तथा विकास को समावेशिता के साथ समन्वयित किया जाना चाहिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) समावेशी विकास को उस आर्थिक विकास के रूप में परिभाषित करता है जो पूरे समाज में समान रूप से वितरित होता है और सभी के लिये समान अवसर उत्पन्न करता है।
मुख्य भाग:
विकास के परिणामस्वरूप निम्नलिखित तरीके से समावेशन होता है:
रोज़गार सृजन: आर्थिक विकास से रोज़गार उत्पन्न होते हैं और आजीविका के अवसर मिलते हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2022 के अनुसार, भारत में वर्ष 2005-06 से 2019-20 के बीच 415 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले।
क्षेत्रीय असमानता को पाटना: बुनियादी ढाँचागत विकास परियोजनाएँ और कार्यक्रम जैसे- सागरमाला, भारतमाला, पर्वतमाला परियोजना आदि।
पुनर्वितरण: आर्थिक विकास कराधान के माध्यम से सरकार के लिये संसाधन सृजित करता है, जिसका उपयोग कमज़ोर वर्गों पर लक्षित कल्याणकारी योजनाओं जैसे सार्वजनिक शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, कौशल विकास कार्यक्रम आदि के लिये किया जाता है।
अंतर-पीढ़ीगत विकास: आजीविका सृजन वित्तीय क्षमता और शिक्षा के अवसरों का लाभ उठाने, स्वास्थ्य तथा पोषण में सुधार के बारे में जागरूकता प्रदान करता है, जिसका गरीबी को समाप्त करने पर अंतर-पीढ़ीगत प्रभाव पड़ता है।
हालाँकि बेरोज़गारी, महिला श्रम शक्ति की कम भागीदारी दर, कृषि क्षेत्र में छिपी बेरोज़गारी और विनिर्माण क्षेत्र में मंदी जैसी चुनौतियों ने समावेशन के वादे को चुनौती दी है।
इस प्रकार, यह तर्क दिया गया है कि समावेशन को विकास प्रक्रिया का ही एक हिस्सा बनाया जाना चाहिये, जैसे:
पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व देना: जैसे कि अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों की तरह महिलाओं के लिये भी लोकसभा में सीटें आरक्षित करना।
खाद्य एवं पोषण सुरक्षा को बढ़ावा देना: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली का दायरा बढ़ाना, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम, खाद्य सुदृढ़ीकरण। ये उपाय देश को शून्य भूख के सतत् विकास लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करेंगे।
शैक्षिक समानता और कौशल विकास: सर्व शिक्षा अभियान जैसे कार्यक्रमों ने प्राथमिक शिक्षा में लगभग 100% सकल नामांकन अनुपात (GER) और लैंगिक समानता प्राप्त करने में मदद की है। कौशल भारत कार्यक्रम व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि प्रदान करता है।
सुशासन: भ्रष्टाचार व्यवसायों के विकास को प्रभावित करता है और विकास के लाभों के समान वितरण को कमज़ोर करता है। सुशासन अर्थव्यवस्था में समान अवसर प्रदान करने में मदद करता है, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करके सार्वजनिक धन तथा प्राधिकरण के दुरुपयोग को रोकता है। उदाहरण के लिये, DBT, PM स्वामित्व योजना, JAM ट्रिनिटी, आदि।
वित्तीय समावेशन: प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से कमज़ोर वर्गों को किफायती लागत पर वित्तीय सेवाओं तक पहुँच ने बचत की संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद की है तथा स्वयं सहायता समूहों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा निभाई गई सराहनीय भूमिका ने आर्थिक विकास के एक अच्छे चक्र की शुरुआत की है।
निष्कर्ष:
सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं में सुधार, उद्योगोन्मुख कौशल विकास प्रदान करना, पिछड़े क्षेत्रों का विकास (आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम जैसी योजनाओं के साथ) और पर्यावरण को उचित महत्त्व देने से विकास प्रक्रिया को और अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी।